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पल्लेदारी करने वाले हॉकी प्लेयर को मिली जॉब: पंजाब सरकार ने नियुक्त किया कोच, मंडी में बोरियां उठाकर पाल रहे थे परिवार

लुधियाना10 घंटे पहले

पंजाब के पूर्व हॉकी खिलाड़ी परमजीत कुमार को नौकर मिल गई है। सरकर ने उन्हें कोच नियुक्त किया है। अब वह खिलाड़ियों को कोचिंग देंगे। फरीदकोट के रहने वाले परमजीत इससे पहले मंडी में पल्लेदारी करने को मजबूर था।

31 जनवरी को दैनिक भास्कर ने परमजीत के आर्थिक हालात को लेकर खबर प्रकाशित की थी। इस पर संज्ञान लेते हुए बुधवार को मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने परमजीत से मुलाकात कर उसका हौसला बढ़ाया और उसे हॉकी कोच बनाया।

स्पीकर कुलतार संधवा द्वारा किया गया ट्वीट।

स्पीकर कुलतार संधवा द्वारा किया गया ट्वीट।

स्पीकर कुलतार संधवा ने किया ट्वीट
परमजीत अब पंजाब के खिलाड़ियों को हॉकी की कोचिंग देगा। नौकरी मिलने के बाद परमजीत के परिवार में खुशी है। परमजीत को नौकरी देने को लेकर स्पीकर कुलतार संधवा ने ट्वीट भी किया है।

1 बोरी लोड-अनलोड करने के सिर्फ 1.25 रुपए मिलते
बतां दे कि परमजीत मजबूरन परिवार के पालन-पोषण के लिए हाथों-कंधों पर चावल की बोरियों का वजन उठाता था। आलम यह था कि इस खिलाड़ी को 1 बोरी लोड-अनलोड करने के सिर्फ 1.25 रुपए मिलते थे। परिवार का पालन पोषण करने के लिए परमजीत रोजाना की 450 बोरियां लोड-अनलोड करता था। भारतीय टीम की ड्रेस में इसे पल्लेदारी करते देख लोग भी दंग रह जाते थे।

अंडर-18 हॉकी नेशनल में SAI की टीम का रहे हिस्सा
परमजीत कुमार फरीदकोट में पले-बढ़े और सरकारी बिजेंद्रा कॉलेज में कोच बलतेज इंदपाल सिंह बब्बू द्वारा हॉकी में दीक्षा प्राप्त की। बाद में बलजिंदर सिंह से कोचिंग ली। 2004 में परमजीत को NIS, पटियाला में भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के प्रशिक्षण केंद्र के लिए चुना गया था, और फिर 2007 में NIS, पटियाला में हॉकी के लिए उत्कृष्टता केंद्र के लिए चुना गया।

पुलिस के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर हॉकी खेली
परमजीत 2009 से पहले केंद्र के साथ रहे। पंजाब पुलिस और पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के लिए तीन साल तक कॉन्ट्रैक्ट पर हॉकी खेली। पटियाला में अपने समय के दौरान, परमजीत अंडर-16 और अंडर-18 हॉकी नेशनल में SAI की संयुक्त टीम का हिस्सा थे, जहां टीम ने आंध्र प्रदेश के गुंटूर में अंडर-16 नेशनल में रजत पदक जीता था।

भारतीय जूनियर टीम का भी हिस्सा थे
वह पेप्सू टीम और पंजाब टीम के लिए 2 राष्ट्रीय पदकों के साथ लौटे और 2007 में बांग्लादेश में आयोजित होने वाले जूनियर एशिया कप के लिए नामित भारतीय जूनियर टीम का भी हिस्सा थे। प्रशासनिक कारणों से टूर्नामेंट रद्द कर दिया गया था। परमजीत कुमार ने दिल्ली में भारतीय जूनियर टीम के साथ नेहरू अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट खेला।

गरीबी में बीता बचपन, हॉकी किट खरीदने के पैसे नहीं
परमजीत बताते हैं कि वे जब पटियाला में SAI केंद्र के लिए चुने गए थे, तो उनके पास हॉकी किट खरीदने के पैसे तक नहीं थे। परमजीत ने हॉस्टल में रहकर भारत के लिए खेलने का सपना देखा। परमजीत जूनियर नेशनल में SAI की संयुक्त टीमों के लिए खेला।

2 दिन बाद टूर्नामेंट रद हो गया था
उसे जूनियर एशिया कप के लिए चुना गया तो उन्हें ब्लेजर मिला, लेकिन 2 दिन बाद टूर्नामेंट रद कर दिया गया। टोक्यो ओलिंपिक कांस्य पदक विजेता भारतीय कप्तान मनप्रीत सिंह के अलावा रूपिंदर पाल सिंह, ललित उपाध्याय और कोथाजीत सिंह जैसे अन्य खिलाड़ी SAI टीमों में परमजीत के साथी रह चुके हैं।

ट्रॉफी और हॉकी के साथ (दाएं) और बोरी उठाए परमजीत कुमार बाएं।

ट्रॉफी और हॉकी के साथ (दाएं) और बोरी उठाए परमजीत कुमार बाएं।

बाएं हाथ में लगी थी चोट
2012 में परमजीत के बाएं हाथ में चोट लग गई और वह एक साल से अधिक समय तक खेल से दूर रहे। उन्होंने अपनी चोट के बाद वापसी की और राज्य स्तर और स्थानीय स्तर पर हॉकी के मुकाबले खेले। 2015 के बाद हॉकी पूरी तरह से छूट गई। इसके बाद ‘पल्लेदार’ के रूप में काम करना शुरू किया था। फिलहाल वह अभी किराए के मकान में पत्नी और बेटे के साथ रहते हैं।

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