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टीम इंडिया के अगले कप्तान का IPL टेस्ट: पंत और अय्यर होड़ में पिछड़े, राहुल का दावा मजबूत; सबसे आगे निकले

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  • Rohit Sharma Performance; Who Will Be Team India Next Captain? KL Rahul , Ravindra Jadeja, Shreyas Iyer, Hardik Pandya

मुंबईएक मिनट पहलेलेखक: कुमार ऋत्विज

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रोहित शर्मा ने हाल ही में टीम इंडिया की कप्तानी संभाली है। पर उम्र और फॉर्म का तकाजा ऐसा है कि शायद वह लंबे अरसे तक हिंदुस्तानी क्रिकेट टीम की कप्तानी ना कर सकें। ऐसे में जानना दिलचस्प होगा कि आखिर चयनकर्ता रोहित के उत्तराधिकारी के तौर पर किस खिलाड़ी के साथ जाना चाहते हैं? महेंद्र सिंह धोनी के बाद तो विराट कोहली तैयार नजर आ रहे थे, लेकिन इस बार मामला उतना सीधा नहीं है।

इस बीच IPL 15 अब अपने लास्ट फेज की तरफ बढ़ रहा है। इस सीजन ने कई धुरंधर कप्तानों को जमीन पर ला पटका है तो वहीं कुछ गुमनाम नाम कप्तानी की दौड़ में अचानक आगे आ गए हैं। हर कप्तान के प्लस और माइनस पॉइंट हैं। पर सबसे जरूरी फैक्टर यह है कि कोई खिलाड़ी कप्तानी करते हुए भी अपने परफॉर्मेंस से टीम को जीत दर्ज करा पाता है या नहीं। अब वह दौर बीता, जब कप्तान दूसरों को आगे करके खुद सिर्फ ट्रॉफी उठाता था। टीम इंडिया ऐसे कप्तान की तलाश में है, जो लीडिंग फ्रॉम द फ्रंट सिर्फ कहे नहीं बल्कि करता हुआ भी नजर आए।

शुरू होने से पहले पंत के कप्तानी करियर का अंत

ऋषभ पंत को विराट कोहली के बाद टीम इंडिया का अगला कप्तान माना जा रहा था। कहने वाले तो यहां तक कह रहे थे कि युवा खिलाड़ी जोश से भरा हुआ है और आने वाले 10 वर्षों तक देश को उसके जैसा होनहार कप्तान नहीं मिलेगा। सिक्सर किंग युवराज सिंह भी लगातार पंत को कप्तान बनाने की डिमांड कर रहे थे। पर इस IPL ने सब बदल दिया। राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ जब अंपायर ने 20वें ओवर में नो-बॉल नहीं दी तो ऋषभ पंत का बर्ताव किसी गली क्रिकेट के खिलाड़ी सरीखा था।

जिस तरह पंत ने अपने दोनों बल्लेबाजों को खेल छोड़कर मैदान से बाहर आने का इशारा कर दिया, उससे भारतीय क्रिकेट पूरी दुनिया के सामने शर्मसार हुआ। अगर तुम आउट नहीं दोगे तो हम आगे नहीं खेलेंगे, अगर तुम नो-बॉल नहीं दोगे तो हम बैट बॉल लेकर घर चले जाएंगे। यह गली क्रिकेट में होता है। जब IPL में कप्तानी करते हुए पंत ऐसा गैर जिम्मेदाराना बर्ताव कर सकते हैं तो फिर अगर उनके हाथ टीम इंडिया की कप्तानी सौंप दी जाए, उसके बाद परिस्थिति कितनी भयावह हो सकती है?

यह तो कहानी का एक पहलू हुआ। दूसरा पक्ष यह है कि कप्तानी के दबाव में पंत का प्रदर्शन भी लगातार गिरता गया है। सीजन में खेले 9 मुकाबलों में उनके बल्ले से 33 की साधारण एवरेज से केवल 234 रन निकले हैं। परिणाम यह हुआ कि दिल्ली सिर्फ चार मुकाबले जीत सकी है। दिल्ली के फैंस को यकीन था कि बल्ले से धमाकेदार पारियां खेलकर पंत पहले तो टीम को प्लेऑफ तक ले जाएंगे और उसके बाद टीम इंडिया की कप्तानी के लिए मजबूत दावेदारी पेश करेंगे। पर देखते-देखते वक्त बदल गया, जज्बात बदल गए और हालात बदल गए।

अपनी कप्तानी में कहर नहीं बरपा सके श्रेयस अय्यर

श्रेयस अय्यर के बारे में कहा जाता है कि जो ठान लेते हैं, कर गुजरते हैं। चोट के कारण दिल्ली की कप्तानी नहीं कर सके तो मैनेजमेंट ने पंत को नया कप्तान बना दिया। अनमने ढंग से पंत की कप्तानी में आधा सीजन खेला और उसी समय श्रेयस ने सोच लिया कि अब उनके लिए दिल्ली दूर है। लखनऊ और गुजरात की नई फ्रेंचाइजी ने टीम में तो जगह तो ऑफर की, लेकिन कप्तानी का भरोसा नहीं किया। श्रेयस ने साफ इनकार कर दिया। IPL में उतरेंगे तो कप्तान के तौर पर ही उतरेंगे, फिर चाहे इसके लिए कोई भी कुर्बानी देनी पड़े।

ऑक्शन में उतरे और कोलकाता ने बड़ी उम्मीदों से श्रेयस को खरीदा। पर टीम के प्रदर्शन के साथ-साथ श्रेयस की अपनी परफॉर्मेंस भी उम्मीदों पर खरी नहीं उतर सकी। इस सबसे बढ़कर कोच ब्रेंडन मैकुलम के साथ उनके विवाद लगातार सुर्खियां बनाते रहे। हाल ही में इंडियन क्रिकेट ने वह काला दौर देखा था, जब कप्तान विराट कोहली और अनिल कुंबले का विवाद खुलकर सामने आया था। अगर श्रेयस कप्तान बनते हैं तो क्या गारंटी है कि जो वह मैकुलम के साथ कर रहे हैं, वह इंडियन कोच के साथ नहीं दोहराएंगे? श्रेयस के बारे में यही डर उन्हें हिंदुस्तान का अगला कप्तान बनने से रोक सकता है।

हर बार टूर्नामेंट के टॉप स्कोरर्स के बीच रहने वाले श्रेयस इस बार 36 की एवरेज से 10 मुकाबलों में 324 रन बना सके हैं। उनका स्ट्राइक रेट भी गिरकर 133 हो गया है। वह 85 रनों की पारी खेलने के बावजूद मैच फिनिश नहीं कर पा रहे हैं और टीम को हार का मुंह देखना पड़ रहा है। श्रेयस लगातार अपनी कप्तानी के दौरान टीम में थोक के भाव बदलाव कर रहे हैं और इस कारण खिलाड़ियों में असुरक्षा का भाव साफ देखा जा सकता है। अगर आने वाले समय में श्रेयस अय्यर को टीम इंडिया कप्तान चुना जाता है तो यहां भी हर वक्त टीम में खिलाड़ियों की जगह खतरे में होगी।

फर्श से अर्श का सफर तय करते दिखे हैं हार्दिक पंड्या

जिस खिलाड़ी के क्रिकेट करियर को लगभग समाप्त मान लिया गया था, वह आज हिंदुस्तान के नए कप्तान की दौड़ में सबसे आगे खड़ा है। एक ऐसा खिलाड़ी जो पावर प्ले में बॉलिंग करने से लेकर फर्स्ट डाउन बैटिंग करने तक, सब कर सकता है। सीजन की शुरुआत से पहले BCCI ने NCA में हार्दिक का फिटनेस टेस्ट करवाया। मीडिया में खबरें चलने लगी कि अगर वह पास नहीं हुए तो उन्हें IPL खेलने नहीं दिया जाएगा। जिस गुजरात ने हार्दिक को बड़ी उम्मीदों से अपने साथ जोड़ा था, उसके अरमान चकना चूर होते दिखे। पर हार्दिक को खुद पर यकीन था कि मैं कर सकता हूं और मैं ही कर सकता हूं।

रॉकस्टार पंड्या ने सीजन की शुरूआत में जीत दर्ज करने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक ऐसा कप्तान जो आक्रामक है और अपने खिलाड़ियों के साथ खड़ा भी नजर आता है। हार्दिक का वह बयान कौन भूल सकता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि टीम की सफलता का सारा क्रेडिट युवा खिलाड़ियों को जाएगा और अगर हम असफल होते हैं तो उसका सारा दोष मेरा होगा। इस बयान ने मानो कमाल कर दिया। खिलाड़ियों को यकीन हो गया कि टीम में हमारी जगह पर कोई खतरा नहीं है, क्योंकि कप्तान मेरे पीछे मजबूती से खड़ा है।

हार्दिक की कप्तानी में गुजरात ने 8 मुकाबले खेले, जिनमें 7 में उसे जीत मिली। इस दौरान पंड्या के बल्ले से 308 रन निकले। साथ ही उन्होंने 4 विकेट अपने नाम किए। हार्दिक के साथ दो बड़ी परेशानी है। पहली तो यह कि उनकी फिटनेस अभी भी फैंस को रह-रह कर डराती रहती है। कभी वह मुकाबले से पहले पीठ पर मालिश कराते देखे जाते हैं तो कभी एक मैच का ब्रेक लेते हुए नजर आते हैं।

इसके अलाव मोहम्मद शमी की धीमी फील्डिंग पर उनका चीखना भी क्रिकेट प्रेमियों को कुछ खास रास नहीं आया था। लोगों ने उन पर सीनियर प्लेयर से मिसबिहेव तक करने का आरोप मढ़ दिया। हालांकि एक दूसरे घटनाक्रम में तार से बॉल लग जाने पर हार्दिक ने अंपायर से पहले ही बल्लेबाज को नॉट आउट करार दिया। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि अगर हार्दिक अपनी फिटनेस मेंटेन करते हुए लगातार 145/kmph की रफ्तार से गेंदबाजी करते हैं तो कपिल देव की तरह वे भी टीम इंडिया के कप्तान बन सकते हैं।

रवींद्र जडेजा नहीं बन सके रियल लाइफ पुष्पा

रवींद्र जडेजा सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव रहते हैं। फिल्म पुष्पा के डायलॉग मैं झुकेगा नहीं.. को अपने अंदाज में रीक्रिएट करके जडेजा ने लाखों फैंस का दिल खुश कर दिया। पर पुष्पा की तरह जडेजा डटकर खड़े नहीं रह सके, उन्हें झुकना पड़ा। टीम इंडिया के लिए लगातार मैच विनिंग परफॉर्मेंस कर रहे सर जडेजा को जब रोहित, बुमराह और विराट की तरह BCCI ने ए प्लस ग्रेड नहीं दिया तो सोशल मीडिया पर इसकी काफी आलोचना हुई थी। ऐसे में धोनी के उत्तराधिकारी के रूप में CSK मैनेजमेंट द्वारा स्टार ऑलराउंडर जडेजा को चुना गया। सीजन शुरू होने से 1 दिन पहले अचानक इसका ऐलान हुआ।

सबको उम्मीद थी कि रवींद्र जडेजा की कप्तानी में चेन्नई पुरानी सफलता जरूर दोहराएगी। पर कहते हैं ना कि दबाव के आगे कुछ लोग निखर जाते हैं और कुछ टूट कर बिखर जाते हैं। टीम में थाला के रहते हुए जड्डू खुलकर कप्तानी नहीं कर सके। पहले दो मुकाबलों में तो धोनी ने फील्ड सेटिंग से लेकर बाकी चीजों में मदद भी कर दी, लेकिन उसके बाद धोनी ने साफ कर दिया, कप्तान तुम हो तो जिम्मेदारी तुम्हारी है। आठ मुकाबलों में कप्तानी करते हुए जडेजा अपनी टीम को सिर्फ दो मुकाबलों में जीत दिला सके। परिणाम यह हुआ कि चैंपियन चेन्नई टॉप की बजाय बॉटम में नजर आने लगी।

इस दौरान उनके बल्ले से केवल 113 रन निकले और उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर नाबाद 26 रन रहा। कभी एक पारी में 5 चौके और 6 छक्के से कहीं अधिक जड़ने के लिए मशहूर जडेजा 8 पारियां खेलकर इस बार यह कारनामा कर सके। दुख, दर्द, असफलता, पीड़ा और निराशा के गर्त में डूबने से बेहतर जडेजा ने कप्तानी से पीछा छुड़ा लिया। टीम इंडिया के लिए अब शायद ही सर जडेजा कभी कप्तानी करते हुए दिखें।

राहुल की मजबूत दावेदारी, रोहित के बाद आ सकती है बारी

राहुल… नाम तो सुना होगा। नहीं सुना तो IPL के टॉप स्कोरर्स की लिस्ट निकाल कर देख लो। 2018 से लेकर अब तक हर सीजन में छह सौ के आसपास रन बनाने वाला इकलौता खिलाड़ी केएल राहुल है। इससे यह बात तो साफ हो जाती है कि कप्तानी के दबाव में राहुल की अपनी परफॉर्मेंस पर कोई असर नहीं पड़ता। इसके विपरीत वह और जिम्मेदारी के साथ खेलते हैं। हालांकि, टीम इंडिया के लिए कप्तानी करते हुए शुरुआती चार मुकाबले हारने वाले वह इतिहास में इकलौते कैप्टन हैं। पर कहते हैं ना कि जो बीत गई, सो बात गई। राहुल इस IPL सीजन के 10 मुकाबलों में कप्तानी करते हुए टीम को 7 बार जीत दिला चुके हैं।

इस दौरान उनके बल्ले से दो शतकों की सहायता से 451 रन निकले हैं। 56 की औसत से रन बना रहे राहुल का स्ट्राइक रेट 145 रहा है। यह बताने को काफी है कि रोहित शर्मा के बाद अगर कप्तान की तलाश शुरू होती है तो वह काफी हद तक केएल राहुल पर आकर खत्म हो सकती है। पर यहां पर गौर करने वाली बात एक दूसरी भी है।

मेंटर के रुप में लखनऊ के साथ जुड़े गौतम गंभीर को इस टीम की सफलता का काफी हद तक क्रेडिट दिया जा रहा है। आयुष बडोनी जैसे युवा खिलाड़ियों को पहचानने से लेकर तराशने तक गौती हर जगह आगे रहे हैं। कुलदीप यादव जब लास्ट ओवर में लखनऊ के खिलाफ छक्के लगा रहे थे, उसके बाद भी गौतम का एग्रेसिव रिएक्शन काफी वायरल हुआ। देखना दिलचस्प होगा कि केएल राहुल टीम इंडिया के लिए गौतम गंभीर के ठीक विपरीत राहुल द्रविड़ के साथ सामंजस्य बिठाकर टीम के लिए कैसी कप्तानी कर पाते हैं?

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