क्या आखिरी बार हो रहा है IPL में मेगा ऑक्शन: फ्रेंचाइजियों की मांग अब खिलाड़ियों की नीलामी बंद हो, ड्राफ्ट से तय किए जाएं प्लेयर्स
नई दिल्ली6 घंटे पहले
IPL 2022 में खिलाड़ियों का मेगा ऑक्शन 12 और 13 फरवरी को होने वाला है। इस बार नीलामी में 10 टीमें भाग लेंगी। लगभग 2 महीने पहले जब टीमों ने BCCI को रिटेन किए गए खिलाड़ियों की लिस्ट सौंपी थी तो एक बड़ा बवाल सामने आया था
कई फ्रेंचाइजी की तरफ से ये कहा गया था कि IPL की मौजूदा व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है। टीमों ने रिटेन खिलाड़ियों की लिस्ट तो सौंप दी थी पर उनका मानना था कि अब खिलाड़ियों का मेगा ऑक्शन नहीं होना चाहिए। अब इसे खत्म करने पर विचार करना चाहिए। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि टीमों ने आखिर ऐसा क्यों कहा था और कौन-कौन सी फ्रेंचाइजी ऑक्शन को खत्म करने की मांग कर रही है और क्यों?
कोलकाता और दिल्ली ने ऑक्शन खत्म करने की वकालत की है
कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) के मुख्य अधिकारी वेंकी मैसूर और दिल्ली कैपिटल्स के पार्थ जिंदल का मानना था कि IPL का मेगा ऑक्शन अब उतनी उपयोगी नहीं रहा। दोनों अधिकारियों की मानें तो अब मेगा ऑक्शन की जरूरत नहीं है। मेगा ऑक्शन सभी के लिए एक समान नहीं रहा। लीग के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ आ रहा है, जहां आपको यह सवाल करना होगा कि क्या एक मेगा ऑक्शन की जरूरत है?
नए नियम के साथ खिलाड़ी जुड़े
दोनों अधिकारियों का कहना था कि ऐसा कोई नियम आए जिससे आने वाले नए खिलाड़ियों के लिए ड्राफ्ट तय किए जा सके या फिर आपसी सहमति से उन्हें टीम में लिया जा सके। साथ ही अगर खिलाड़ी चाहता है तो उसे लोन पर लिया जा सकता है। साथ ही हमे लंबे समय के लिए टीम बनाने की अनुमति भी मिले।
क्या होता है ड्राफ्ट सिस्टम
इंग्लैंड के ‘द हंड्रेड’ और पाकिस्तान में होने वाले टी-20 लीग (PSL) में ड्राफ्ट सिस्टम से खिलाड़ियों का चयन किया जाता है। वहां खिलाड़ियों की नीलामी नहीं होती है। ड्राफ्ट को कैटेगरी में बांटा जाता है। जैसे- प्लेटिनम, डायमंड, गोल्ड, सिल्वर। इसके बाद टीम ड्रॉ में हिस्सा लेती है। ड्रॉ के आधार पर टीमों के खिलाड़ी चुनने का क्रम होता है।
IPL में भी इसी सिस्टम को लाने की वकालत हो रही है। वहीं, कई फ्रेंचाइजी का मानना है कि फुटबॉल लीग में जिस तरह से खिलाड़ियों को साइन किया जाता है। वैसे ही हमें भी खिलाड़ियों को साइन करने की इजाजत हो। जब खिलाड़ी फुटबॉल लीग में साइन किए जाते हैं तो वे ज्यादा पैसे में लंबे समय तक टीम के साथ जुड़े रहते हैं।
फ्रेंचाइजी का मानना जल्दी खिलाड़ियों को खो देते हैं
दिल्ली की टीम 2022 के सीजन के लिए श्रेयस अय्यर, शिखर धवन, कगिसो रबाडा और रविचंद्रन अश्विन को खोना नहीं चाहती थी। इसको लेकर टीम के सह-मालिक पार्थ जिंदल ने यहां तक कह दिया था कि ये दिल तोड़ने वाला है। पार्थ के अनुसार IPL की रीटेन पॉलिसी के कारण इन खिलाड़ियों को वो अपनी टीम में नहीं रख पाए थे।
उनका मानना था कि आगे बढ़ते हुए IPL को इस पर गौर करने की जरूरत है, क्योंकि यह उचित नहीं है कि आप एक टीम बनाएं, आप युवाओं को मौका दें, आप उन्हें अपने सेट-अप के माध्यम से तैयार करें और वह किसी और टीम की ओर से खेलने लगे। खिलाड़ियों को हम अवसर देते हैं, वे हमारी फ्रेंचाइजी के लिए खेलते हैं फिर वे काउंटी या अपने-अपने देशों के लिए खेलते हैं और एक मेगा ऑक्शन आता है और हम उन्हें खो देते हैं।
फ्रेंचाइजी क्यों नहीं चाहती नीलामी लगभग सभी टीमों के पास अपनी-अपनी अकादमी है और अपनी स्काउटिंग प्रणाली है, जो युवा और अनकैप्ड प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को अपने साथ जोड़ती है और उन्हें भविष्य के लिए तैयार करती है। ये सब करने के बाद खिलाड़ियों को नीलामी में भेजना किसी टीम को अच्छा नहीं लगता। फ्रेंचाइजी चाहते हैं कि खिलाड़ियों में जो उन्होंने निवेश किया है, उसका फायदा उन्हें मिले, ना कि कोई और टीम इसका फायदा उठाए।
कई क्रिकेट एक्सपर्ट का मानना है कि फ्रेंचाइजी जो मांग कर रहे हैं। वो बिल्कुल सही है। ऑक्शन को अब खत्म कर देना चाहिए और खिलाड़ी कब तक टीम के साथ रहे ये फैसला टीम और प्लेयर का हो। अब देखना होगा कि बोर्ड टीमों की इस मांग को कितना तवज्जो देती है।
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