2 घंटे पहलेलेखक: जयदेव सिंह/राजकिशोर
टी-20 वर्ल्ड कप के दौरान महेंद्र सिंह धोनी भारतीय डगआउट में नजर आएंगे। उन्हें टीम का मेंटर बनाया गया है। BCCI के इस ऐलान से धोनी के फैन खुश हैं। इस कदम के बाद कुछ एक्सपर्ट्स धोनी को भविष्य के कोच के रूप में देख रहे हैं। वहीं पूर्व क्रिकेटर अजय जडेजा ने इस फैसले पर सवाल खड़े किए हैं।
आखिर एक मेंटर का टीम में रोल क्या होता है? शास्त्री के रहते धोनी का रोल कितना अहम होगा? क्या ये धोनी को कोच बनाने की तैयारी का पहला कदम है? क्या BCCI के इस कदम को कोहली-शास्त्री की जोड़ी की असफलता पर मुहर माना जाएगा? आइए समझते हैं…
मेंटर होता क्या है?
खिलाड़ियों को मदद करने के लिए मेंटर की नियुक्ति होती है। ये ऐसा पूर्व खिलाड़ी होता है जो अपने अनुभव और एक्सपर्टीज से उन खिलाड़ियों के खेल को बेहतर बनाने में मदद करता है। मैच जीतने के लिए मेंटर खिलाड़ियों और स्पोर्ट स्टाफ के साथ मिलकर टैक्टिक्स भी बनाता है।
टीम इंडिया में धोनी की मेंटर के रूप में वापसी का क्या मतलब है?
धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने लिमिटेड ओवर इवेंट्स में तीन ICC ट्रॉफी जीती हैं। 2007 का टी-20 वर्ल्ड कप, 2011 का वनडे वर्ल्डकप और 2013 की ICC चैम्पियंस ट्रॉफी। 2013 के बाद भारत ने कोई भी ICC इवेंट नहीं जीता है। इंटरनेशनल क्रिकेट से रिटायरमेंट के बाद भी धोनी क्रिकेट में एक्टिव हैं। IPL में चेन्नई सुपरकिंग्स की कप्तानी कर रहे हैं। यानी, मौजूदा टी-20 क्रिकेट की डिमांड्स से वो पूरी तरह से वाकिफ हैं। उनकी कैप्टन कूल की छवि और खेल को लेकर उनकी समझ का हर कोई कायल है। गेम को रीड करने की उनकी एबिलिटी से टीम इंडिया को काफी फायदा हो सकता है।
पूर्व क्रिकेटर और पूर्व चयनकर्ता अशोक मल्होत्रा कहते हैं कि कोच के रहते हुए मेंटर का काम केवल सलाह देना होता है। मेरा मानना है कि टी-20 वर्ल्डकप में धोनी को मेंटर के रूप में इसलिए जोड़ा गया है, क्योंकि विराट और शास्त्री की जोड़ी भारत को बड़े टूर्नामेंट में जीत नहीं दिला सकी है। वहीं धोनी अपनी कप्तानी में भारत को वनडे और टी-20 वर्ल्डकप में दिला चुके हैं। उनके ड्रेसिंग रूम में रहने से ही खिलाड़ियों में एक अलग उत्साह होगा।
धोनी का रोल क्या होगा?
UAE में होने वाले वर्ल्ड कप के दौरान पिच स्पिनर्स के मुफीद रहने की उम्मीद है। इसी वजह से टीम इंडिया में 5 स्पिनर चुने गए हैं। IPL के दौरान धोनी चेन्नई के स्पिनर्स को बल्लेबाज के खिलाफ बेहतर बॉलिंग में मदद करते नजर आते हैं। ऐसे में उम्मीद है कि उनकी डगआउट में उपस्थिति से टीम को फायदा होगा। टीम थिंक टैंक का हिस्सा होने के चलते धोनी विराट कोहली को फैसले लेने में भी मदद करेंगे। मौजूदा टीम में शामिल ज्यादातर खिलाड़ी धोनी की कप्तानी में भी खेल चुके हैं। ऐसे में इन खिलाड़ियों को धोनी के ड्रेसिंग रूम में होने से फायदा होगा।
BCCI के इस कदम को मास्टर स्ट्रोक क्यों कहा जा रहा है?
हेड कोच रवि शास्त्री का कार्यकाल टी-20 वर्ल्ड कप के बाद खत्म हो रहा है। BCCI अब शास्त्री का कार्यकाल बढ़ाने के मूड में नहीं है। धोनी का अपॉइंटमेंट एक गैप अरेंजमेंट की तरह काम करेगा। धोनी के कोहली और शास्त्री से रिश्ते काफी अच्छे रहे हैं। धोनी अभी भी IPL खेल रहे हैं। ऐसे में उनके अनुभव का फायदा भी टीम को मिल सकता है।
कितने समय बाद भारतीय डगआउट में दिखेंगे धोनी?
धोनी ने अपने करियर का आखिरी टी-20 मैच 27 फरवरी 2019 को खेला था। वहीं, वनडे में वो 9 जुलाई 2019 को आखिरी बार मैदान में उतरे थे। यानी, लगभग 32 महीने बाद धोनी टी-20 मैच में टीम इंडिया के डगआउट में नजर आएंगे। धोनी के करियर का आखिरी मैच वनडे वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल था। अब उनकी वर्ल्ड कप से ही इंडियन ड्रेसिंग रूम में वापसी हो रही है।
क्या ये धोनी को कोच बनाने की तैयारी का पहला कदम है?
2016 टी-20 वर्ल्ड कप के दौरान रवि शास्त्री टीम इंडिया के डायरेक्टर थे। 2014 में टीम के डायरेक्टर बनाए गए शास्त्री वर्ल्ड कप के बाद टीम से अलग हो गए, लेकिन एक साल बाद ही उन्होंने टीम के हेड कोच के रूप में वापसी की। पिछले चार साल से वो टीम के कोच हैं। कहा जा रहा है कि टी-20 वर्ल्ड कप के बाद शास्त्री और उनका सहयोगी कोचिंग स्टाफ टीम से अलग हो सकता है।
ऐसे में टीम को नए कोचिंग ग्रुप की जरूरत होगी। टीम के नए कोच को लेकर पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ का नाम लंबे समय से चर्चा में हैं। द्रविड़ इंडिया ए के कोच रह चुके हैं। इस वक्त वो नेशनल क्रिकेट एकेडमी (NCA) के चीफ हैं, लेकिन द्रविड़ के बारे में कहा जा रहा है कि वो NCA चीफ बने रहना चाहते हैं। ऐसे में वर्ल्ड कप के बाद धोनी कोच बनने के दावेदारों में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, ये इस पर निर्भर करेगा कि उनकी मेंटर के रूप में टीम के साथ कैसी बॉन्डिंग बनती है। वैसे भी शास्त्री की डायरेक्टर के रूप में टीम से बॉन्डिंग का फायदा उनके कोच बनने में भी हुआ था।
अशोक मल्होत्रा कहते हैं कि मेरा मानना है कि उन्हें भविष्य में कोच की जिम्मेदारी भी सौंपी जा सकती है। चूंकि राहुल द्रविड़ NCA की ही जिम्मेदारी संभालने के इच्छुक हैं। वहीं शास्त्री टी-20 वर्ल्डकप के बाद कोच की भूमिका से मुक्त होने की बात कह चुके हैं। ऐसे में धोनी को मेंटर के तौर पर नियुक्त कर भविष्य की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। शास्त्री को कोच बनाने से पहले उन्हें बतौर टीम डायरेक्टर के तौर पर जोड़ा गया था।
दूसरी टीमों में भी इस तरह के उदाहरण हैं, जिसमें किसी पूर्व खिलाड़ी को पहले टीम का मेंटर बनाया गया, बाद में वो टीम का हेड कोच बना। ऑस्ट्रेलिया के मौजूदा कोच जस्टिन लैंगर भी इसका उदाहरण हैं। लैंगर रिटायरमेंट के तीन साल बाद 2012 में ऑस्ट्रेलियाई टीम के मेंटर और बैटिंग कोच बने थे। बॉल टेम्परिंग स्कैंडल के बाद 2018 में उन्हें टीम का हेड कोच बनाया गया।
तो क्या कोहली-शास्त्री की जोड़ी लिमिटेड ओवर क्रिकेट में सफल नहीं रही है?
कोहली की कप्तानी में भारत ने कोई ICC ट्रॉफी नहीं जीती है। 2017 की चैम्पियंस ट्रॉफी के फाइनल में उसे पाकिस्तान के हाथों हार मिली। 2019 के वनडे वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में टीम इंडिया को न्यूजीलैंड ने हराया था।
कोहली IPL में भी अब तक एक बार भी खिताब नहीं जीत सके हैं। वहीं, टीम इंडिया के उप-कप्तान रोहित शर्मा की कप्तानी में मुंबई इंडियंस 5 बार IPL खिताब जीत चुकी है। वहीं टीम के मेंटर बनाए गए धोनी की कप्तानी में उनकी टीम चेन्नई सुपर किंग्स तीन बार IPL की चैम्पियन रही है।
For all the latest Sports News Click Here
For the latest news and updates, follow us on Google News.