‘द ग्रेट वॉल’ सविता पूनिया की मुरीद हुई दुनिया: लंबी हाइट और फुर्ती ने साथ दिया, 8 पेनल्टी कॉर्नर बचाकर टीम को सेमी में पहुंचाया; पिता बोले- मेरा सीना चौड़ा हो गया
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सिरसा/हिसार16 मिनट पहले
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दादा के साथ भारतीय महिला हॉकी टीम की गोलकीपर सविता पूनिया। – फाइल फोटो
टोक्यो ओलिंपिक में पूर्व वर्ल्ड चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को हराकर भारतीय हॉकी महिला टीम ने सेमीफाइनल में जगह बना ली है। मैच में सबसे ज्यादा चर्चा में रही है भारतीय टीम की गोलकीपर सविता पुनिया। गोलकीपर सविता पुनिया ने 8 पेनल्टी कॉर्नर बचाये हैं। सविता पुनिया सिरसा के गांव जोधकां की रहने वाली है। सविता पुनिया के पिता ( डिंग पीएचसी में फार्मासिस्ट के पद पर तैनात ) महेंद्र सिंह पुनिया ने बताया कि सविता आज जो कुछ भी हैं वो उनके स्वर्गीय दादाजी की मेहनत व सोच का परिणाम है।
महेंद्र सिंह पुनिया के अनुसार उनके पिता रणजीत सिंह की ये दिली इच्छा थी कि उनकी पोतियां खेल में भाग लेकर अपना नाम चमकाएं। सविता के दादा ही बार-बार उन पर इस बात का दबाव डाल रहे थे। इसी के कारण गांव में किसी तरह की कोई खेल सुविधा नहीं होने के कारण वह 11 साल की सविता को सिरसा की अग्रसेन नर्सरी में दाखिला करवाने के लिए लेकर गए थे। अपने दादाजी का पूर्ण सहयोग व समर्थन मिलने के कारण ही सविता इतना आगे बढ़ पाई है।
कोच आजाद सिंह मलिक के साथ सविता पूनिया
सविता के दादा ने अपनी तीन पोतियों का जुडो, हॉकी में दाखिला करवाया था। सविता के पिता ने बताया कि आज उनकी अपनी बेटी से फोन पर थोड़ी देर बात हुई थी। सविता ने फोन पर बताया कि उनकी टीम ने बेहतर प्रदर्शन किया है और सबकी मेहनत की बदौलत ही वह इतनी बड़ी टीम को हरा पाई हैं। महेंद्र सिंह पुनिया ने बताया कि हॉकी टीम की जीत पर उनको बेहद खुशी है।
लंबी हाइट व फुर्ती के कारण चुनी गई थी गोलकीपर
हिसार साईं सेंटर में सविता पुनिया ने कोच रहे आजाद सिंह मलिक ने बताया कि लंबी हाइट व फुर्ती के कारण ही सविता को गोलकीपर चुना गया था। मलिक ने बताया कि जब सविता 9वीं क्लास में थी तब हिसार कोचिंग के लिए आई थी। यहां पर एक प्रैक्टिस मैच में सविता को गोलकीपर लगाया था। जब उन्होंने उस मैच में सविता का रिएक्शन टाइम देखा तो उनको लगा कि सविता को गोलकीपर के तौर पर ही तराशा जाना चाहिए।
उस मैच से लेकर अब तक सविता लगातार अपने खेल में सुधार करती रही है। मलिक ने बताया कि हॉकी के खेल में बाकी पूरी टीम की मेहनत और गोलकीपर की अकेले की मेहनत बराबर आंकी जाती है। अगर गोलकीपर कमजोर हो तो जीता हुआ मैच भी हार जाते हैं। आज सविता ने जो खेल दिखाया है वो बेहतरीन था। अगर उससे एक-दो बार भी चूक हो जाती तो उसका खामियाजा पूरी टीम को भुगतना पड़ता।
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