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आपकी कहानी दैनिक भास्कर ऐप पर: बैटिंग नहीं दी तो संतोष मामा पूरी रात पिच को फावड़े से खोदते रहे

4 मिनट पहले

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हमें सीरीज के शुरू करने के पहले ही दिन ढेर सारे लोगों ने अपनी-अपनी कहानियां भेजी हैं। हम ज्यादातर रोचक कहानियों को आपके सामने लाएंगे। आज की कहानी उत्तर प्रदेश के सोनभद्र के राजा पांडेय की है। आइए देखते हैं उनकी कहानी उन्हीं की जुबानी-

टूर्नामेंट में खेलने से पहले प्रैक्टिस के लिए खरीदा सचिन वाले MRF का बल्ला
गर्मियों की छुट्ट‌ियां हो चुकी थीं। दूसरे गांव में टूर्नामेंट होने वाले थे। हम लोग भी एंट्री फीस जुटाकर उसमें पार्टिसिपेट करने की तैयारी में थे। लेकिन वहां कई गांवों की तगड़ी टीमें आनी वाली थीं। इसलिए हमने सोचा कि पहले अपने गांव में ही थोड़ी प्रैक्टिस कर ली थी।

इसलिए सबसे पहले सभी ने 15-15 रुपए का इंतजाम किया। उससे दो बिकी की हरी वाली बॉल खरीदी गई थी और 1 MRF का बल्ला। असल में सचिन एमआरएफ से खेलता था और मेरे टीम के हर खिलाड़ी को लगता था कि उस बल्ले से ज्यादा रन बनते हैं।

500 मीटर दूर नल से पानी लाकर बनाई पिच
इसके बाद हमने सूख चुके तालाब में पिच बनानी शुरू की। करीब सात दिन की मेहनत के बाद पिच बनकर तैयार हुई। इसमें सबसे मेहनत से पानी ढोने में लगती थी। पिच बनाने के लिए करीब 500 मीटर दूर से बाल्टी भर-भर के पानी लाते थे। फिर ईंट से पीट-पीट कर पूरी पिच बनाई थी।

खैर मेहनत रंग लाई और एक शानदार पिच बनकर तैयारी हो गई। एकदम मजा ही आ गया। दो लड़के पास के यूकेलिप्टिस वाले जंगल से छह स्टंप काट लाए थे। पूरा ईडेन-गार्डेन टाइप का माहौल बन गया था।

जब हमने पिच का हाल देखा तो संतोष मामा का कत्ल करने मन हुआ था
हम लोग शाम करीब पांच बजे जब थोड़ी धूप कम होनी शुरू हुई तो मैदान पर पहुंचे। खेलना शुरू हुए किए थे संतोष मामा आ गए। कहने लगे कि बैटिंग करेंगे। हमने मना कर दिया। थोड़ी बहसबाजी हुई। लेकिन हम लोग बैटिंग नहीं दिए।

अब आप ही बताइए। उन्होंने न पिच बनवाई, न बैट-बॉल के लिए पैसे दिए, न स्टंप काटने गए। आखिर किस बात के लिए उन्हें बैटिंग दें। आखिर में वो चले गए। बस इतना कहकर कि दिखाता हूं तुम लोगों को।

हम लोग भी ताव में थे। हमने कहा- जाओ जो दिखाना हो दिखा लेना। उस वक्त वो चले गए। लेकिन जब अगली सुबह हमने मंजन-ब्रश करके, बोरोप्लस लगाकर, जेब में लाई-गुड़ भरे पिच पर पहुंचे तो हमें एक साथ रोना और संतोष मामा का कल्त करने जैसा गुस्सा एकसाथ आया था।

असल में हमारी पिच की हालत उन्होंने ऐसी कर दी थी। जैसे किसी खेत को बोने के लिए हल चलाने के बाद होती थी। कुछ लोगों ने बताया कि वो पूरी फावड़े से हमारी पिच खोदते रहे थे।

आज की कहानी में इतना ही। आप लोग भी अपनी सबसे रोचक कहानियां भेजिए। हम इस सेक्‍शन आपकी कहानी पब्लिश करेंगे। वॉट्सऐप नंबर ऊपर दिया हुआ है।

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