जयपुर की बेटी अवनि ने रचा इतिहास: 1 ओलंपिक में दो मेडल जीतने वाली देश की पहली खिलाड़ी बनी अवनि, 11 साल की उम्र में एक्सीडेंट, उधार राइफल से पहला मेडल जीत बनाया रिकॉर्ड
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- 1 Avani Became The First Player Of The Country To Win Two Medals In The Olympics, Accident At The Age Of 11, Created The Record For Winning The First Medal With A Borrowed Rifle
जयपुर6 मिनट पहले
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अवनि लेखरा
टोक्यो पैरालंपिक में जयपुर की बेटी अवनि लेखरा ने गुरुवार को 50 मीटर एयर राइफल प्रतियोगिता में ब्रॉन्ज मेडल जीत नया कीर्तिमान बना दिया है। अवनि ने ब्रॉन्ज मेडल जीत जहां भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर दिया है। वहीं देश में भी एक अनूठा रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। इससे पहले अवनि एयर राइफल 10 मीटर प्रतियोगिता में भी गोल्ड जीत चुकी है। ऐसे में किसी एक ओलंपिक में पैरालंपिक में दो मेडल जीतने वाली अवनी भारत की पहली खिलाड़ी बन गई है।
अवनि की जीत के बाद जयपुर में शास्त्री नगर स्थित उनके घर में परिजनों ने नाच गाकर जश्न मनाया। इस दौरान अवनि के परिवार ने बताया कि वो खेल के साथ पढ़ाई में भी अव्व्ल है। अवनि के दादा जीआर लेखरा ने बताया कि अवनि का जयपुर से टोक्यो तक का सफर काफी संघर्ष भरा है। अवनि ने हिम्मत और लगातार मेहनत करके सभी बाधाओं को हराकर कामयाबी हासिल की है।
2012 में महाशिवरात्रि के दिन अवनि का एक्सीडेंट हो गया। जिससे उसको पैरालिसिस हो गया। तब वह पूरी तरह हिम्मत हार चुकी थी। अपने कमरे से भी बाहर नहीं निकलती थी, लेकिन हम सभी ने उसे हिम्मत दी। उसके माता-पिता की महत्वपूर्ण भूमिका रही। उसकी मेहनत का ही नतीजा है कि वह दुनियाभर में भारत नाम रोशन कर रही है।
जज बनना चाहती हैं अवनि
परिवार ने बताया कि शूटिंग में इतिहास रचने वाली अवनि लेखरा पढ़ाई में भी काफी होशियार है। परिजनों ने बताया कि उसे किताबें पढ़ने का काफी शौक है। हर दिन अवनि खेल के साथ पढ़ने में भी काफी वक्त बिताती है। अवनि के भाई अरनव ने बताया कि फिलहाल वह आरजेएस की तैयारी कर रही हैं, ताकि वह जज बन न्याय कर सके।
अवनि की दादी ने बताया कि अवनि अपने परिवार में सबसे लाडली है माता पिता और दादी के साथ भुआ-चाचा और हर रिश्तेदार से अवनि का गहरा नाता है। ऐसे में आज जब अवनि ने गोल्ड जीता है। तो पूरे परिवार में दीपावली जैसी खुशियां मनाई जा रही है।
पिता ने शूटिंग रेंज के पास घर खरीदा
अवनि के दादा जीआर लेखरा ने कहा- अवनि को जगतपुरा में शूटिंग रेंज प्रेक्टिस करने के लिए जाना पड़ता था। ऐसे में उसके पिता ने जगतपुरा में ही घर खरीद लिया था। बेटी को प्रैक्टिस के लिए सहूलियत मिली।
भाई ने कहा, बहुत संघर्ष किया है मेरी बहन ने
अवनि के भाई अरनव ने भास्कर से कहा- कि शूटिंग देखने में और सुनने में जितना आसान दिखता है। असलियत में यह इतना आसान खेल नहीं है। मेरी बहन को इसे सीखने और शुरू करने में काफी संघर्ष करना पड़ा है। शुरुआत में हमें कुछ गैजेट्स के नाम तक नहीं पता थे। जिन्हें हमने बाहर से मंगवाया और उसी का नतीजा है कि आज अवनि ने गोल्ड जीत अपने संघर्ष को पहचान दी है।
पहली बार अवनि के संघर्ष की कहानी PHOTOS में:11 साल की उम्र में एक्सीडेंट, उधार राइफल से पहला मेडल जीत बनाया रिकॉर्ड; कमजोरी को ताकत बना बढ़ाया देश का गौरव
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