ओलिंपिक में हॉकी के सेमीफाइनल में अमृतसर के 4 खिलाड़ी: ‘शेरों की झुंड है भारतीय टीम, 31 साल पुराना रिकार्ड टूटा है, आज 1972 का इतिहास फिर दोहराया जाएगा’
अमृतसर14 मिनट पहले
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जर्मनी के खिलाफ मैदान में भारतीय हॉकी टीम।
टोक्यो ओलिंपिक में आज भारतीय पुरुष हॉकी टीम ब्रॉन्ज मेडल के लिए जर्मनी से मुकाबला कर रही है। टीम में पंजाब के अमृतसर जिले के 4 खिलाड़ी गुरजंट सिंह, दिलप्रीत सिंह, हरमनप्रीत सिंह और शमशेर सिंह खेल रहे हैं। शुरुआती 3 मिनट जर्मन टीम आक्रामक रही। उसके बाद भारतीय टीम ने मैच में वापसी की।
भारत को 5वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर मिला, लेकिन रुपिंदर पाल सिंह गोल दागने से चूक गए। पहले क्वार्टर की समाप्ति के बाद स्कोर 1-0 रहा। लेकिन दूसरे क्वार्टर में सिमरनजीत सिंह ने गोल करके स्कोर 1-1 से बराबर किया। उसके बाद जर्मनी के निकलस वेलेन ने गोल कर टीम को एक बार फिर से 2-1 की बढ़त दिला दी।
उसके कुछ ही मिनटों बाद जर्मनी ने एक और गोल दाग कर 3-1 की बढ़त ली। दूसरे क्वार्टर खत्म होने के 5 मिनट के अंदर भारत ने दो गोल कर स्कोर 3-3 की बराबरी की। भारत की ओर से दूसरा गोल हार्दिक सिंह ने पेनल्टी कॉर्नर पर दागा। वहीं हरमनप्रीत ने तीसरा गोल कर भारत को मुकाबले में 3-3 की बराबरी पर ला खड़ा किया।
भारतीय टीम ने ने 31 साल पुराने रिकार्ड को तोड़ते हुए सेमिफाइनल के लिए जगह बनाई। जज्बा सिर्फ एक, मैडल लेकर ही घर जाना है। टीम के प्लयेर अपने परिवाराें से भी फोन पर स्पष्ट कह चुके हैं कि अब 31 साल पुराना रिकार्ड ताेड़ कर अब खाली हाथ वापिस नहीं लौटना है। भारत ने आखिरी बार साल 1972 में कॉस्य पदक जीता था।
शेरों की झुंड है भारतीय हॉकी टीम
भारतीय फॉरवर्ड हॉकी खिलाड़ी दिलप्रीत सिंह के पिता व हॉकी कोच बलविंदर सिंह ने कहा कि भारत की टीम शेरों की टीम है। हर कोई जीत के लिए खेलता है, गोल्ड से चूके हैं तो क्या हुआ, टीम कांस्य पदक के लिए जी जान लगाने वाली है। यह प्लेयर नहीं शेरों का झुंड है, एक बार शिकार से चूके हैं, अब नहीं चूकने वाले।
निराश नहीं मायूस हुई थी टीम, अब और भी आक्रामक होगी
हरमनप्रीत सिंह के भाई कोमलप्रीत सिंह ने कहा कि भारतीय टीम बेल्जीयम से हारने के बाद थोड़ी मायूस जरूर हुई थी, लेकिन निराश बिल्कुल नहीं है। सोमवार ही मैच के बाद उनकी हरमनप्रीत से बात हुई है। हरमन ने साफ कहा है कि बुधवार टीम मैदान में उतरने वाली है और वे पहले से ज्यादा आक्रमक होगी।
वाहे गुरु जो करेगा अच्छा ही करेगा
गुरजंट के पिता बलदेव सिंह ने कहा कि सब उस उपर वाले के हाथों में है। अस्ट्रेलिया से हार के बाद टीम थोड़ी निराश हुई थी। उसके बाद उनकी पर्फोमेंस काबील-ए-तारीफ रही। पूरी टीम ने मेहनत दिखाई और 31 साल वाला रिकार्ड टूटा। अगर वाहेगुरु चाहेंगे तो 1972 वाला समय फिर दोहराया जाएगा और टीम मैडल लेकर ही लौटेगी।
चाचा का देहांत हुआ, लेकिन शमशेर को नहीं बताया
शमशेर सिंह के पिता हरदेव सिंह ने बताया कि बुधवार शाम ही उनके भाई का देहांत हो गया है। शमशेर का अपने चाचा के साथ प्रेम बहुत ज्यादा था। इसीलिए उसे अभी तक इसकी जानकारी नहीं दी गई है। वह पूरे देश का बेटा है और परिवार नहीं चाहता उसकी पर्फोमेंस में कोई कमी आये।
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