- Hindi News
- Sports
- Cricket
- Yuvraj Singh Vs Rahul Dravid Decision: Sachin Tendulkar, India Pakistan Multan Test Declaration
मुंबई4 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
भारत और पाकिस्तान के बीच 2004 में खेले गए मुल्तान टेस्ट को वीरेंद्र सहवाग की 309 रनों की पारी के लिए याद किया जाता है, जहां वह टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक बनाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बने।
उसी मुकाबले में सचिन तेंदुलकर ने 194 रन बनाए, हालांकि जब मास्टर ब्लास्टर अपने दोहरे शतक तक पहुंचने से छह रन दूर थे, तो स्टैंड-इन कप्तान राहुल द्रविड़ ने प्रशंसकों और क्रिकेट पंडितों को हैरान करते हुए पारी घोषित करने का फैसला किया। 18 साल बाद, भारत के पूर्व बल्लेबाज युवराज सिंह ने अब कहा है कि तेंदुलकर के 200 रन पूरे करने के बाद पारी घोषित की जानी चाहिए थी।
युवराज के आउट होते ही पारी घोषित कर दी गई
राहुल द्रविड़ ने भारत के स्कोर 675/5 के स्कोर पर घोषित करने का फैसला किया था। युवराज सिंह के 59 रन की पारी खेलकर आउट होने के तुरंत बाद यह घोषणा हुई। युवराज ने बताया कि उन्हें और सचिन को एक संदेश मिला कि हमें तेजी से खेलना था, क्योंकि पारी घोषित की जानी थी। सचिन एक और ओवर में छह रन बना सकते थे।
युवराज ने स्पोर्ट्स 18 से कहा कि अगले 2 ओवर पारी घोषित न करने से टीम पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था। युवी ने आगे कहा, “अगर यह तीसरा या चौथा दिन होता, तो आपको टीम को प्राथमिकता देनी होती और जब सचिन 150 पर थे, तब पारी घोषित की जा सकती थी। इस मामले में ओपिनियन का फर्क है। मुझे लगता है कि टीम सचिन के 200 के बाद इनिंग डिक्लेयर कर सकती थी।”
युवराज के मुताबिक उन्हें अधिक मौके नहीं मिले
भारत ने मुल्तान टेस्ट एक पारी और 52 रन से जीता था। भारतीय टीम ने 2-1 से सीरीज जीती और यह पाकिस्तान की धरती पर टीम की पहली टेस्ट सीरीज जीत थी। युवराज ने लाहौर में अगले टेस्ट में शतक बनाया था और उन्होंने तीन टेस्ट मैचों की श्रृंखला में 57.50 के शानदार एवरेज से 200 से अधिक रन बनाए थे।
26 प्रथम श्रेणी शतक लगा चुके युवराज को लगता है कि उन्हें टेस्ट क्रिकेट में अधिक अवसर नहीं मिला। युवी कहते हैं – यदि आप उस दौर की तुलना आज के दौर से करते हैं, तो आप देख सकते हैं कि खिलाड़ियों को 10-15 मैच मिलते हैं।
कैंसर के कारण गंवाया दूसरा मौका
युवी कहते हैं कि वीरू ने टेस्ट क्रिकेट में शानदार शुरुआत की। उसके बाद द्रविड़, सचिन, गांगुली और लक्ष्मण आए। लाहौर में शतक लगाने के बाद अगले टेस्ट में उन्हें ओपनिंग करने के लिए कहा गया। आखिरकार, जब गांगुली के संन्यास के बाद युवराज को टेस्ट क्रिकेट खेलने का मौका मिला, तो उन्हें कैंसर हो गया।
युवी के अनुसार उन्होंने 24×7 कोशिश की। वह 100 टेस्ट मैच खेलना चाहते थे, तेज गेंदबाजों का सामना करना और दो दिनों तक बल्लेबाजी करना चाहते थे। युवी कहते हैं कि इसके लिए उन्होंने सब कुछ दिया, लेकिन यह होना नहीं था।
युवराज सिंह ने अपने करियर में 40 टेस्ट खेले, जिसमें 33.92 की औसत से 1,900 रन बनाए। बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने 2007 टी20 विश्व कप और 2011 के 50 ओवर के विश्व कप जीत में अहम भूमिका निभाई थी। युवराज ने 2019 में संन्यास लिया था।
For all the latest Sports News Click Here
For the latest news and updates, follow us on Google News.