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टोक्यो ओलिंपिक की 10 शानदार कहानियां: जोश, जुनून, डिप्रेशन और प्यार की झंडे गाड़ती ये कहानियां आपके चेहरे पर मुस्कान ले आएंगी

नई दिल्ली4 घंटे पहलेलेखक: निकिता पाटीदार

महाकुंभ। एक श्रद्धा, भक्ति का…एक खेल, जुनून का। खेलों का महाकुंभ टोक्यो ओलिंपिक चल रहा है। हर चार साल में होने वाले दुनिया के इस सबसे बड़े खेल इवेंट को कोरोना महामारी के कारण 2020 में आयोजित नहीं किया गया। और जब 2021 में इसका आगाज हुआ तो दुनिया भर के खेल का रोमांच चरम पर पहुंच गया। 33 खेलों में 339 मेडल के लिए खिलाड़ी आमने-सामने हुए। उस मेडल के लिए जिसे 2010 वैंकूवर ओलिंपिक की तरह पुराने इलेक्ट्रॉनिक सामानों और फोन से बनाया गया। ओलिंपिक 2021 जाते-जाते हमारे लिए कई ऐसी कहानियां छोड़कर जा रहा है जिसका जिक्र भर हमें जोश, उत्साह, कठिन परिश्रम और सशक्त बनाने के लिए काफी होगा। पढ़िए चुनी हुईं ऐसी ही 10 कहानियां…

1. पहली बार 49 फीसदी महिलाएं

इतिहास के पन्ने पलटने पर पता चलता है कि साल 1900 महिलाओं के लिए बेहद खास रहा। ये वही साल था जब पहली बार पेरिस ओलिंपिक में महिलाओं ने शिरकत की थी। कुल 997 एथलीट्स में से 22 औरतें थी। स्विट्जरलैंड की हेलेन दे पोर्तालेस ओलिंपिक खेलों में भाग लेने वाली पहली महिला बनी थीं।

अब समय के पहिए को तेज करते हैं और आते हैं साल 2021 में। इस ओलिंपिक में देश-विदेश की महिलाएं भाग ले रही हैं। ओलिंपिक के इतिहास में पहली बार जेंडर बैलेंस देखने को मिला। 49 फीसदी महिलाएं। हर सफर की तरह महिला खिलाड़ियों के लिए सफर अभी बहुत लंबा है, लेकिन खुशियां मनाइए कि इस बेहतरीन सफर की शुरुआत साल 2021 के ओलिंपिक से हो चुकी है।

इस बार के ओलिंपिक में पुरुषों के साथ कदम मिलाकर महिलाएं भी चल रही हैं।

इस बार के ओलिंपिक में पुरुषों के साथ कदम मिलाकर महिलाएं भी चल रही हैं।

2. समानता का मिलता हक

इस ओलिंपिक में बीज एक और चीज के बीज बोए गए। समानता के। न्यूजीलैंड की वेटलिफ्टर लॉरेल हबर्ड दुनिया की पहली ट्रांसजेंडर महिला है (पुरुष से महिला बनीं) जिन्होंने ओलिंपिक में भाग लिया। खेल में हारने के बाद भी वो समानता के हक के लिए ऐतिहासिक जीत दर्ज करवाने में सफल रहीं।

फाइनल राउंड तक न पहुंचने के बावजूद हबर्ड मुस्कुराते हुए अपने हाथों से दिल का आकार बनाकर टोक्यो इंटरनेशनल फोरम के मंच से बाहर निकलीं। उनके शब्द थे, “मैं जो कुछ भी बनना चाहती हूं वो मैं खूद हूं। मैं बहुत आभारी हूं कि मुझे यहां आने और मेरे होने का अवसर मिला।”

न्यूजीलैंड की वेटलिफ्टर लॉरेल हबर्ड दुनिया की पहली ट्रांसजेंडर महिला हैं जिन्होंने ओलिंपिक में भाग लिया।

न्यूजीलैंड की वेटलिफ्टर लॉरेल हबर्ड दुनिया की पहली ट्रांसजेंडर महिला हैं जिन्होंने ओलिंपिक में भाग लिया।

3. खेल सिर्फ जीतने के लिए नहीं खेला जाता

लॉरेल ने मेडल हारा तो दिल जीत लिए। एक और दिल जीतने वाला गजब का नजारा देखने को मिला गोल्ड मेडल शेयर करने वाले दो फाइनलिस्ट के बीच। कतर के मुताज़ एसा बर्शिम और इटली के जियानमार्को ताम्बरी। दोनों पुरुष ऊंची कूद में आमने-सामने थे। खेल में टाई हुआ और दोनों खिलाड़ियों ने गोल्ड मेडल शेयर करने की ठानी। एक-दूसरे के साथ जीत बांट कर इन दोनों खिलाड़ियों ने मेडल्स की दौड़ में शामिल कई प्लेयर्स को भावुक कर दिया।

4. खुशी के आंसू

भावुक हमारे दो कमेंटेटर भी हुए। सुनील तनेजा और सिद्धार्थ पांडे। भारतीय हॉकी टीम को सेमीफाइनल में ब्रिटेन से जीतते देख। 49 सालों बाद मिली ये जीत और कमेंटेटर की खुशी का ये नजारा ओलिंपिक 2021 के लिए खुशी की अलग झलक छोड़ गया।

5. पसंद की आजादी

ओलिंपिक 2021 में महिलाओं का पहनावा भी खूब चर्चा में रहा। वजह थी पूरे कपड़े। महिलाओं के ‘सेक्शुअलाइजेशन’ के खिलाफ जर्मनी की जिम्नास्टिक टीम ने विरोध जताया और बिकिनी-कट लियोटार्ड की जगह पूरे शरीर को ढंकने वाली ड्रेस पहनकर स्पर्धा में हिस्सा लिया। अपनी पसंद के हिसाब से कपड़े पहनने की आजादी को बढ़ावा देने वाले इस कदम ने खूब सुर्खियां बटोरीं।

इस बार के ओलिंपिक में जर्मनी की जिम्नास्टिक टीम की ड्रेस भी सबसे ज्यादा चर्चा में रही।

इस बार के ओलिंपिक में जर्मनी की जिम्नास्टिक टीम की ड्रेस भी सबसे ज्यादा चर्चा में रही।

6. अपनी दुनिया बुनते गोल्ड मेडलिस्ट

इसी बीच सोशल मीडिया पर एक तस्वीर ने तहलका मचा दिया। ये तस्वीर थी ग्रेट ब्रिटेन के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाले टॉम डेले की। दर्शकों के बीच ग्रेट ब्रिटेन के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाले टॉम स्वेटर बुनते नजर आए। टॉम ने पुरुषों की 10 मीटर सिंक्रनाइज प्लेटफॉर्म डाइविंग में गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद वो महिलाओं के 3 मीटर स्प्रिंगबोर्ड फाइनल के इवेंट में दर्शक बनकर पहुंचे। खेल का मजा लेते हुए वो स्वेटर बुनते नजर आए।

अपनी सेक्शुएलिटी के लिए काफी ओपन टॉम गे हैं। उन्होंने अपने गोल्ड मेडल के लिए एक पाउच भी बुना है। इसकी झलक दिखाते हुए सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी पोस्ट किया। जिसके कैप्शन में उन्होंने लिखा- क्रोशेट और बुनाई सीखने से मुझे इस ओलिंपिक में बहुत मदद मिली है। हम कल स्वर्ण पदक भी जीते।

7. गिरना, उठना और फिर से दौड़ना

गिरना आसान होता है, लेकिन वापस उठकर फिर से रेस में तेजी से दौड़ना मुश्किल। और उस रेस को जीतना इससे भी ज्यादा मुश्किल, लेकिन नीदरलैंड की 28 साल की एथलीट सिफान हसन ने ऐसा ही किया। दरअस्ल, 2 अगस्त को महिलाओं की 1500 मीटर रेस का क्वालिफाइंग मुकाबला चल रहा था। इस दौरान केन्या की एथलीट ट्रैक पर गिर जाती है। वे सिफान के सामने गिरती हैं जिससे सिफान भी लड़खड़ा कर गिर जाती हैं।

सिफान गिरीं, लेकिन पल भर भी नहीं बीता कि वो उठ खड़ी हुईं। रेस जारी थी, वो दौड़ीं और ऐसी दौड़ीं कि सबसे पहले रेस खत्म कर जीतने के बाद ही रुकीं। दूसरे खिलाड़ी की गलती से गिरी सिफान चाहतीं तो आसानी से प्रोटेस्ट कर नेक्स्ट राउंड में जा सकती थीं, लेकिन उन्होंने स्पोर्ट्समैनशिप नहीं हारी और जीत की तरफ दौड़ती चली गईं।

नीदरलैंड की 28 साल की एथलीट सिफान हसन ने गिरने के बाद खुद को संभाला और जीत हासिल की।

नीदरलैंड की 28 साल की एथलीट सिफान हसन ने गिरने के बाद खुद को संभाला और जीत हासिल की।

8. मानसिक सेहत से न हो खिलवाड़

प्रेरणादायक इन कहानियों में अगली कहानी है अमेरिकी जिम्नास्ट साइमोन बाइल्स की। खेल में जीत के पीछे कई बार खिलाड़ी इस कदर भागना चाहते हैं कि वो अपने शारीरिक और मानसिक सेहत पर ध्यान नहीं देते। साइमोन ऐसे खिलाड़ियों के लिए एक मिसाल बन कर सामने आई हैं। उन्होंने महिला टीम के फाइनल से अलग होने का फैसला लिया।

ग्रेटेस्ट ऑफ ऑल टाइम के नाम से प्रसिद्ध साइमोन ओलिंपिक और विश्व कप में 30 बार चैंपियन रही हैं। ओलिंपिक इतिहास में सबसे ज्यादा मेडल जीतने वाली एथलीट बनने के लिए उन्हें सिर्फ चार मेडल की जरूरत थी, लेकिन उन्होंने अपनी मेंटल हेल्थ को प्राथमिकता दी।

अमेरिकी जिम्नास्ट साइमोन बाइल्स अपनी सेहत के चलते ओलिंपिक से अलग हो गईं।

अमेरिकी जिम्नास्ट साइमोन बाइल्स अपनी सेहत के चलते ओलिंपिक से अलग हो गईं।

9. प्ले लाइक अ गर्ल

इस ओलिंपिक में स्केटबोर्ड पहली बार शामिल किया गया। आते ही इस खेल के खिलाड़ियों ने इतिहास रचना शुरू कर दिया। जापान की 13 साल की मोमिजी निशया ने महिलाओं की व्यक्तिगत स्केटबोर्ड स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता। सिल्वर मेडल ब्राजील की 13 साल की रेसा लील ने अपने नाम किया। ब्रॉन्ज जापान की 16 साल की फुना नाकायामा के हाथ लगा।

जापान की 13 साल की मोमिजी निशया ने महिलाओं की व्यक्तिगत स्केटबोर्ड स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता।

जापान की 13 साल की मोमिजी निशया ने महिलाओं की व्यक्तिगत स्केटबोर्ड स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता।

10. रोमांच और रोमांस

खेल-जुनून के सफर में आपने रोमांच से लेकर रोमांस तक कई कहानी देख-सुन ली होंगी। इनमें भारत की दीपिका कुमारी और अतनु दास से लेकर मैक्सिको की अनिसा उर्तेज और अमांडा चिडेस्टर की लव स्टोरी भी शामिल है। जाते-जाते बात परवान चढ़ते प्यार की।

अर्जेंटीना की तलवारबाज मारिया बेलेन पहले राउंड में हार कर खेल से बाहर हो गई थीं। निराशा जायज थी और वो टीवी पत्रकारों से इसके बारे में बात कर रही थीं। तभी पीछे से उनके कोच लुकास सॉसेडो आते हैं। वो अपने घुटने पर थे और मारिया के लिए हाथ में एक कागज लिए थे। जिस पर लिखा था, ‘क्या तुम मुझसे शादी करोगी।’ सबसे बड़े खेल इवेंट में हारने के बाद मारिया ने जिंदगी का सबसे बड़ा प्रपोजल जीता, वो भी अपने कोच से।

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