खेल को अलविदा कहेगी विश्व विजेता!: पंजाब सरकार पर निकाली नेशनल अवार्डी ने भड़ास, बोलीं- न नौकरी न इनाम, गूंगी-बहरी हूं इसलिए कर रहे इग्नोर
जालंधरएक घंटा पहले
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चेस की विश्व चैम्पियन मल्लिका हांडा खेल को अलविदा कहने पर सोच विचार कर रही हैं। क्योंकि वह पंजाब सरकार से काफी खफा हैं। उन्होंने वीडियो जारी करके अपनी भड़ास निकाली है। उनका कहना है कि सरकार ने उन्हें नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन उसे पूरा नहीं गया है। शायद वह गूंगी बहरी है, इसलिए इग्नोर किया जा रहा है। इतना ही नहीं खिलाड़ियों को सम्मानित करने के लिए जो कार्यक्रम रखे जाते हैं, उनमें भी उसे नहीं बुलाया जाता।
शेष दिव्यांग खिलाड़ियों को पंजाब सरकार लाखों करोड़ों रुपए दे रही है और जिसने विश्व में देश का नाम रोशन किया, उसे सिरे से नकारा जा रहा है। ऐसा सरकार इसलिए कर रही है, क्योंकि वह बोल-सुन नहीं सकती। मल्लिका पिछले साल से सरकारी नौकरी के लिए लड़ रही है, लेकिन सरकार के मंत्री अधिकारी सब आश्वासन तो देते हैं, लेकिन बात को आगे नहीं बढ़ाते। मल्लिका ने पिछले कुछ दिनों से अपने ट्वीटर हैंडल पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।
मलिका का ट्वीट जिसमें उसने अपनी भड़ास निकाली है।
अपने ट्वीट में मल्लिका ने लिखा है कि बेशक वह सुन बोल नहीं सकती, लेकिन लिख तो सकती हैं और लिख-लिख कर ही सरकार के कान खोलेंगी। ट्वीटर पर अपने वीडियो भी मल्लिका शेयर कर रही हैं और इशारों में अपनी बात कहते-कहते भावुक हो जाती हैं।
वह अपने मेडल और जीते हुए अवार्ड दिखाते हुए कहती हैं कि उसने यह सब देश के लिए किया। केंद्र सरकार ने उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा, लेकिन पंजाब सरकार उनकी कोई पूछ पड़ताल नहीं कर रही है। एक अदद नौकरी के लिए न जाने कितने प्रयास कर चुकी हैं, लेकिन अभी तक सरकार ने उन्हें कोई हाथ पल्ला नहीं पकड़ाया है।
पिछले ने कैश अवार्ड घोषित किया, नया मंत्री कह रहा प्रावधान नहीं
कांग्रेस के शासनकाल में पूर्व खेल मंत्री राणा गुरमीत सोढी ने भी मल्लिका को बकायदा पत्र लिखकर कहा था कि उन्हें कैश अवार्ड दिया जाएगा। नौकरी से सम्मानित भी किया जाएगा। जहां कहीं पर भी खिलाड़ियों को सम्मानित करने का कार्यक्रम होगा, वहां पर मल्लिका को बकायदा निमंत्रण भेज कर बुलाया जाएगा।
इसके बाद खिलाड़ियों को सम्मानित करने के लिए कार्यक्रम तय भी हुआ, निमंत्रण भी आया, लेकिन वह कोविड की भेंट चढ़ गया। कोविड से थोड़ी राहत मिली तो कैप्टन के शासनकाल में ही सम्मान समारोह आयोजित किया गया। दुर्भाग्य है कि इसके लिए न निमंत्रण पत्र आया, न सम्मान के साथ कैश अवार्ड मिला और न ही नौकरी मिली।
राणा गुरमीत सोढी की कैप्टन के बाद मंत्रिमंडल से छुट्टी हो गई और वह कांग्रेस से छिटक कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। उनकी सारी बातें और वादे हवा हवाई ही निकले। अब चन्नी सरकार बनने के बाद नए बने खेल मंत्री परगट सिंह से भी मल्लिका ने संपर्क साधा। परगट को भी सारी कहानी सुनाई।
परगट ने कहा कि उनके पास ऐसे गूंगे-बहरे दिव्यांग खिलाड़ियों को नौकरी और कैश अवार्ड देने का तो कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन फिर भी उनके मामले में विचार विमर्श करके कोई हल निकाला जाएगा। मल्लिका का कहना है कि जब अन्य खिलाड़ियों को नौकरियां उनकी परफॉर्मेंस के दम पर दी जा रही हैं तो फिर उसका केस क्यों स्वीकार नहीं किया जा रहा। वह भी 7 बार नेशनल चैम्पियनशिप खेल चुकी हैं और विश्व विजेता रह चुकी हैं। सरकार उनकी अनदेखी कैसे कर सकती है।
नेशनल अवार्ड लेने के बाद राष्ट्रपति के साथ मल्लिका हांडा।
5 साल से मूर्ख बना रही है सरकार
मल्लिका ने अपने ट्वीट में कहा कि सरकार उन्हें 5 साल से मूर्ख बनाती आ रही है। जब सरकार ने उन्हें कैश अवार्ड और नौकरी देनी ही नहीं थी तो फिर निमंत्रण क्यों भेजा गया था। कांग्रेस का पहला खेल मंत्री उन्हें सम्मान के लिए निमंत्रण भेजता है और कोविड के कारण कार्यक्रम रद्द हो जाता है। उसके बाद कार्यक्रम होता है तो सभी को सम्मानित किया जाता है और उन्हें छोड़ दिया जाता है।
अब कांग्रेस सरकार के ही नए खेल मंत्री परगट सिंह मिलने पर कहते हैं कि उनके पास सुनने बोलने में लाचार खिलाड़ियों को कैश अवार्ड से सम्मानित करने और नौकरी देने का प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार उनका मजाक उड़ा रही है। एक तरफ उसी खेल के लिए केंद्र सरकार नेशनल अवार्ड से सम्मानित करती है और दूसरी तरफ राज्य सरकार कहती है कि उनके पास कोई प्रावधान नहीं है। सरकार का यह डबल स्टैंडर्ड है।
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