अविनाश साबले ने 8वीं बार तोड़ा अपना रिकॉर्ड: लोगों के तानों, सीनियर्स के टॉर्चर से लगा धक्का, ठाना 2 महीने में तोड़ना है नेशनल रिकॉर्ड
- Hindi News
- Sports
- Avinash Sable Breaks His Own Record In Steeplechase In Diamond League Meet
स्पोर्ट्स डेस्कएक मिनट पहले
- कॉपी लिंक
3000 मी स्टीपलचेज रेस को अविनाश साबले ने 8 मिनट और 12.48 सेकेंड में पूरा किया
अविनाश साबले ने डायमंड लीग मीट में 3000 मीटर स्टीपलचेज में आठवीं बार अपना ही नेशनल रिकॉर्ड तोड़ा है। उन्होंने रविवार को दुनिया के सबसे बेहतरीन खिलाड़ियों के बीच इस रेस में 8 मिनट और 12.48 सेकेंड का समय लिया। स्थानीय दावेदार सोफियान अल बक्काली ने मीट रिकॉर्ड 7 मिनट 58.28 सेकेंड के समय के साथ गोल्ड मेडल जीता। वे टोक्यो ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। वहीं इथोपिया के लामेचा गिरमा 7 मिनट 59.24 सेकेंड के समय के साथ दूसरे स्थान पर रहे। वे टोक्यो ओलंपिक के सिल्वर मेडलिस्ट हैं। इथोपिया के ही हेलमेरियम तेगेगन ने 8 मिनट 6.29 सेकेंड के निजी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ तीसरा स्थान हासिल किया। रियो ओलंपिक 2016 के चैंपियन और कीनिया के कोन्सेसलेस किप्रुतो ने 8 मिनट 12.47 सेकेंड के साथ चौथे स्थान पर कब्जा किया। किप्रुतो भारत के साबले से एक सेकेंड के 100वें हिस्से से आगे रहे। साबले टोक्यो ओलंपिक के ब्रॉन्ज मेडलिस्ट और केन्या के बेंजामिन किगेन से आगे रहे। उन्होंने 8 मिनट 17.32 सेकेंड का समय लिया।
साबले इस समय अमेरिका के कोलोराडो में आने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप और कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारी कर रहे हैं। साथ ही बताते हैं कि 2024 ओलिंपिक तक स्टीपलचेज पर ही पूरा ध्यान रख रहे हैं। अपने करियर के मुश्किल दौर को याद कर साबले बताते हैं कि इस दौरान उन्हें लोगों ने ताने मारे। सीनियर्स ने टॉर्चर किया। ज्यादा वर्कआउट करने से उनके एंकल में चोट आ गई। इसके चलते वे 2018 एशियन गेम्स नहीं खेल पाए। एशियन गेम्स के बाद ओपन नेशनल था। उन्हें किसी भी हालत में यह खेलना था। वे इस बारे में कहते हैं, ‘मैं यही सोच रहा था कि कुछ भी कर के मुझे 2 महीने में नेशनल रिकॉर्ड ब्रेक करना है।’
अविनाश साबले ने डायमंड लीग में अपने नेशनल रिकॉर्ड को आठवीं बार तोड़ा
आर्मी को मानते हैं अपनी सबसे बड़ी ताकत
साबले इंडियन आर्मी में रहने को अपने लिए फायदेमंद बताते हैं। वे कहते हैं कि, ‘मेरी ट्रेनिंग से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है। किसी भी तरह की परिस्थिति में खुद को ढाल लेने में आसानी होती है। आर्मी ट्रेनिंग में आपको हथियार लेकर, अपना सामान लेकर 5-5 किमी दौड़ना होता है। उस हिसाब से ये दौड़ बहुत आसान है। काफी मजा भी आ रहा है।’ साबले ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि पहली बार रेस करते समय उनका मकसद किसी रिकॉर्ड को तोड़ना नहीं था। वे सेना में पदोन्नति लेने के लिए रेस में भाग लेने गए थे।
वहीं डायमंड लीग को साबले ओलिंपिक या वर्ल्ड चैंपियनशिप फाइनल के हिसाब की रेस बताते हैं। वे कहते हैं कि, ‘उससे मुझे आने वाली प्रतियोगिताओं के लिए काफी कुछ सीखने को मिलेगा। मुझे लगता है कि अगर हम हर बार वर्ल्ड लेवल की प्रतियोगिताओं में खेलेंगे तो हमारा प्रदर्शन बेहतर होगा। अगर हम ऐसी प्रतियोगिताओं में नहीं जाएंगे तो वर्ल्ड क्लास खिलाड़ियों और हममें काफी अंतर आ जाएगा। भारत में मुझे अकेले ही ट्रेनिंग करनी पड़ती थी। कोलराडो में मैं वर्ल्ड क्लास खिलाड़ियों के साथ ट्रेनिंग कर रहा हूं।’
साबले ने आर्मी में पदोन्नती के लिए की थी पहली रेस
भारतीय खेल सुविधाएं सबसे बेहतर
साबले भारतीय खेल सुविधाओं को दुनिया में सबसे अच्छा मानते हैं। उनका कहना है, ‘मुझे नहीं लगता कि जितनी सुविधाएं भारत अपने खिलाड़ियों को देता है, उतना कोई देश देता होगा। यहां लोग अपने घरों से आते हैं ट्रेनिंग करने लेकिन भारत में फेडरेशन, साई खिलाड़ियों के लिए कई सारे कैंप्स लगाते हैं, उनके रहने, खाने, ट्रेनिंग सबकी व्यवस्था होती है।’ वहीं अपनी रेस के बारे में वे कहते हैं कि, ‘हर रेस में मेरी प्रतियोगिता खुद से होती है। मैं दूसरों के रिकॉर्ड्स पर ध्यान नहीं देता। बस अपने पिछले प्रदर्शन से बेहतर प्रदर्शन करना मेरे दिमाग में होता है।’
‘पहली रेस में नहीं सोचा था यहां तक आ पाऊंगा’
साबले को बॉलीवॉल खेलना पसंद था। वे बताते हैं कि जब गांव में रहा करते थे तो दिन-दिन भर क्रिकेट खेलते थे। हालांकि, अब पिछले 4 सालों से केवल एथलेटिक्स या अपनी रनिंग पर ध्यान दे रहे हैं। साबले अपने पहली रेस को याद करते हुए कहते हैं, ‘जब मैं पहली बार भागा था तो 8.29 की दौड़ भागा था। तब मैं भी नहीं सोचता था कि 8.12 की रनिंग कर पाऊंगा। अब मुझे नहीं लगता कि सब-8 कोई मुश्किल बात है। कुछ अलग से नहीं करना पड़ता। इतना आसान भी नहीं है लेकिन कोशिश करेंगे तो मुश्किल भी नहीं होगा।’
टोक्यो ओलिंपिक में भाग ले चुके हैं साबले
साबले देश के बाहर जाकर ट्रेनिंग नहीं करने को मानते हैं अपनी सबसे बड़ी गलती
साबले इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहते हैं कि, ‘नेशनल के बाद मेरे कोच निकोलई मुझे किर्गीस्तान भेजना चाहते थे। मैं बाहर जा कर अच्छा कर पाऊंगा या नहीं, यह सोचकर मैं नहीं गया। मैं सोचता था कि मुझे भारत में ही ट्रनिंग करना है। बाहर नहीं जाना है। एशियन गेम्स के लिए मैं देश में ही ट्रेनिंग करना चाहता था। मुझे लगता है कि यह मेरी गलती है। बाहर न जाने के कारण मैं काफी पीछे रह गया। फेडरेशन ने मुझे बहुत समर्थन दिया, कई बार मुझे बाहर भेजने का प्लान किया।’
For all the latest Sports News Click Here
For the latest news and updates, follow us on Google News.