बीसाई प्रणीत का इंटरव्यू: प्रणीत बोले- ओलिंपिक में हमारे और शटलर होते तो मेडल की उम्मीद बढ़ती
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नई दिल्ली6 घंटे पहलेलेखक: शेखर झा
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बीसाई प्रणीत पुरुष सिंगल्स में टोक्यो ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले इकलौटे शटलर हैं।
टोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई करने वाले भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बीसाई प्रणीत कोरोना के बीच खुद को फिट रखने पर फोकस कर रहे हैं। वे ओलिंपिक में पुरुष सिंगल्स में भारत के एकमात्र शटलर होंगे। प्रणीत कहते हैं कि अगर ओलिंपिक के लिए भारत के और बैडमिंटन खिलाड़ियों ने क्वालिफाई किया होता तो मेडल उम्मीद बढ़ती। प्रणीत ने रैंकिंग के आधार पर क्वालिफाई किया है। उनकी वर्ल्ड रैंकिंग 15 है। पेश है उनसे बातचीत के अंश…
अगर भारत से कम खिलाड़ी क्वालिफाई करते हैं तो क्या यह मानसिकता को प्रभावित करता है?
हर रोज नई चुनौतियां आ रही हैं। कुछ चीजें हमारे हाथ में नहीं हैं। हमें बदलती परिस्थितियों के साथ ढलने की जरूरत है। ओलिंपिक में भारत के और शटलर होते तो अच्छा होता। फिर भी हमारा लक्ष्य और फोकस वही है। इससे हमारी मानसिकता नहीं बदलेगी। हम भारत के लिए मेडल जीतने के लिए अपना शत प्रतिशत देंगे।
यह आपका पहला ओलिंपिक है। कोर्ट ट्रेनिंग के अलावा आप कोर्ट के बाहर कैसे तैयारी करते हैं?
मैं महामारी के दौर में चीजों को सरल रखने की कोशिश कर रहा हूं। मैंने एक साल से ओवरऑल अपने गेम पर काफी काम किया है। फिटनेस को ठीक रखने और डिफेंस मजबूत करने पर फोकस कर रहा हूं।
आप ओलिंपिक में बैडमिंटन से कितने पदक की उम्मीद कर रहे हैं?
हर कोई ओलिंपिक में अपना बेस्ट देगा। इतने बड़े टूर्नामेंट में मेडल को लेकर अनुमान लगाना आसान नहीं है, क्योंकि सभी शीर्ष खिलाड़ी इसमें हिस्सा लेते । टूर्नामेंट में किसी भी दिन कोई भी जीत सकता है। इसलिए हम कड़ी मेहनत कर रहे हैं और परिणाम के बारे में ज्यादा नहीं सोच रहे हैं।
कोरोना के दौर में एसोसिएशन और साई ने आप तक कैसे मदद पहुंचाई?
इस महामारी के कठिन समय में वे अप्रत्याशित परिस्थितियों में सहायक रहे हैं। यह सभी के लिए एक नई चुनौती है। लेकिन बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (बीएआई) और साई ने ट्रेनिंग, टूर्नामेंट को लेकर हमारी बहुत मदद की है। हमें जहां भी जरूरत हुई है, उन्होंने प्रयास किए हैं
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