ओवल में WTC फाइनल, ये मैदान इंडिया के लिए खास: यहीं भारत ने इंग्लैंड को पहली बार उसके घर में हराया, गणेश चतुर्थी थी, मैदान पर हाथी भी आया
स्पोर्ट्स डेस्कएक मिनट पहले
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द ओवल, इंग्लैंड का ये क्रिकेट ग्राउंड इंडिया के लिए बेहद खास है। इस मैदान पर टीम इंडिया ने कई ऐसी यादगार परफॉर्मेंस दी हैं, जिन्होंने भारतीयों को गर्व से भर दिया। सबसे खास पल तब आया, जब रेडियो पर कान लगाए क्रिकेट फैंस हर बॉल, हर शॉट का लुत्फ उठाते थे।
1971 में भारत को आजाद हुए 24 साल बीत चुके थे। इंडिया की टीम इंग्लैंड दौरे पर आई और 3 मैचों की टेस्ट सीरीज का निर्णायक मैच ओवल के मैदान पर खेला गया। अजित वाडेकर की कप्तानी में भारत ने यह मैच और सीरीज जीती।
यह पहली बार था, जब भारत ने इंग्लैंड को इंग्लैंड में शिकस्त दी थी। इसी वजह से ओवल का मैदान इंडियन क्रिकेटर्स और फैंस के लिए किसी पवित्र जगह जैसा बन गया। इस मैदान से जुड़ी भारत की खास परफॉरमेंस…
1971 टेस्ट सीरीज जीत की कहानी
पटौदी की जगह वाडेकर कप्तान बने, वेस्टइंडीज को हराकर इंग्लैंड आए
नवाब पटौदी की जगह टीम इंडिया की कप्तानी अजित वाडेकर को सौंपी गई थी। वाडेकर की टीम ने फरवरी-मार्च के बीच वेस्टइंडीज की टीम को 5 मैचों की टेस्ट सीरीज में 1-0 से हराया था। इसके बाद टीम आई जुलाई-अगस्त में इंग्लैंड आई। सीरीज 3 टेस्ट मैच की थी। इंग्लैंड के लॉर्ड्स और मैनचेस्टर में खेले गए मुकाबले ड्रॉ रहे थे और निर्णायक मैच ओवल में 19 से 24 अगस्त के बीच हुआ।
इंग्लैंड ने पहली पारी में 355 का स्कोर बनाया, विकेटकीपर नॉट ने खेली विस्फोटक पारी
इंग्लैंड के कप्तान रे इलिंगवर्थ ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी चुनी और टीम ने 355 का स्कोर बनाया। विकेटकीपर बैटर ऐलन नॉट ने 90 रनों की पारी खेली। 11 चौके और एक छक्का लगाया। भारत की ओर से एकनाथ सोलकर ने 3 विकेट लिए। भारत ने भी टक्कर दी और 284 का स्कोर बनाया। फारुक इंजीनियर ने 59 रन की पारी खेली। इंग्लिश कप्तान इलिंगवर्थ ने 5 विकेट लिए।
चंद्रशेखर का कमाल और इंग्लैंड 101 पर ऑलआउट, रेस्टोरेंट ने सूप का नाम चंद्रशेखर रखा
दूसरी पारी में इंग्लैंड महज 101 रन पर ऑलआउट हो गई। भागवत चंद्रशेखर ने 38 रन देकर 6 विकेट लिए। इंग्लिश बल्लेबाज उनकी लेग ब्रेक और टॉप स्पिन को समझ नहीं सके। अजित वाडेकर ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में लिखा था कि चंद्रशेखर का वो स्पेल उनकी जिंदगी का यादगार स्पेल था। मैच खत्म होने के बाद एक इंडियन रेस्टोरेंट ने अपने सूप का नाम चंद्रशेखर सूप रख दिया।
173 का टारगेट मिला, वाडेकर-सरदेसाई के बाद इंजीनियर ने खेली विजयी पारी
भारत को 173 का टारगेट मिला। अजित वाडेकर (45), दिलीप सरदेसाई (40) और गुंडप्पा विश्वनाथ (33) ने अच्छी पारियां खेली। पर एक मौके पर इंडिया के 5 विकेट गिर चुके थे और क्रीज पर आए फारुक इंजीनियर। उन्होंने 28 रन की अहम पारी खेली।
विश्वनाथ के साथ साझेदारी कर टीम को जीत तक पहुंचाया। हालांकि जीत मिलने तक विश्वनाथ क्रीज पर नहीं थे। 3 रन बाकी रहते वो आउट हो गए। सैयद आबिद अली ने चौका मारकर ऐतिहासिक जीत दिलाई।
सैयद आबिद अली ने चौका मारकर टीम इंडिया को ऐतिहासिक जीत दिलाई। सीरीज जीत के बाद मैदान में मौजूद फैंस ने अली को कंधे पर उठा लिया।
एकनाथ सोलकर का सुपर कैच
एक पल ऐसा भी था, जब अजित वाडेकर के माथे पर शिकन थी। वजह थे एलन नॉट, जिन्होंने पहली इनिंग में 90 रन की पारी खेली थी। वाडेकर जानते थे कि वो जीत दूर ले जा सकते हैं। अभी नॉट ने एक रन ही बनाया था। बॉल थमाई गई वेंकटराघवन को और शॉर्ट लेग पर खड़े थे एकनाथ सोलकर। नॉट ने शॉट खेला और गेंद शॉर्ट लेग की तरफ गई। सोलकर ने यादगार कैच पकड़ा।
सोलकर ने एक आर्टिकल में लिखा था- मैं बस कूद पड़ा। गेंद उंगलियों में फंस गई और वो गिर भी सकती थी पर किसी तरह मैंने कैच पकड़ लिया। ये यादगार कैच था।
शॉर्ट लेग पर खड़े थे एकनाथ सोलकर ने नॉट का शानदार कैच पकड़ा। एलन नॉट ने पहली इनिंग में 90 रन की पारी खेली थी।
मैदान पर फैंस ले आए थे हाथी
एक और वाकया हुआ था। फाइनल डे पर गणेश चतुर्थी थी और इंडियन फैंस मैदान पर एक हाथी ले आए। फैंस इसे शुभ मान रहे थे और उन्होंने चेसिंगटन चिड़ियाघर से एक हाथी किराये पर लिया था, जो मैच के दौरान मैदान पर भी आया। इसका नाम बेला था। इंडिया मैच भी जीत गया।
टीम इंडिया को जीत दिलाने के लिए इंडियन फैंस मैदान पर हाथी लेकर आए थे।
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