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क्रिटिक्स पर भड़की रेसलर विनेश फोगाट: सोशल मीडिया पर पोस्ट कर जताई नाराजगी, बोलीं- एथलीट्स रोबोट नहीं हैं

क्रिटिक्स पर भड़की रेसलर विनेश फोगाट: सोशल मीडिया पर पोस्ट कर जताई नाराजगी, बोलीं- एथलीट्स रोबोट नहीं हैं
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नई दिल्ली11 मिनट पहले

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कॉमनवेल्थ गेम्स की गोल्ड मेडलिस्ट और इंडिया की स्टार रेसलर विनेश फोगाट ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर आलोचकों की क्लास लगा दी। घर बैठकर एथलीट्स को भला-बुरा कहने वाले लोगों को विनेश ने आड़े हाथों लिया। इस लंबी पोस्ट में क्रिटिक्स के लिए विनेश का गुस्सा साफ तौर पर देखा जा सकता है।

विनेश ने पोस्ट में लिखा कि –

‘एथलीट्स इंसान हैं। हम कौन हैं, ये हमारे एथलीट होने का एक बड़ा हिस्सा है। इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि किसी भी टूर्नामेंट की घोषणा होते ही हम रोबोट्स की तरह काम करने लगते हैं। श्योर नहीं हूं कि ये कल्चर हर देश में है या यहां सिर्फ इंडिया में, जहां घर बैठे कई लोग एक्सपर्ट्स बन जाते हैं।

हर व्यक्ति चाहे वो प्रोफेशनल हो या न हो, ने अपने जीवन के सफर में मुश्किलें, संघर्ष और चुनौतियों को झेला होगा। अंतर इतना है कि दुनिया खुद को एक्सपर्ट मान कर उनके काम पर ना कोई कमेंट करती है ना आलोचना। लेकिन ऐसे कई लोग हैं जो खुद को स्पोर्ट्स का एक्सपर्ट मानते हैं और समझते हैं कि वे एक एथलीट की ट्रेनिंग के दौरान आई मुश्किलों और चुनौतियों को समझते हैं।

क्यों हम एथलीट के तौर पर उन लोगों को जवाबदेह हैं जबकि सभी एथलीट्स को मुश्किल समय में प्रोत्साहन और सहयोग के बजाए बदले में सिर्फ ऐसे कमेंट मिलते हैं जिसमें हमें नसीहतें दी जाती हैं कि हमें क्या करना चाहिए, किस तरह से ट्रेनिंग करनी चाहिए।

जब लोग समझते हैं कि वो हमें बता सकते हैं कि एथलीट्स को कब खेलना चाहिए और कब नहीं, कब हमें खेलना छोड़ देना चाहिए, तो ये हमें हतोत्साहित करता है। एक जीत का मतलब हमेशा ये नहीं होता की एक एथलीट ने एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी परफॉरमेंस दिया है और एक हार का मतलब हमेशा ये नहीं होता कि एथलीट ने खेल के दौरान कोशिश नहीं की। जीतना और हारना एक एथलीट के जीवन का हिस्सा है और एथलीट्स हर बार भरपूर कोशिश करते हैं।

विनेश फोगाट ने इस सीजन में कॉमनवेल्थ गेम्स में तीसरी बार गोल्ड मेडल जीता।

जब हमें मेडल न जीतने के लिए क्रिटिसाइज किया जाता है क्या ये कथित एक्सपर्ट्स/फैंस जानते हैं कि इस प्रोसेस में कितने एफर्ट, रिसोर्सेज और प्रिपरेशन लगी है। क्या दूसरे देशों के सपोर्टर्स भी अपने एथलीट्स को इसी तरह क्रिटिसाइज करते हैं? लोगों के लिए कमेंट करना आसान है क्योंकि एक मैच देखने के बाद ये उनकी जिंदगी का एक आम दिन है लेकिन वो ये नहीं समझते कि मुश्किल समय में ये बातें हम एथलीट्स पर बुरा असर डालती हैं। सोशल मीडिया के जरिए फैंस से जुड़ना आसान है। लेकिन खिलाड़ियों के लिए वो समय आसान था जब कमेंट और नेगेटिव क्रिटिसिज्म के लिए सोशल मीडिया नहीं था।

लोग सिर्फ स्कोरबोर्ड देखते हैं लेकिन उसके पीछे की मेहनत, बलिदान को नहीं देखते। जो कि हम बिना रिजल्ट्स की परवाह किए करते रहते हैं।’

उन्होंने एथलीट्स को संबोधित करते हुए लिखा, ‘ ये सच है कि सब आपके विजन और ड्रीम को नहीं समझेंगे। लोग आप पर सवाल उठाएंगे जब तक के वो आपका स्कोरबोर्ड नहीं देख लेते। लेकिन एक एथलीट के तौर पर यदि हम जल्दी हार मान गए तो हमारी लाइफ में वो टर्निंग पॉइंट नहीं आएगा। लोगों की चिंता किए बगैर अपने साहस के दम पर अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश करने वाले साथी एथलीट्स को सलाम। हम सब की लगभग एक सी जर्नी है। उम्मीद है कि एक दिन अपने प्रयासों और साहस के दम पर हम इस कल्चर को बदल देंगे।’

विनेश की इस पोस्ट पर उन्हें कई साथी खिलाड़ियों का समर्थन भी मिला।

विनेश फोगाट ने वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में जीता था ब्रॉन्ज मेडल

हाल ही में विनेश फोगाट चैंपियनशिप के क्वालिफिकेशन राउंड में हार गई थीं। उन्हें मंगोलियाई पहलवान खुलान बटखुयाग ने 7-0 (53 KG) से हराया था। बटखुयाग के फाइनल में पहुंचने के बाद विनेश को रेपचेज में मौका मिला। इसके बाद स्टार रेसलर विनेश फोगाट ने वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में भारत को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया। सर्बिया (बेलग्रेड) में चल रही इस चैंपियनशिप में यह भारत का पहला मेडल था।

28 साल की भारतीय पहलवान विनेश ने 53 KG वेट कैटेगरी के रेपचेज मुकाबले में स्वीडन की रेसलर एम्मा जोना मालमग्रेन को 8-0 से हराया।

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