टीचर ने कहा पढ़ाई या क्रिकेट चुनो… आज दोहरा शतक: बिहार के ईशान किशन की कुछ ऐसी है कहानी, दोस्त बुलाते हैं- डिफिनिट
पटना20 मिनट पहलेलेखक: मनीष मिश्रा
इंटरनेशनल क्रिकेट में सबसे तेज दोहरा शतक लगाने वाले ईशान किशन ने खेल के लिए स्कूल छोड़ दिया था। ईशान की क्रिकेट के प्रति दीवानगी से टीचर भी परेशान थे, बार-बार क्लास में खड़ा किए जाने के बाद भी ईशान ग्राउंड में टिके रहते।
टीचर ने साफ कर दिया कि पढ़ाई और क्रिकेट एक साथ नहीं चल सकता है, ईशान को दोनों में से एक रास्ता चुनने को कहा। ईशान ने टीचर से साफ कह दिया कि वह खेल के लिए पढ़ाई भी छोड़ सकते हैं। ईशान को स्कूल से निकाल दिया गया था, आज उसी ईशान ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ 210 रन 131 बॉल पर बनाए। यह वनडे में सबसे तेज डबल सेंचुरी है।
ईशान के बचपन के दोस्त यशस्वी सिंह बताते हैं कि ईशान के जैसा क्रिकेट का दीवाना नहीं देखा। वह खाना पीना सब भूल जाते थे। ऐसा लगता था कि ईशान के लिए क्रिकेट से बढ़कर कुछ भी नहीं। वह कब पटना से रांची खेलने पहुंच जाता था और क्लास में आता था कुछ पता ही नहीं चल पाता था।
ईशान किशन अपने दोस्त यशस्वी (सफेद शर्ट में) के साथ।
ईशान की इसी दीवानगी के कारण ही उन्हें स्कूल से बाहर कर दिया गया था। स्कूल से बाहर किए जाने के बाद भी ईशान को कोई तकलीफ नहीं थी, क्योंकि वह जानता था कि उसका बल्ला एक न एक दिन भारत के लिए इतिहास बनाएगा।
यशस्वी का कहना है कि आज वह दिन याद आता है जब ईशान ने ऐसी बात कही थी। यशस्वी बताते हैं कि वह क्लास 9 में ईशान के साथ डीपीएस पब्लिक स्कूल में पढ़ते थे और वहीं से ही स्कूल ने निकाल दिया था। बाद में ईशान ने फुलवारी के एक प्राइवेट स्कूल से मैट्रिक किया था।
ईशान किशन अपने बड़े भाई राज किशन और परिवार के साथ।
7 साल की उम्र में पकड़ा था बल्ला
पटना के बेली रोड के आशियाना में 7 साल की उम्र में ही बल्ला पकड़ने वाले ईशान बेहतरीन विकेट कीपर और बैट्समैन हैं। वे झारखंड की ओर से रणजी खेलते थे। ईशान का टैलेंट कोच और टीम इंडिया के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ के मार्गदर्शन में निखरा और उन्हें अंडर-19 टीम की कप्तानी का मौका मिला था।
ईशान बचपन से ही क्रिकेट के दीवाने रहे। क्रिकेट के प्रति उनका जुनून ऐसा था कि वे पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाते थे। उनके इस जुनून के चलते वे पढ़ाई में पीछे हो गए थे।
ईशान किशन अपने भाई और दादा-दादी के साथ।
डिफिनिट के नाम से बुलाते हैं दोस्त
ईशान को उनके दोस्त डिफिनिट बुलाते हैं। यह नाम फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर में जिशान कादरी द्वारा निभाए गए डिफिनिट खान के किरदार से आया था। दोस्तों का मानना है कि किशन जो एक बार तय कर लेते हैं, उसे पूरा ही करते हैं। इसलिए लोग उन्हें इसी नाम से पुकारते हैं।
ईशान एडम गिलक्रिस्ट, राहुल द्रविड़ और धोनी के बहुत बड़े प्रशंसक हैं। क्रिकेट के अलावा, ईशान को टेबल टेनिस और बिलियर्ड्स खेलना काफी पसंद है।
बड़े भाई के त्याग ने बना दिया क्रिकेट का बादशाह
ईशान की सफलता के पीछे उनके बड़े भाई का भी बड़ा त्याग है। ईशान के दोस्त यशस्वी बताते हैं कि लगभग 15 साल पहले स्कूल गेम फेडरेशन की बिहार टीम मुंबई खेलने के लिए गई थी। इस टीम में दोनों भाई ईशान और राज किशन सिलेक्ट हुए थे।
बड़े भाई राज किशन ओपनर थे इसलिए प्रदर्शन कर पाए, जबकि छोटे भाई ईशान किशन को मौका ही नहीं मिला। छोटे भाई को थोड़ी निराशा हुई, लेकिन उस निराशा को बड़े भाई ने बाद में क्रिकेट से त्याग देकर दूर कर दिया।
ईशान किशन और उनके बड़े भाई राज किशन की यह कहानी बड़े त्याग की मिसाल है। तब ईशान की उम्र 9 साल थी, राज किशन अच्छे खिलाड़ी थे। राज किशन का कहना है कि दोनों भाई क्रिकेट खेलते थे, लेकिन छोटे भाई का क्रिकेट के प्रति पूरा डिवोशन था। बेहतर करने की क्षमता थी। वह पहले ही भांप गए थे, एक न एक दिन ईशान इतिहास रच देगा।
आज ईशान ने इतिहास रच दिया है, इस सफलता पर पूरा परिवार जश्न में डूबा है। छोटे भाई ईशान को आगे बढ़ाने वाले बड़े भाई की खुशी का तो ठिकाना नहीं है। राज और ईशान के बीच त्याग और दोस्ती की मिसाल है। बड़े भाई राज किशन डॉक्टर और छोटे भाई ईशान देश लिए क्रिकेट में इतिहास रच रहे हैं। हालांकि बड़े भाई राज किशन भी स्टेट लेवल पर क्रिकेट खेल चुके हैं।
ईशान की पटना में हो गई थी पिटाई
इंटरनेशनल क्रिकेट में इतिहास रचने वाले ईशान की पटना में एक बार पिटाई हो गई थी। पटना के लोगों ने उन्हें पहचान तक नहीं पाया था। हादसा उस वक्त हुआ था जब पटना में ईशान की कार से एक ऑटो की टक्कर हो गई थी। घटना में 4 लोग मामूली रूप से जख्मी हो गए थे।
इसके बाद मौके पर मौजूद लोगों ने ईशान को पहचाना नहीं था और भीड़ ने उनकी पिटाई कर दी थी। हालांकि बाद में मौके पर पहुंची कंकड़बाग पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया था। आज ईशान की सफलता पर वह लोग भी सोचने पर मजबूर होंगे जो उन पर हाथ उठाए थे।
ईशान में बचपन से आत्म विश्वास
यशस्वी का कहना है कि वह एक म्यूजिशियन हैं और ईशान के स्कूली दोस्त हैं। ईशान जब भी पटना आते हैं, यशस्वी के साथ पुरानी याद ताजा करने के लिए उनके घर जरूर आते हैं। यशस्वी का कहना है कि ईशान बचपन से ही काफी आत्म विश्वासी रहे। ईशान काफी मजाकिया रहा है। वह जिसके भी साथ रहा खुलकर रहा, दोस्तों के लिए एक अच्छे गार्जियंस की भूमिका निभाता था। वह एक अच्छे दोस्त के साथ अच्छी सलाह देने वाला था। वह काफी केयरिंग करने वाला है, परिवार से लेकर दोस्तों की वह काफी केयर करता है। जब भी टाइम मिलता है, फोन घुमा लेता है।
कोरोना काल में ईशान के साथ यादगार पल
स्कूली समय के बाद ईशान के साथ यशस्वी सिंह का समय कोरोना काल में बीता। यशस्वी ने दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में कहा कि कोरोना का समय चल रहा था, पूरा देश लॉकडाउन था। इस दौरान हर दिन ईशान से बात होती थी। कोरोना से थोड़ी राहत मिली और देश अनलॉक की तरफ बढ़ा तो ईशान पटना आ गए। ईशान उस दौरान काफी दिनों तक पटना मे रहे। हर दिन यशस्वी की मुलाकात ईशान से होती थी। कभी ईशान यशस्वी के घर आया करते थे और कभी यशस्वी ईशान के घर पहुंच जाते थे। दोनों का समय बचपन की तरह बीतता था।
ईशान के साथ खूब खेला फुटबाल
ईशान के दोस्त यशस्वी बताते हैं कि कोरोना से राहत के बाद जब ईशान पटना आए तो खूब मस्ती हुई। स्कूली टाइम के सभी दोस्त एक साथ हुए। इस दौरान ईशान उनके साथ खूब फुटबाल खेले। इनडोर गेम में भी ईशान का खूब इंटरेस्ट था, कभी चेस तो कभी कैरम में हार जीत होती थी। यशस्वी ने बताया कि ईशान अपनी हर उपलब्धि का जमकर लुत्फ उठाते हैं। खेल के साथ साथ वह मस्ती का भी बेताज बादशाह है। दोस्तों के साथ वह आज भी स्कूली समय की तरह मस्ती करता है। पटना में आकर ईशान बच्चा बन जाता है, वह पहले की तरह ही मस्ती करता है। कभी दोस्तों को लेकर आउटिंग पर निकल जाता है तो भी क्रिकेट की प्रैक्टिस के लिए ग्रांउड में पहुंच जाता है।
दोस्तों के लिए निकालते हैं समय
यशस्वी का कहना है कि ईशान क्रिकेट में काफी व्यस्त रहते हैं, इसके बाद भी वह स्कूली दोस्तों के लिए समय निकालते हैं। जब दिल में आया फोन लगा लेते हैं और मस्ती करने लगते हैं। इतना ही नहीं दोस्तों को कोई सलाह लेनी होती है तो वह भी ईशान को फोन लगाते हैं। ईशान आज इस मुकाम पर पहुंच गए हैं, इसके बाद भी उनके अंदर कोई बदलाव नहीं है। वह पहले की तरह ही दोस्तों के लिए बने रहते हैं। ईशान अक्सर ग्रुप चैटकर दोस्तों से बात करते हैं। दोस्तों के साथ फोन पर खेल की बातें नहीं होती हैं, हमेशा पुरानी बातें होती हैं। ग्रुप चैट के दौरान अक्सर किसी एक दोस्त की खूब खिंचाई भी होती है। बातचीत के दौरान ईशान सभी दोस्तों से अन्य दोस्तों का हाल भी पूछते हैं. कौन क्या कर रहा है इसकी पूरी जानकारी लेते रहते हैं। सफलता की पायदान पर तेजी से आगे बढ़ते हुए ईशान आज तक किसी को नहीं भूलते हैं। बचपन का प्यार आज भी ईशान के दिल में पहले की तरह ही है।
ईशान को पसंद है दो मिनट वाला डिश
यशस्वी का कहना है कि ईशान को दो मिनट में बनने वाला डिश काफी पसंद है। वह खेल के दौरान मैगी खाना बहुत पसंद करता था। अक्सर उसे रांची मैच खेलने जाना होता था, ऐसे में स्कूल खत्म होते ही वह रांची के लिए निकल जाता था। रात में वह रांची के लिए बस पकड़ता था और रांची पहुंचकर सिर्फ मैगी खाता था। मैगी खाकर वह क्रिकेट ग्राउंड पर पहुंच जाता था। खेलने के बाद फिर शाम को बस पकड़कर ईशान पटना आ जाता था। स्कूल के दबाव के कारण वह रात में रांची से आने के बाद अगले दिन स्कूल भी पहुंच जाता था। यशस्वी का कहना है कि ईशान की सफलता के पीछे उसके माता-पिता, बड़े भाई और दादा का हाथ है। ईशान किशन को एक क्रिकेटर बनाने के लिए हर कदम पर उसके परिवार ने भरपूर साथ दिया। वह ईशान के घर जाते थे वहां देखते थे कि उनके घर वाले काफी सपोर्ट करते थे। पढ़ाई का दबाव घर वालों ने कभी नहीं दिया क्योंकि घर वालों को ईशान पर भरोसा था कि वह एक न एक दिन नाम रोशन करेगा।
रांची में एक हजार के रेंट वाला कमरा
ईशान के दोस्त यशस्वी बताते हैं कि ईशान की सफलता उसकी कड़ी मेहनत का नतीजा है। उसने काफी त्याग किया है। रांची में जब वह क्रिकेट खेलता था तो एक बहुत छोटा किफायती कमरा रेंट पर ले रखा था। वहीं खाना और रहना होता था। यशस्वी का कहना है कि एक हजार रेंट वाला कमरा लेकर बस ईशान वहां से अपनी क्षमता दिखाता था। जब ईशान किशन ने स्कूल छोड़ा तो उसी समय उसका अंडर 16 में सिलेक्शन हुआ, इसके बाद अंडर-19 भारतीय टीम के कैप्टन बन गए। अब भारतीय टीम का मान बढ़ा रहे हैं। ईशान किशन विजय हजारे, सैयद मुश्ताक अली टूर्नामेंट, रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट सहित कई मैच में अपनी क्षमता का लोहा मनवा चुके हैं। ईशान का जज्बा ही उसे भारतीय टीम में अपनी जगह बनाने में सफल हुए।
दोस्तों के लिए मेंटर हैं ईशान
ईशान अपने दोस्तों के लिए मेंटर हैं। यशस्वी बताते हैं कि दोस्तों के लिए एक मेंटर होना बड़ी बात है। ईशान ने अपने लाइफ में इतना स्ट्रगल किया है कि वह हमेशा अपने दोस्तों को खूब प्रोत्साहित करते हैं। अगर किसी दोस्त को जरा भी तनाव होता है या काम का प्रेशर होता है, ईशान से अपना दर्द साझा करता था। ईशान से बात करने के बाद वह राहत महसूस करता है। यशस्वी का कहना है कि ईशान उनके लिए और सभी दोस्तों के लिए एक इंस्पिरेशन की तरह हैं।
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ईशान किशन ने इंटरनेशनल क्रिकेट की सबसे तेज डबल सेंचुरी जमा दी है। उन्होंने 126 बॉल में यह कारनामा किया है। 24 साल के किशन ने क्रिस गेल (138 बॉल पर) को पीछे छोड़ा। गेल ने 2015 में जिम्बाब्वे के खिलाफ यह कारनामा किया था। पूर्व कप्तान विराट कोहली ने करियर का 44वां वनडे शतक पूरा कर लिया है। कोहली ने 1214 दिनों के बाद इस फॉर्मेंट में शतक जमाया है। उन्होंने अपना आखिरी शतक 14 अगस्त 2019 काे पोर्ट ऑफ स्पेन में वेस्टइंडीज के खिलाफ जमाया था। उसके बाद से वे 25 पारियों में शतक नहीं जमा सके थे। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
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