झांसी के हेड कांस्टेबल का बेटा खेलेगा IPL: सीनियर खिलाड़ियों की छोड़ी हुई गेंद से करते थे प्रैक्टिस; दिल्ली की फैक्ट्री में पार्ट टाइम जॉब भी किया
झांसी13 घंटे पहले
झांसी के रहने वाले कुमार कार्तिकेय सिंह IPL खेलने जा रहे हैं। उनके पिता श्याम नाथ सिंह झांसी में ही हेड कांस्टेबल हैं। दरअसल, मोहम्मद अरसद खान के चोटिल होने के बाद गुरुवार को मुंबई इंडियंस ने कार्तिकेय को टीम में शामिल किया गया है। 30 अप्रैल को मुंबई इंडियंस और राजस्थान रॉयल्स के बीच मैच होना है। कुमार कार्तिकेय बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाज हैं।
इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने काफी संघर्ष किया। दिल्ली की एक फैक्ट्री में पार्ट टाइम जॉब की, ताकि अपना खर्च उठा सकें। गेंद खरीदने के रुपए नहीं थे। इसलिए सीनियर खिलाड़ियों की छोड़ी गेंद से ही प्रैक्टिस करते थे।
कार्तिकेय को किसी फ्रेंजाइजी ने खरीदा नहीं था
कार्तिकेय ने कैसे IPL तक सफर तय किया, ये पढ़वाने से पहले आपको बता दें कि खिलाड़ियों की नीलामी लिस्ट में नाम शामिल होने के बावजूद उनको किसी ने खरीदा नहीं था। उनका बेस प्राइज 20 लाख रुपए था। इसके बावजूद, एक घटना ने उनकी एंट्री मुंबई इंडियंस में करवा दी है। जब मोहम्मद अरसद खान चोटिल हो गए। जबकि कार्तिकेय का घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन रहा था। वो मुंबई इंडियंस टीम को नेट प्रैक्टिस करवा चुके हैं।
कार्तिकेय ने खुद बनाया IPL तक पहुंचने का रास्ता
प्रैक्टिस के दौरान पूर्व भारतीय खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर कार्तिकेय को क्रिकेट की बारीकियों के बारे में बताते हुए।
IPL तक का सफर कार्तिकेय के लिए आसान नहीं था। उनके पिता श्याम कहते हैं कि शुरुआत में उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। यूपी के सुल्तानपुर के गांव क्वार्सी के रहने वाले श्याम नाथ सिंह फिलहाल झांसी पुलिस लाइन में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात हैं। वर्तमान में उनका परिवार कानपुर में रहता है।
जब उन्हें अपने बेटे के क्रिकेट के जुनून के बारे में पता चला। तब वो 14 साल पहले सीतापुर में थे। उस वक्त लेदर की बॉल महंगी होती थी। कभी ध्यान ही नहीं गया कि कार्तिकेय को प्रैक्टिस के लिए बॉल नहीं मिलती थी। इसलिए वो सीनियर खिलाड़ियों की छोड़ी हुई गेंद इकट्ठी कर लेता था। उन्हीं से दिन के 10 घंटे प्रैक्टिस करता था।
झांसी में कार्तिकेय के कोच लेखचंद गुप्ता कहते हैं कि उसके जुनून को देखकर उन्होंने एक बार श्याम से कहा कि आपका बेटा पागल हो गया है। जब सभी खिलाड़ी मैदान से चले जाते हैं। तब भी वो एक स्टंप लगाकर प्रैक्टिस करता रहता है।
दिल्ली पहुंचे, एक फैक्ट्री में पार्ट टाइम जॉब की
पिता श्याम कहते हैं कि उस वक्त हमारे पास कार्तिकेय को देने के लिए रुपए नहीं होते थे। इसलिए उसका खर्च कोच भारद्वाज ही उठाते थे।
कार्तिकेय का पहला क्रिकेट प्रदर्शन सीतापुर में हाई स्कूल में पढ़ाई के दौरान सामने आया था। जब अंतर जनपदीय क्रिकेट टूर्नामेंट में उसने शानदार पारी खेली थी। तब श्याम ने अपने बेटे को कानपुर की क्रिकेट अकादमी में ज्वाइन करवा दिया। फिर उन्होंने एडीजी कानपुर जोन के सामने पेश होकर अपना ट्रांसपर भी सीतापुर से कानपुर करवा लिया। ताकि बेटे के क्रिकेट करियर में मदद कर सकें।
इसके बाद दिल्ली की एलबी शास्त्री क्रिकेट अकादमी में भेजा गया। जहां कोच एनएस भारद्वाज ने कार्तिकेय से सिर्फ एक गेंद पिच पर फेंकवाई और सिलेक्ट कर लिया। श्याम कहते हैं कि उस वक्त हमारे पास कार्तिकेय को देने के लिए रुपए नहीं होते थे। इसलिए उसका खर्च कोच भारद्वाज ही उठाते थे। कार्तिकेय खुद भी एक फैक्ट्री में पार्टटाइम जॉब करता था। जिसके बदले उसको 3 हजार रुपए सैलरी मिलती थी।
एमपी का करते थे प्रतिनिधित्व, परिवार में खुशी की लहर
कार्तिकेय (दाएं से पहला) के चयन से उनके पिता श्याम नाथ सिंह (बीच में) और छोटा भाई काफी खुश हैं। झांसी एसएसपी ने कार्तिकेय के पिता को बधाई दी।
कुमार कार्तिकेय कई राज्यों से खेलने के बाद वर्तमान में मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। बेटा का चयन होने के बाद परिवार में खुशी की लहर है। वहीं, झांसी एसएसपी शिवहरी मीना ने झांसी पुलिस परिवार के बेटे का मुंबई इंडियंस टीम में सम्मिलित होने पर उनके पिता को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। पिता श्याम ने कहा कि 9 साल की तपस्या के बाद मेहनत आखिरकार रंग लाई है।
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