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तेजिंदर तूर के ओलिंपिक मेडल पर भारी पड़े दो फाउल: 3.91 मीटर से चूके एथलीट; मां बोली- बस अब बेटा घर लौटकर आ जाए तो मैं बहू लेकर आऊं

मोगा/लुधियाना2 मिनट पहलेलेखक: दिलबाग दानिश

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तेजिंदरपाल सिंह तूर का फाइल फोटो।

जापान के टोक्यो में चल रहे खेलों के महासमर में 13वें दिन शॉट पुट मुकाबले में भारतीय एथलीट तेजिंदरपाल सिंह तूर मेडल जीतने से चूक गए हैं। 3.91 मीटर का गैप रह गया, वरना मेडल जरूर मिलता। लेकिन वे फाइनल के लिए भी क्वालीफाई नहीं कर पाए। उन्होंने पहले प्रयास में 19.99 मीटर दूर गोला फेंका। उनका दूसरा और तीसरा प्रयास फाउल करार दिया गया।

वहीं बेटे की परफॉर्मेंस से मां खुश हैं। उनका कहना है कि पदक नहीं मिला तो क्या, मैं बहू तो जरूर लेकर आऊंगी। बता दें कि परफॉर्मेंस से पहले तेजिंदर ने मां को फोन किया था और कहा कि डेढ़ साल से आपसे नहीं मिला हूं। लेकिन अब दो तोहफे दूंगा, एक मेडल और एक बहू, लेकिन मां बहू के नाम से ज्यादा खुश हैं।

मोगा के रहने वाले हैं एथलीट

एथलीट तेजिंदरपाल सिंह तूर पंजाब के मोगा जिले के गांव खोसा पांडो के रहने वाले हैं। तूर भारतीय नेवी में अफसर हैं। 2018 के एशियन गेम्स के दौरान उनके पिता करम सिंह हीरो का देहांत हो गया था। तूर के परिवार में अब उनकी मां प्रीतपाल कौर हैं, जिससे वे पिछले डेढ़ साल से नहीं मिले हैं।

वे इस समय घर पर अकेली हैं, लेकिन बेटे से फोन पर बात करके खुश हैं। जब दैनिक भास्कर ने उनसे बात की तो वे बोलीं- बहुत हो गईयां दूरियां, आउंदे ही वियाह करा देना, डेढ़ साल हो गया मिलियां नू, फोन ते गल हो गई जदों आया वियाह कर देना डाक्टरनी नाल। वह अपनी होने वाली बहू को डॉक्टर कहती हैं, क्योंकि वह चंडीगढ़ में Phd कर रही है।

तेजिंदरपाल सिंह का फाइल फोटो।

तेजिंदरपाल सिंह का फाइल फोटो।

4 साल पहले हो चुका पिता का देहांत
तेजिंदर सिंह तूर का जन्म खोसा पांडो के छोटे से घर में 13 नवंबर 1984 को हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा मोगा के समर फील्ड स्कूल, हेमकुंड स्कूल कोटइस्से खां और मालवा कॉलेज बठिंडा से की है। वह बचपन से ही खेलों के शौकीन थे। कद में लंबे होने के कारण अध्यापकों ने उन्हें शॉट पुट खेलने को कहा। उसके बाद तेजिंदर ने पलटकर नहीं देखा। आज वह अपना ही नेशनल रिकॉर्ड तोड़कर टोक्यो ओलिंपिक खेल रहे हैं।

2018 के एशियन गेम्स के दौरान गई पिता की जान
तेजिंदर सिंह के पिता करम सिंह हीरो गांव में इसलिए मश्हूर थे, क्योंकि उन्हें बचपन से ही फिल्में देखने का शौक था और उन्हें लोग गांव में हीरो के नाम से जानते थे। वहीं मां तेजिंदर कौर कहती हैं कि वह बेटे को एक्टर बनाना चाहते थे, मगर उसका रुझान खेलों की तरफ था। वह कहती हैं कि तेजिंदर ने जिंदगी में कई दुख देखे हैं। 2018 में जब तेजिंदर एशियन गेम्स से स्वर्ण पदक लेकर लौटा तो उनके पिता की कैंसर से मौत हो गई। पति की मौत के बाद प्रीतपाल कौर तूर को ज्यादा कुछ याद नहीं रहता है। बेटा उन्हें खेल जितना ही प्यार करता है। इसलिए वह पटियाला में ट्रेनिंग पर गया तो वहां घर लेकर उन्हें अपने पास ले गया था और जब ओलिंपिक के लिए ट्रेनिंग पर गया तो मां को अकेले छोड़ना मजबूरी हो गई, वरना टोक्यो भी साथ लेकर जाता।

तेजिंदरपाल सिंह तूर का फाइल फोटो।

तेजिंदरपाल सिंह तूर का फाइल फोटो।

तेजिंदर सिंह का खेल करियर

जून 2017 में, तूर ने पटियाला में फेडरेशन कप नेशनल सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 20.40 मीटर का अपना व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ आउटडोर थ्रो रिकॉर्ड किया, लेकिन विश्व चैंपियनशिप योग्यता मानक 20.50 मीटर से कम हो गया। जुलाई 2017 में उन्होंने भुवनेश्वर में एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 19.77 मीटर के थ्रो के साथ रजत पदक जीता। वे 0.03 मीटर से स्वर्ण पदक से चूक गए थे।

तूर 2018 राष्ट्रमंडल खेलों के फाइनल में 19.42 मीटर के थ्रो के साथ 8वें स्थान पर रहे। 25 अगस्त 2018 को तूर ने 2018 के एशियाई खेलों में 20.75 मीटर फेंक के साथ खेलों के रिकॉर्ड और राष्ट्रीय रिकॉर्ड को तोड़कर स्वर्ण पदक जीता। तूर ने जकार्ता में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता है। भारतीय ग्रैंड में 21.49 मीटर के थ्रो के साथ ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई किया।

प्रिक्स-4 पटियाला में 21 जून 2021 को, 21.10 मीटर प्रवेश मानक को मंजूरी मिली और इस थ्रो ने राष्ट्रीय और एशियाई दोनों रिकॉर्ड तोड़ दिए थे।

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