जैवलिन थ्रो के फाइनल में हरियाणा के नीरज चोपड़ा: दादा बोले- पदक लाएगा तो गोद में उठाऊंगा; चाचा ने बताया- एक साल से फोन बंद, हफ्ता पहले मैनेजर के जरिए बात हुई थी
पानीपत3 मिनट पहले
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जेवलिन थ्रोअर नीरज चाेपड़ा का फाइल फोटो।
- पहले ही प्रयास में 86.65 मीटर भाला फेंककर किया फाइनल के लिए क्वालिफाई
टोक्यो ओलंपिक से बुधवार की सुबह एक अच्छी खबर आई। देश के स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा ने जैवलीन थ्रो के फाइनल में जगह बना ली है। नीरज के सामने फाइनल में पहुंचने के लिए क्वालिफाइंग राउंड में 83.5 मीटर का टारगेट था, लेकिन नीरज चोपड़ा ने 86.65 का थ्रो करके फाइनल में धमाकेदार एंट्री पाई। जबकि नीरज का रिकॉर्ड 88.07 मीटर का है। क्वालिफाइंग राउंड के ग्रुप ए में नीरज चोपड़ा टॉप पर रहे। 7 अगस्त को फाइनल मुकाबला होगा।
किसानों के परिवार से हैं नीरज चोपड़ा
नीरज चोपड़ा हरियाणा के पानीपत जिले के मतलौडा ब्लॉक के गांव खंडरा निवासी हैं। इनके पिता नीरज चोपड़ा किसान हैं और मां सरोज देवी गृहिणी हैं। दो छोटी बहनें संगीता और सरिता हैं। वहीं दादा धर्म सिंह और चाचा भीम चोपड़ा हैं। चाचा भीम चोपड़ा ने ही नीरज को जैवलिन थ्रो में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्हीं के प्रोत्साहन और समर्थन का परिणाम है कि आज नीरज देश का स्टार एथलीट है।
साथ बैठकर नीरज चोपड़ा का मुकाबला देखता पूरा परिवार।
सुबह-सवेरे परिवार ने की मंदिर में पूजा
नीरज के चाचा भीम चोपड़ा ने बताया कि सवेरे साढ़े 5 बजे नीरज का मुकाबला था तो परिवार उससे पहले जाकर मंदिर में पूजा कर आया था। उसके बाद भी मां घर में नाम जपती रहीं। इसके बाद सभी ने बैठकर मुकाबला देखा।
एक साल से बंद है नीरज का फोन
चाचा ने बताया कि ओलिंपिक में पदक जीतने के लिए नीरज ने जी तोड़ मेहनत की है। एक साल से तो उसका फोन बंद है। हफ्ता पहले हमारी वीडियो कॉल से उससे बात हुई थी, वो भी मैनेजर के फोन से। उसके बाद बात ही नहीं हुई।
नीरज के दादा धर्म सिंह और चाचा भीम चोपड़ा।
दादा को पोते से मेडल की आस
नीरज के दादा धर्म सिंह पोते का खेल देखकर बेहद खुश हैं। उन्होंने भी परिवार के साथ बैठकर मुकाबला देखा। वे कहते हैं कि मेरा पोता बहुत मेहनती है। वह ओलिंपिक खेलने गया है और पदक लेकर लौटेगा। फिर मैं उसे गोद में उठा लूंगा।
भाई-बहनों के लिए प्रेरणा है नीरज
चाचा ने बताया कि नीरज के 10 भाई-बहन हैं। दो अपनी सगी बहनें हैं और बाकी चचेरे और ममेरे। नीरज सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। क्योंकि उसको देखकर अब सभी रोज मिलकर स्टेडियम जाते हैं और रुचि के अनुसार खेलों का अभ्यास करते हैं।
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