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टोक्यो ओलिंपिक में राजसमंद की बेटी से पदक की उम्मीद: 11 साल में तय किया जिला स्तर से ओलिंपिक का सफर, आज टोक्यो जाएंगी, जीत के लिए लोगों ने किया यज्ञ-हवन

राजसमंद21 मिनट पहले

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टोक्यो ओलिंपिक में राजसमंद की बेटी से पदक की उम्मीद: 11 साल में तय किया जिला स्तर से ओलिंपिक का सफर, आज टोक्यो जाएंगी, जीत के लिए लोगों ने किया यज्ञ-हवन

भावना जाट।

  • टोक्यो ओलिंपिक में अब राजसमंद की बेटी भावना जाट से पैदल चाल में पदक की उम्मीद

राजसमंद जिले के छोटे से गांव काबरा की बेटी ने पैदल चाल में टोक्यो ओलिंपिक तक का सफर तय किया है। अब भावना से भारत को पदक की उम्मीद है। भावना के ओलिंपिक में स्वर्ण पदक का फासला भी बहुत कम है। वह ओलिंपिक रिकॉर्ड से 5.16 मिनट ही पीछे है। अगर भावना इस चंद मिनटों के अंतर को मिटा देती है तो भावना को स्वर्ण पदक पाने से कोई नहीं रोक सकता है। भावना के स्वर्ण पदक जीतने के लिए लोग यज्ञ-हवन भी कर रहे हैं।

भावना ने पिछले साल रांची में इंटरनेशनल रेस वॉकिंग में भाग लेकर 1 घंटा 29 मिनट 54 सैकंड में 20 किमी की पैदल चाल में श्रेष्ठ प्रदर्शन किया था। यहीं से भावना का टोक्यो ओलिंपिक के लिए रास्ता तय हुआ। उसने पिछले साल फरवरी 2020 ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई कर लिया था, लेकिन कोरोना की वजह से ओलिंपिक नहीं हुए। ऐसे में एक बार तो भावना का सपना टूटता हुआ दिखाई दिया, लेकिन भावना ने अपनी प्रेक्टिस नहीं छोड़ी। ओलिंपिक में चयन के बाद भावना ने अपनी प्रैक्टिस को और बढ़ा दिया। सुबह 4 घंटे व शाम को ढाई घंटे लगातार प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया।

सबसे कम समय 1 घंटा 24 मिनट 38 सैकंड में पैदल चाल का रिकॉर्ड चीन की एथलीट के नाम

एथलीट भावना जाट के सामने ओलिंपिक में पद जीतने के लिए मिनटों का फासला तय करना है। ओलिंपिक में रेस वाकिंग 20 किमी में अब तक का सबसे कम समय 1 घंटा 24 मिनट 38 सेकंड का रिकॉर्ड चीन की एथलीट ब्लू होम के नाम दर्ज है। वहीं भावना का अब तक का सर्वश्रेष्ठ समय 1 घंटा 29 मिनट 54 सेकंड का है। ऐसे में 5 मिनट 16 सेकंड का फासला भावना को और कम करना होगा, जबकि रेस वॉकिंग का वर्ल्ड रिकॉर्ड 1 घंटा 23 मिनट 48 सेकंड का है, जिससे भावना 6 मिनट 6 सेकंड पीछे है।

नौकरी के कारण खेलने की मंजूरी नहीं मिली, पीछे हटी तो कोच ने दिया हौंसला

खेल कौशल के कारण भावना जाट को रेलवे में नौकरी के दौरान 2017 में खेलने की अनुमति नहीं मिली थी। तब उसने दौड़ना छोड़ देने का निर्णय कर लिया था। तब भावना के कोच गुरुमुख सिंह ने उसका हौंसला बढ़ाया। कोच के अनुसार भावना ने बिना वेतन के रेस वॉकिंग की प्रैक्टिस शुरू कर दी थी।

जीत के लिए यज्ञ-हवन : भावना के पदक जीतने को लेकर कस्बे के हनुमान मंदिर पर युवाओं ने यज्ञ-हवन शुरू किया। यज्ञ में रेलमगरा प्रधान आदित्य प्रताप सिंह ने भी आहुति दी। इस दौरान गांव के राजेंद्र, देवेंद्र, हीरालाल, शिवलाल, डालचंद, रामलाल, भैरुलाल, गोविंद सहित ग्रामीण मौजूद रहे।

काबरा गांव में कांटाें भरे मैदान से की थी शुरुआत

भावना जाट ने दौड़ की शुरुआत गांव के खेल मैदान से हुई। यह मैदान कांटाे भरा था। स्कूल स्तर की प्रतियोगिता में श्रेष्ठ प्रदर्शन किया और आगे बढ़ती रही। 2010 में स्कूल की तरफ से जिला स्तरीय पैदल चाल में भाग लिया। पहले प्रयास में राज्य स्तरीय स्पर्धा में चयन हुआ। इसके बाद 2010-11 में पुणे में हुई एसजीएफआई प्रतियोगिता में भाग लिया। 2014 में वेस्ट जोन छत्तीसगढ़ में 10 किमी पैदल चाल में गोल्ड जीता।

2014-15 में ही आंध्रप्रदेश में जूनियर नेशनल तीन किमी स्पर्धा में सिल्वर, 2015 ऑल इंडिया जूनियर फेडरेशन में सिल्वर, ऑल इंडिया जूनियर रेस वॉकिंग 10 किमी पैदल चाल स्पर्धा में सिल्वर जीता। स्कूल में काेच हीरालाल से रुपए उधार लेकर आगे तक पहुंची।

भावना के स्वर्ण पदक जीतने के लिए लोग यज्ञ-हवन भी कर रहे हैं।

भावना के स्वर्ण पदक जीतने के लिए लोग यज्ञ-हवन भी कर रहे हैं।

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