तेंदुलकर ने बताई उनकी वन-डे की 5 बेस्ट पारी: 2003 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ खेली पारी और पिता के निधन के बाद खेली पारी
2 मिनट पहले
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वेस्टइंडीज के खिलाफ 6 फरवरी को अहमदाबाद में खेला जाना वाला वन-डे टीम इंडिया का1000वां वन-डे है। टीम इंडिया के पूर्व कैप्टन और मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने इसके लिए टीम के खिलाड़ियों और भारतीय क्रिकेट प्रशासकों को बधाई दी है और कहा कि यहां तक के सफर में सबका महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि 1996 वर्ल्ड कप के बाद वन-डे क्रांति आई। सचिन ने उनके वन-डे करियर की 5 पारियों के बारे में भी बताया।
2003 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ सर्वश्रेष्ठ पारियों में एक
तेंदुलकर ने अपने वन-डे की 5 सर्वश्रेष्ठ पारियों में 2003 वर्ल्ड कप में सेंचुरियरन में पाकिस्तान के खिलाफ खेली गई 98 रन की पारी को भी जगह दी है। उन्होंने कहा, ‘वह दबाव वाला मैच था। सेंचुरियन की वह पारी विश्व कप में मेरे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में से एक है।’
इसके अलावा सचिन ने ब्रिस्टल में केन्या के खिलाफ शतक को भी खास पारियों में शामिल किया है। यह शतक उन्होंने अपने पिता प्रोफेसर रमेश तेंदुलकर के निधन के तुरंत बाद बनाया था। तेंदुलकर ने बताया, ‘मैं घर आने पर अपनी मां को देखकर भावुक हो गया था। मेरे पिता के निधन के बाद वे टूट गई थीं, लेकिन उस दुख की घड़ी में भी वह मुझे घर पर रुकने देना नहीं चाहती थीं और वह चाहती थीं कि मैं राष्ट्रीय टीम के लिए खेलूं। जब मैंने केन्या के खिलाफ वह शतकीय पारी खेली थी, तो मैं बहुत भावुक हो गया था।’
उनकी अन्य बेहतरीन पारियों में शारजाह में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बनाए 2 शतक और ग्वालियर में साउथ अफ्रीका के खिलाफ 200 रन की पारी भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह यादगार पारी है क्योंकि उस समय दक्षिण अफ्रीका का गेंदबाजी आक्रमण काफी अच्छा था और पहली बार था, जब वन-डे में किसी ने दोहरा शतक जमाया था।
सचिन तेंदुलकर ने 2003 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ 98 रन की पारी खेली थी।
1996 वर्ल्ड कप के बाद वन-डे क्रांति
तेंदुलकर ने कहा कि वन-डे क्रांति 1996 के बाद आई। उन्होंने कहा, ‘वनडे में हाइप 1996 वर्ल्ड कप में हुई थी और तभी सबसे बड़ा बदलाव हुआ था। इससे पहले 1983 हो गया था और वह अद्भुत था। हां, तब स्टेडियम पूरे भरे थे, लेकिन 1996 वर्ल्ड कप के बाद बड़े बदलाव दिखने लगे। मैंने उन बदलावों का अनुभव किया और वनडे को नया आयाम मिला।’
तेंदुलकर भारत के 200वें, 300वें, 400वें, 500वें, 600वें, 700वें और 800वें वनडे में खेल चुके हैं।
2000-01 तक सफेद जर्सी में खेले
तेंदुलकर ने कहा कि सफेद जर्सी में वन-डे खेलने का अंत हो गया। उन्होंने कहा, ‘अगर मुझे सही तरह याद है, तो 2000-01 के अंत तक हम जिम्बाब्वे के खिलाफ सफेद जर्सी में खेले थे। मुझे याद है मेरा सफेद गेंद का अनुभव न्यूजीलैंड में 1990 में त्रिकोणीय सीरीज थी। भारत में जो मैंने पहला डे-नाइट मैच खेला था, हमें दिल्ली के जेएलएन स्टेडियम में रंगीन टी-शर्ट और सफेद पैंट दी गई थी।’
सचिन ने कहा अब नियमों में हो चुके हैं बदलाव
तेंदुलकर ने कहा कि अब वन-डे में काफी नियम बदल चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘ पहले एक पारी के लिए एक ही सफेद गेंद हुआ करती थी और जब यह गंदी हो जाती तो इसे देखना मुश्किल होता और यह रिवर्स भी होती थी। अब हमारे पास अलग नियम हैं। अब दो नई गेंद का नियम है और फील्डिंग भी बहुत अलग है।’
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