पहलवानों के गृहमंत्री से मिलने के बाद बड़ा बदलाव: रेसलर्स की ड्यूटी जॉइन, बृजभूषण पर दिल्ली पुलिस की सख्ती; 9 जून का खापों का कार्यक्रम रद
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पानीपत5 मिनट पहले
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पहलवानों की 4 जून को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाहर के साथ मुलाकात हुई थी।
रेसलर्य और WFI पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण विवाद में नई संसद भवन के सामने 28 मई को हंगामे और पहलवानों की FIR सामने आने के बाद गृह मंत्रालय एक्टिव हुआ। 4 जून को गृहमंत्री अमित शाह के घर बजरंग विनेश और साक्षी मलिक ने उनसे मुलाकात की जो 2 घंटे चली। इस मुलाकात में कोई तीसरा पक्ष मौजूद नहीं था।
बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर 23 अप्रैल से बड़ा प्रदर्शन कर रहे पहलवान अचानक साइलेंट हो गए। इसका बड़ा कारण अमित शाह से मुलाकात माना जा रहा है। इस बड़ा कारण यह भी है कि इसके तुरंत बाद पहलवानों ने अपनी ड्यूटी जॉइन कर ली।
हालांकि बजरंग, विनेश और साक्षी ने साफ किया है कि वह अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए नौकरी पर लौटे हैं, लेकिन इंसाफ के लिए उनकी लड़ाई जारी रहेगी। इस पूरे विवाद की वजह से भाजपा के अंदर भी बेचैनी है। BJP का एक बड़ा धड़ा बृजभूषण सिंह के खिलाफ कार्रवाई के पक्ष में है।
हरियाणा और UP के इन नेताओं ने निभाई मध्यस्था की भूमिका
मुजफ्फरनगर के सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री डॉक्टर संजीव बालियान ने पहलवानों से बात की। उनकी मुलाकात केंद्र में एक शीर्ष नेता से कराने का भरोसा दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बागपत के सांसद सत्यपाल सिंह भी इस विवाद में मध्यस्थ की भूमिका में नजर आए। केंद्र सरकार किसी भी तरह से पहलवानों के मामले को शांत कराने की ठान चुकी थी, इसलिए पहलवानों के साथ बातचीत का दोतरफा संवाद शुरू हुआ।
एक तरफ हरियाणा और दूसरी ओर यूपी के नेता, इसके लिए आगे आए। हरियाणा से जुड़े एक खाप प्रतिनिधि के मुताबिक, जंतर मंतर से लगते केरल हाउस में पहलवानों और केंद्र सरकार के मध्यस्थों की बैठक हुई। यह बैठक मई के अंतिम सप्ताह में हुई थी। यहीं से पहलवानों के साथ अमित शाह की मुलाकात का रास्ता खुला।
शाह की बैठक के लिए हरियाणा से राज्यसभा सांसद कार्तिकेय शर्मा, चरखी दादरी के विधायक सोमबीर सांगवान और भाजपा शासित एक बड़े प्रदेश के राज्यपाल प्रयासरत रहे। खास बात यह है कि हरियाणा से कार्तिकेय शर्मा बतौर निर्दलीय प्रत्याशी, राज्यसभा पहुंचे थे। सोमबीर सांगवान भी निर्दलीय विधायक हैं। उन्होंने गत विधानसभा चुनाव में भाजपा नेता और पहलवान बबिता फोगाट को हराया था।
सोरम (मुजफ्फरनगर) की खाप पंचायत में दिखा असर
हरिद्वार में नरेश टिकैत ने पहलवानों से 5 दिन मांगे थे। उन्होंने भरोसा दिलाया था कि इस अवधि में खाप पंचायत एवं किसान संगठन कुछ न कुछ करेंगे। सोरम (मुजफ्फरनगर) में हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के खाप प्रतिनिधियों की बैठक हुई। माना जा रहा था कि बैठक में कोई बड़ा निर्णय होगा, लेकिन राकेश टिकैत ने कहा, पंचायत ने फैसला ले लिया है और इसकी जानकारी कुरुक्षेत्र में होने वाली खाप पंचायत में दी जाएगी।
खास बात है कि यही वो पंचायत थी, जब पहली बार यह आवाज सुनाई पड़ी कि पहलवानों का आंदोलन हाईजैक हो रहा है। खाप प्रतिनिधियों के बीच मनमुटाव जैसा कुछ दिखा। कुरूक्षेत्र की पंचायत में कुछ खास नहीं हुआ। वहां भी सरकार को 9 जून तक का समय दे दिया।
अगर इस अवधि में बृजभूषण सिंह को गिरफ्तार नहीं किया गया तो किसान संगठन एवं खाप पंचायतें, दोबारा से पहलवानों को लेकर जंतर मंतर पर पहुंच जाएंगी। जिस वक्त कुरुक्षेत्र की खाप पंचायत चल रही थी, उसी समय खबर आई कि बृजभूषण सिंह की अयोध्या में होने वाली रैली स्थगित कर दी गई है। ये संयोग नहीं था, बल्कि पहलवानों के आंदोलन में केंद्र सरकार की एंट्री का इफेक्ट था
1 जून से गृह मंत्रालय ने पहलवानों से साधा संपर्क
एक जून को यूपी के मुज्जफरनगर के सोरम में आयोजित महापंचायत में 5 राज्यों की खापों ने भाग लिया था। यहां पर पहलवान भी पहुंचे थे। इस पंचायत के दौरान खाप प्रतिनिधियों के पास गृह मंत्रालय से कॉल आनी शुरू हुई। जिस कॉल में इस मुद्दे पर बातचीत के जरिए हल निकालने जैसी बात कही गई थी। जिस पर खाप प्रतिनिधियों ने कहा था कि वे इस बारे में पहलवानों से बात करें। उनकी संतुष्टि होनी जरूरी है। उम्मीद जताई जा रही है कि इसी दिन से ही गृहमंत्रालय से खिलाड़ियों को बातचीत के टेबल पर लाने के प्रयास शुरू कर दिए थे।
केंद्र गिरफ्तारी पर राजी नहीं
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र पहलवानों की 5 मांगों को मानने को तैयार है। इनमें महिला कुश्ती कैंप लखनऊ से पटियाला, आरोपी कोच को हटाने, WFI को सस्पेंड करने, पहलवानों पर दर्ज दंगे के केस वापस लेने और महिला कुश्ती की कमान किसी महिला को सौंपना शामिल है। केंद्र पहलवानों से बातचीत के लिए 4 मंत्रियों की कमेटी बना रहा है। केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर, एक महिला मंत्री के अलावा 2 और मंत्री होंगे।
मगर, बृजभूषण की गिरफ्तारी और फेडरेशन से पूरी तरह बेदखल करने की शर्त पर सरकार राजी नहीं है। सरकार का कहना है कि पहलवान चाहें किसी भी एजेंसी से जांच करा लें, लेकिन वे सीधे बृजभूषण को गिरफ्तार करने का आदेश नहीं दे सकते। मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने को लेकर भी सरकार की शर्त है कि पहलवान धरना छोड़ खेल में लौटें।
वर्ष 1983 का वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रचने वाली कपिल देव की अगुवाई वाली इंडियन क्रिकेट टीम ने पहलवानों का समर्थन किया है।
असमंजस का दौर जारी
– अब तक पुख्ता ढंग से ये नहीं पता है कि पिछले कुछ घंटों में पर्दे के पीछे ऐसा क्या कुछ हुआ जिसकी वजह से पहलवानों की अमित शाह से मुलाकात हुई और इस मुलाकात का सूत्रधार कौन रहा?।
– इस समय सबसे बड़ा सवाल ये है कि पहलवानों के अपनी नौकरी पर वापस लौटने के बाद भी क्या ये विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा?।
– सवाल ये भी है कि अगर पहलवान अपनी नौकरी पर जाना जारी रखते हैं तो इस आंदोलन का नेतृत्व कौन करेगा?।
– खापों को अपनी बड़ी मजबूती बता रहे पहलवानों के लिए यह भी झटके वाली खबर है कि खापों ने अब सब कुछ खिलाड़ियों पर ही छोड़ दिया है। कहा है कि जैसा पहलवान कहेंगे वे वैसा ही करेंगे।
– इस मुद्दे पर पहलवानों की ओर से साफ तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। उन्होंने बस इतना कहा है कि ये आंदोलन जारी रहेगा।
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