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चेन्नई को IPL में सबसे कंसिसटेंट बनाने वाले 6 फैक्टर्स: 71% सीजन के फाइनल में पहुंची धोनी आर्मी, सबसे ज्यादा जीत इसी के नाम

स्पोर्ट्स डेस्क12 मिनट पहले

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चेन्नई के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (बीच में) IPL इतिहास में सबसे ज्यादा मैच जीतने वाले कप्तान हैं। डेवॉन कोन्वे इस सीजन टीम के टॉप रन स्कोरर और जडेजा टॉप विकेट टेकर हैं।

IPL के इस सीजन की शुरुआत चेन्नई सुपरकिंग्स और गुजरात टाइटंस के बीच मुकाबले से हुई। अब सीजन का आखिरी मैच भी इन्हीं दोनों टीमों के बीच आज अहमदाबाद में होगा। इन दोनों टीमों का फाइनल में पहुंचना महज संयोग नहीं है। इसके पीछे दोनों टीमों की चैंपियन वाली मानसिकता, प्लानिंग और एग्जिक्यूशन है।

इस स्टोरी में हम IPL हिस्ट्री में चेन्नई सुपरकिंग्स की कामयाबी को डिकोड करने की कोशिश करेंगे। चेन्नई चार बार खिताब जीत चुकी है और 10वीं बार फाइनल में पहुंची है। करप्शन के मामले में चेन्नई की टीम पर बैन लगा था और टीम 2 सीजन टूर्नामेंट से बाहर रही थी। यानी चेन्नई ने 14 सीजन ही खेले हैं और 10 बार खिताबी मुकाबले में पहुंच चुकी है।

मुंबई की टीम 16 साल में 6 बार फाइनल में पहुंचकर दूसरे नंबर पर है। यानी पास्ट परफॉर्मेंस के आधार पर चेन्नई के पास हर IPL के फाइनल में पहुंचने की उम्मीद 71% होती है। टीमें इस कंसिसटेंसी के साथ फाइनल तो छोड़िए प्ले-ऑफ में नहीं पहुंच पाती हैं।

चेन्नई की कामयाबी की परतें पहचानने के लिए हमने 6 अलग-अलग फैक्टर्स की पहचान की है। ये फैक्टर्स लीडरशिप, टीम, मैनेजमेंट, कोचिंग, स्ट्रैटजी और लिगेसी हैं।

शुरुआत लीडरशिप से करते हैं, धोनी शुरुआत से आज तक हैं टीम के कप्तान

धोनी की पहली खूबीः IPL इतिहास में सबसे ज्यादा मैच जीतने वाले कप्तान

चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी टीम के मेंटर, डिसिजन मेकर, विकेटकीपर और बैटिंग में फिनिशर की भूमिका निभाते हैं। कुल मिलाकर कहें तो CSK के मास्टरमाइंड धोनी ही हैं। मैदान के अंदर से लेकर बाहर तक टीम की पूरी स्ट्रैटजी और मैनजमेंट धोनी के ही इर्द-गिर्द घूमती है। धोनी ही ऑक्शन से पहले खिलाड़ियों की खरीदी की प्लानिंग भी करते हैं।

2008 से CSK की कप्तानी कर रहे धोनी ने 224 में से 211 मैचों में टीम की कमान संभाली है। उन्हें 127 में जीत और महज 82 मैचों में हार मिली, 2 मैच बेनतीजा रहे। 13 मैचों में सुरेश रैना और रवींद्र जडेजा ने भी कप्तानी की, लेकिन दोनों मिलकर भी टीम को 4 ही मैच जिता सके। IPL इतिहास में

धोनी के अलावा कोई भी अन्य कप्तान 100 जीत हासिल नहीं कर पाया है। नंबर-2 पर मौजूद रोहित शर्मा को 158 मुकाबलों में से 87 में जीत मिली है।

दूसरी खूबीः एवरेज टीम को खास बनाते हैं MSD
IPL की बाकी टीमें जहां मैच विनर्स खरीदने पर फोकस करती हैं। वहीं, CSK अनुभवी, गुमनाम और घरेलू खिलाड़ियों पर भरोसा कर टूर्नामेंट में बेहतर प्रदर्शन करती है।

CSK में इस वक्त धोनी के अलावा रवींद्र जडेजा और मोइन अली ही ऐसे खिलाड़ी हैं, जिनके पास 70 से ज्यादा टी-20 इंटरनेशनल मैचों का अनुभव है। मोइन को इस सीजन ज्यादा मौके नहीं मिले, खुद धोनी ने भी इस बार 56 ही गेंदें खेलीं। जडेजा ने जरूर अच्छा परफॉर्म किया।

इस सीजन टीम के टॉप परफॉर्मर तुषार देशपांडे, मथीश पथिराना, महीश तीक्षणा, अजिंक्य रहाणे, शिवम दुबे, दीपक चाहर, ऋतुराज गायकवाड और डेवोन कॉन्वे रहे। इनमें से कम ही खिलाड़ियों को टी-20 इंटरनेशनल में स्पेशलिस्ट के रूप में गिना जाता है, बावजूद इसके टीम ने सबसे पहले फाइनल में जगह बनाई।

तीसरी खूबीः CSK को 4 IPL, 2 CLT-20 ट्रॉफी जिताई
धोनी बेहद शांत और कूल कैप्टन कहलाते हैं, क्योंकि मैच में किसी भी तरह की सिचुएशन में वह अपने इमोशंस पर कंट्रोल बहुत जल्दी नहीं खोते। टीम के सभी खिलाड़ी उनके फैसलों का सम्मान भी करते हैं और यही वजह है कि मैच के दौरान धोनी के अलावा टीम के किसी भी खिलाड़ी का एग्रेसिव अप्रोच फील्ड पर नजर नहीं आता। इसीलिए टीम ने IPL में सबसे ज्यादा 6 बार फेयर प्ले अवॉर्ड भी जीता है। ये अवॉर्ड खेल भावना बनाए रखने के लिए दी जाती है।

धोनी की कप्तानी में चेन्नई ने 14 सीजन में 12वीं बार प्लेऑफ में जगह बनाई। इनमें भी टीम आज 10वां फाइनल खेलने जा रही है। CSK ने धोनी की ही कप्तानी में 2010, 2011, 2018 और 2021 में IPL खिताब भी जीते हैं।

धोनी ने 2009 से 2015 के दौरान दुनियाभर की फ्रेंचाइजी टीमों के बीच होने वाली चैंपियंस लीग में भी CSK को 2 बार चैंपियन बनाया है। उन्होंने 2010 और 2014 में ये कारनामा किया था। यानी धोनी ने CSK को कुल 6 ट्रॉफी जिताई हैं।

चौथी खूबीः बैन के बाद टाइटल विनिंग कमबैक कराया
2016 और 2017 में चेन्नई सुपर किंग्स 2 साल के लिए बैन कर दी गई। टीम मालिक के बेटे मैच फिक्सिंग और बेटिंग से जुड़े मामलों में दोषी पाए गए थे। लेकिन 2018 के कमबैक सीजन में ही CSK ने SRH को हराकर ट्रॉफी तीसरी बार IPL ट्रॉफी उठा कर फिर से खुद को साबित कर दिखाया।

2019 में भी टीम फाइनल में पहुंची, लेकिन मुंबई के खिलाफ महज एक रन से हार कर ट्रॉफी से दूर रह गई।

2020 में टीम पहली बार प्लेऑफ में क्वालिफाई नहीं कर सकी। टीम 8 टीमों के पॉइंट्स टेबल में 7वें नंबर पर रही। इस खराब सीजन से उभरकर टीम ने कमबैक किया और 2021 के फाइनल में KKR को हराकर अपना चौथा खिताब जीत लिया।

2022 में भी टीम 10 टीमों के पॉइंट्स टेबल में 9वें नंबर पर रही थी और इस बार टीम फाइनल में पहुंचने वाली पहली टीम बनी।

पांचवीं खूबीः खुद से आगे टीम को रखते हैं
2022 में मेगा ऑक्शन होने थे। एक टीम ज्यादा से ज्यादा 4 ही प्लेयर्स को रिटेन कर अपने साथ रख सकती थी। ऐसे में धोनी ने कहा कि CSK उन्हें रिलीज कर 4 इम्पोर्टेंट प्लेयर्स को रिटेन करे। टीम उन्हें ऑक्शन में कम कीमत में भी खरीद कर अपने साथ रख सकती है।

CSK मैनेजमेंट ने धोनी की बात नहीं मानी और उन्हें ऑक्शन से पहले 12 करोड़ रुपए देकर रिटेन किया, क्योंकि मैनेजमेंट धोनी को दूसरी बार ऑक्शन में नहीं देखना चाहती। हालांकि धोनी के ही कहने पर मैनेजमेंट ने रवींद्र जडेजा को टीम के सबसे महंगे खिलाड़ी के रूप में रिटेन किया। जडेजा को टीम 16 करोड़ रुपए की रकम देती है।

छठी खूबीः टीम में ज्यादा बदलाव नहीं करते
धोनी अपनी प्लेइंग-11 और स्क्वॉड में ज्यादा बदलाव पर जोर नहीं देते। यही कारण है कि उन्होंने इस सीजन 15 में से 10 मैचों में अपनी प्लेइंग-11 और इम्पैक्ट प्लेयर नहीं बदले। उम्मीद है कि CSK क्वालिफायर-1 में खेलने वाली टीम के साथ ही फाइनल में भी उतरेगी।

एक ही प्लेइंग-11 खिलाने से खिलाड़ी टीम में खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। एक या दो खराब परफॉर्मेंस पर उन्हें टीम से निकाला नहीं जाता, ऐसे में प्लेयर्स खुलकर खेलते हैं और अपना बेस्ट देते हैं।

अब दूसरा फैक्टर- टीम में कितना दम है?

उन आंकड़ों को पढ़िए जो इस सीजन में टीम की ताकत बताते हैं

  • ओपनर्स ऋतुराज गायकवाड और डेवोन कॉन्वे ने इस सीजन 14 पारियों 775 रन की पार्टनरशिप की है। दोनों ही टीम के टॉप रन स्कोरर भी हैं। कॉन्वे ने 625 तो वहीं गायकवाड ने 564 रन बनाए हैं। उनके बाद बाद शिवम दुबे और अजिंक्य रहाणे ने भी 155 से ज्यादा के स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं। आखिर में मोईन अली, रवींद्र जडेजा और महेंद्र सिंह धोनी ने पूरे सीजन टीम को शानदार फिनिश दिया है।
  • गेंदबाजी में दीपक चाहर ने पावरप्ले, रवींद्र जडेजा ने मिडिल ओवर्स और मथीश पथिराना ने डेथ ओवर्स में बेहतरीन गेंदबाजी की। CSK ने पावरप्ले में इस सीजन RCB के बाद सबसे ज्यादा 27 विकेट लिए हैं। 16 से 20 ओवर्स के बीच टीम ने सबसे ज्यादा 41 विकेट लिए हैं। वहीं 7 से 15 ओवरों के बीच जडेजा 19 विकेट ले चुके हैं। इनके अलावा महीश तीक्षणा और तुषार देशपांडे भी टीम की कोर स्ट्रेंथ का पार्ट है। देशपांडे 21 और तीक्षणा 11 विकेट ले चुके हैं।

टीम के साथ खिलाड़ी जुड़ता है तो फिर जल्दी जाता नहीं
CSK के स्क्वॉड में ज्यादा बदलाव नहीं होते। टीम अगर ऑक्शन के नियमों की मजबूरी में खिलाड़ियों को रिलीज भी करती है तो उसकी कोशिश होती है उन्हें फिर से टीम में जोड़ा जाए। धोनी 2008 तो वहीं जडेजा 2012 से टीम का हिस्सा हैं। इनके अलावा अंबाती रायडु, दीपक चाहर, मोइन अली और मिचेल सैंटनर भी 5 या इससे ज्यादा सीजन से टीम में शामिल हैं।

रैना, ब्रावो जैसे खिलाड़ी 10 से ज्यादा साल खेले
टीम के पूर्व खिलाड़ियों में सुरेश रैना 12, ड्वेन ब्रावो 10 साल तक टीम का हिस्सा रहे। दोनों ही खिलाड़ियों ने CSK से आखिरी मैच खेलने के बाद रिटायरमेंट ले लिया।

वहीं फाफ डु प्लेसिस और रविचंद्रन अश्विन जैसे खिलाड़ी 7 साल तक टीम का हिस्सा रहने के बाद दूसरी IPL टीमों में गए। क्योंकि IPL रिटेंशन पॉलिसी के तहत 4 ही खिलाड़ियों को रिटेन किया जा सकता था। ऐसे में टीम को मजबूरी में इन खिलाड़ियों को छोड़ना पड़ा। इनके अलावा माइकल हसी और सुब्रमण्यम बद्रीनाथ जैसे खिलाड़ी भी 6 सीजन तक टीम का हिस्सा रहे हैं।

तीसरा फैक्टर: फ्रेंचाइजी का मैनेजमेंट कैसा है

फैमिली की तरह रखते हैं खिलाड़ियों को
CSK का मालिकाना हक इंडिया सीमेंट्स के पास है, जिसे BCCI के पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन लीड करते हैं। CSK से पहले इंडिया सीमेंट्स तमिलनाडु स्टेट टीम को भी स्पॉन्सर कर चुकी है। ऐसे में श्रीनिवासन और इंडिया सीमेंट्स को पहले से क्रिकेट टीम मैनेज करने का एक्सपीरियंस था।

CSK में भी उन्होंने अपनी फिलोसोफी को आगे बढ़ाया और खिलाड़ियों को फैमिली की तरह फील कराया। टीम के खिलाड़ियों को समय-समय पर बोनस दिया जाता है। पिछले दिनों 20 साल के युवा पेसर मथीश पथिराना के साथ महेंद्र सिंह धोनी का फोटो सामने आया था। धोनी ने पथिराना के परिवार से मुलाकात की, जो बताता है कि कप्तान तक अपने टीम के नए से नए खिलाड़ी का ध्यान रखता है।

RCB के डु प्लेसिस भी कर चुके हैं तारीफ
7 साल तक CSK का हिस्सा रहे साउथ अफ्रीका के फाफ डु प्लेसिस अब RCB के कप्तान हैं। उन्होंने अपनी बायोग्राफी ‘फाफ थ्रू फायर’ में CSK से जुड़ी एक स्टोरी शेयर कर की थी।

उन्होंने लिखा, ‘CSK मेरे लिए टीम से बढ़कर है। मेरी बड़ी बेटी को एक बार टायफॉइड हो गया। मैं अपनी पत्नी के साथ हॉस्पिटल में था। तब CSK स्टाफ और डॉक्टर्स भी वहां पहुंच गए। उन्होंने मेरी बेटी की देखभाल उनकी जिम्मेदारी समझ कर की। मुझसे ज्यादा चिंता तो उनके चेहरों पर थी। एक बार इसी चक्कर में मैं मैच के लिए ग्राउंड पहुंचने में लेट हो गया था। तब भी टीम ने मेरी पत्नी और बेटी के बारे में पहले पूछा। टीम की यही बात मुझे सबसे ज्यादा पसंद आई।’

जडेजा, चाहर को जाने नहीं दिया
रवींद्र जडेजा को पिछले सीजन टीम का कप्तान बनाया गया। उन्होंने 11 मैचों में कप्तानी की, लेकिन टीम को 2 ही जीत मिली। तब धोनी ने फिर से कमान संभाली। इस दौरान CSK टीम जडेजा को हटाने के पक्ष में थी, लेकिन धोनी ने जडेजा का बचाव किया और उन्हें ऑक्शन से पहले रिटेन करवाया।

ऐसा ही कुछ दीपक चाहर के साथ भी देखने को मिला। मेगा ऑक्शन में CSK चाहर को रिटेन नहीं कर सकी थी, ऐसे में टीम ने ऑक्शन में उन पर 14 करोड़ रुपए की बोली लगाकर उन्हें टीम का हिस्सा बनाए रखा।

चौथा फैक्टरः कोचिंग की कमान किनके हाथ है?

कप्तान तो दूर की बात हेड कोच तक नहीं बदलते
2008 से अब 16वें सीजन तक धोनी ही टीम के कप्तान हैं। बीच में जडेजा और रैना ने जरूर कप्तानी की, लेकिन टीम अब भी धोनी को ही लीडरशिप थमाए हुए हैं। कप्तान तो ठीक ही है, टीम ने 2009 से न्यूजीलैंड के स्टीफन फ्लेमिंग को ही अपना हेड कोच भी बना रखा है।

2008 में फ्लेमिंग ने CSK से एक सीजन IPL भी खेला है। तब केप्लर वेजल्स हेड कोच थे। फ्लेमिंग और धोनी की कम्बाइन्ड लीडरशिप में टीम ने 4 खिताब जीते हैं। CSK सपोर्ट स्टाफ में फ्लेमिंग के अलावा बॉलिंग कोच के रूप में ड्वेन ब्रावो, बैटिंग कोच के रूप में माइकल हसी और बॉलिंग कंसल्टेंट के रूप में एरिक सिमंस हैं। ब्रावो और हसी दोनों ही CSK टीम का हिस्सा भी रहे थे।

CSK टीम फ्लेमिंग और धोनी की कम्बाइन्ड स्ट्रैटजी पर काम करती है। फ्लेमिंग ने एक इंटरव्यू में बताया था, ‘IPL से एक महीने पहले टीम की ट्रेनिंग शुरू हो जाती है, इसमें प्लेयर्स को टेक्नोलॉजी का सहारा लेकर हार्ड कोर ट्रेनिंग दी जाती है। टूर्नामेंट के दौरान जब तक टीम मैच जीत रही होती है, तब तक बदलाव नहीं किए जाते। ट्रेनिंग में खिलाड़ियों को उनके रोल क्लीयर होते हैं, मैच में फिर वह उसी हिसाब से परफॉर्म भी करते हैं।’

पांचवां फैक्टरः CSK की स्ट्रैटजी क्या होती है?

  • होम ग्राउंड को गढ़ बनाया: IPL में होम-अवे फॉर्मेट CSK का मजबूत पक्ष है। टीम चेन्नई के चेपॉक स्टेडियम में ज्यादातर बार स्पिन पिचें बनवाती हैं और दूसरी टीमों को रन बनाने से रोकती हैं। यहां टीम ने अब तक 64 मैच खेले हैं और 45 में जीत हासिल की। एक मुकाबला टाई रहा, वहीं महज 18 ही मैचों में टीम को हार मिला। टीम ने होम ग्राउंड पर 70.31% मैच जीते। इस सीजन भी टीम ने यहां 8 में से 5 मैच जीते, इनमें क्वालिफायर-1 में गुजरात के खिलाफ जीत भी शामिल है। होम ग्राउंड के अलावा अवे वेन्यू पर टीम ने 160 मुकाबले खेले हैं। यहां भी टीम ने 53.12% मैच जीते हैं। टीम को महज 73 में ही हार का सामना करना पड़ा।
  • टॉप क्लास ओपनर्स की कमी नहीं: गायकवाड और कॉन्वे इस सीजन 775 रन की पार्टनरशिप कर चुके हैं। लेकिन यह पहली बार नहीं है जब CSK के ओपनर्स चले। इन दोनों से पहले शेन वॉटसन, डु प्लेसिस, ब्रेंडन मैक्कुलम, ड्वेन स्मिथ, माइकल हसी, मैथ्यू हेडन, मुरली विजय जैसे टॉप क्लास ओपनर्स टीम को मजबूत शुरुआत दिलाते आए हैं।
  • डेथ ओवर स्पेशलिस्ट: CSK में लंबे समय तक ड्वेन ब्रावो ने 14 से 20 ओवरों के बीच टीम की बागडौर संभाली। उन्होंने टीम के लिए इन ओवरों में 95 विकेट निकाले। उनके रिटायर होने के बाद टीम ने अब श्रीलंका के मथीश पथिराना को खरीदा, जो इस सीजन 16 से 20 ओवरों के बीच सबसे ज्यादा 16 विकेट ले चुके हैं और लगातार खतरनाक होते जा रहे हैं।
  • स्पिनर्स: होम-अवे फॉर्मेट में हर टीम अपने घर में 7 मैच खेलती है। CSK ने चेपॉक पर लंबे समय तक स्पिन पिचें बनाईं और टीम में हर बार टॉप क्लास स्पिनर्स भी रहे हैं। रविचंद्रन अश्विन, मुथैया मुरलीधरन, इमरान ताहिर, हरभजन सिंह, पीयूष चावला के बाद अब टीम में जडेजा, मोईन और तीक्षणा हैं। जडेजा तो इस सीजन 7 से 15 ओवरों के बीच 19 विकेट भी ले चुके हैं।
  • अनुभवी खिलाड़ी: CSK ऑक्शन में हमेशा ही अनुभवी और स्किलफुल प्लेयर्स को खरीदने पर फोकस करती है। इस सीजन भी 25 मेंबर्स के स्क्वॉड में टीम के 7 ही खिलाड़ियों की उम्र 25 से कम है। बाकी 18 खिलाड़ियों की उम्र 25 से ज्यादा है। 8 खिलाड़ी 26 से 29 उम्र के बीच के हैं, वहीं 10 खिलाड़ियों की उम्र 30 से ज्यादा है। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी खुद 41 साल के हैं। टीम की औसत उम्र वैसे तो 27 है, लेकिन प्लेइंग-12 की के खिलाड़ियों की औसत उम्र 31 है। यानी टीम में ज्यादतर खिलाड़ी 30 से ज्यादा उम्र के ही खेलते हैं।
  • गुमनाम खिलाड़ियों का बेस्ट निकलवाया: CSK ने शेन वॉटसन, आशीष नेहरा, रॉबिन उथप्पा, हरभजन सिंह, इमरान ताहिर, अजिंक्य रहाणे, इरफान पठान, पीयूष चावला और अंबाती रायडु जैसे प्लेयर्स को उस वक्त अपनी टीम में शामिल किया, जब बाकी टीमों ने इन्हें पूरी तरह छोड़ दिया। चेन्नई ने इन अनुभवी खिलाड़ियों को रखा और उन्होंने टीम के लिए बेस्ट प्रदर्शन कर के दिखाया। वॉटसन 2018 के फाइनल में प्लेयर ऑफ द मैच रहे थे। वहीं रहाणे इस सीजन 160 से ज्यादा के स्ट्राइक रेट से रन बना रहे हैं। यही काम पिछले सीजन उथप्पा ने किया था। रायडु ने 2018 और 2021 में CSK की टाइटल जीत में अहम भूमिका निभाई थी।
  • नेट रन रेट भी जरूरी मानते हैं: इस सीजन के चौथे मैच में राजस्थान के खिलाफ 3 रन से हार के बाद धोनी ने कहा था कि वह मैच को आखिर ओवर तक ले जाकर जीत का अंतर कम करना चाह रहे थे। क्योंकि सीजन के आखिर में यही सबसे ज्यादा मायने रखता है। CSK हर सीजन में इस बात का भी ध्यान भी रखती है क्योंकि 14 में से 11 सीजन में टीम का रन रेट भी टॉप-3 टीमों में ही रहा है।

6. आखिरी फैक्टर, CSK की लिगेसी क्या है, यानी टीम किस बात के लिए जानी जाती है?

IPL की सबसे कंसिस्टेंट टीम
IPL में कंसिस्टेंसी का नाम आते ही चेन्नई सुपर किंग्स का नाम सबसे पहले दिमाग में आता है। टीम ने 14 सीजन के 12 प्लेऑफ में जगह बनाई। इनमें भी आज टीम 10वां फाइनल खेलेगी और टीम ने 4 बार ट्रॉफी भी जीती है। सबसे ज्यादा ट्रॉफी के मामले में वैसे तो टीम दूसरे नंबर पर है, लेकिन सबसे ज्यादा प्लेऑफ और फाइनल खेलने के मामले में टीम टॉप पर है।

रिटायर्ड भज्जी, रैना और उथप्पा भी CSK फैन
IPL से रिटायर हो चुके CSK के पूर्व खिलाड़ी सुरेश रैना, हरभजन सिंह और रॉबिन उथप्पा भी चेन्नई फैन हैं। तीनों कई बार कॉमेंट्री करते हुए इस बात का जिक्र कर चुके हैं। रैना ने CSK से 12 साल क्रिकेट खेला है। लेकिन चेन्नई से 2 ही सीजन खेलने वाले उथप्पा और हरभजन भी मौका आने पर चेन्नई को सपोर्ट करते हैं। हरभजन ने मुंबई से 3 और उथप्पा ने कोलकाता से 2 ट्रॉफी जीती है, लेकिन उन्हें भी CSK फैमिली से बहुत प्यार है।

व्हिसल पोडू आर्मी
चेन्नई सुपर किंग्स के फैंस को व्हिसल पोडू आर्मी कहते हैं। टीम के फैंस चेपॉक में तो सपोर्ट करने पहुंचते ही हैं, दूसरी टीमों के ग्राउंड पर भी कई बार CSK फैंस का ही दबदबा नजर आता है। इस बार तो लगभग हर ग्राउंड यलो फ्लैग्स और ‘धोनी…धोनी…’ के नारों से ही गूंजता नजर आया।

CSK ने IPL के अपने 14 सालों में पूर्व खिलाड़ियों, फैंस और विपक्षी टीमों में अपनी छाप बखूबी छोड़ी है। आज CSK फाइनल जीते या न जीते, लेकिन अपनी लिगेसी को जरूर हर तरफ एस्टैब्लिश कर चुकी है।

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