बॉक्सर सतीश कुमार से… भास्कर की बातचीत…: 13 टांकों के साथ मुक्केबाजी के क्वार्टर फाइनल में उतरे थे, बोले- लास्ट चांस छोड़ना नहीं चाहता था
लखनऊ10 मिनट पहलेलेखक: सचिन शर्मा
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भारतीय सेना के जवान और हैवीवेट बॉक्सर सतीश कुमार (32) ने टोक्यो ओलंपिक में क्वार्टर फाइनल का तक सफर तय किया। सतीश यहां उज्बेकिस्तान के बखोदिर जलोलोव से हारकर मेडल की रेस से भले ही बाहर हो गए, लेकिन उनका जज्बा सलाम के काबिल है। मुकाबले के बाद सतीश की ठुड्डी और आइब्रो में 13 टांके लगे हैं।
सतीश यूपी के बुलंदशहर जिले के पचौता गांव के रहने वाले हैं। वह टोक्यो से मंगलवार को दिल्ली लौट रहे हैं। पहले ग्रेटर नोएडा में पत्नी और बच्चों से मिलेंगे, फिर पैतृक गांव पचौता जाएंगे।
टोक्यो में मौजूद बॉक्सर सतीश ने सोमवार को दैनिक भास्कर से बातचीत की। पढे़ं सतीश के पूरे सफर की कहानी, उन्हीं की जुबानी..
ऐसा लगा जैसे सब कुछ हार गया
बॉक्सर सतीश कुमार ने बताया कि प्री-क्वार्टर मैच में उन्हें प्रतिद्वंदी खिलाड़ी का सिर मुंह पर लगा था। इससे चिन और आइब्रो में 13 टांके आए। ऐसा लग रहा था, जैसे मैं सबकुछ हार गया। मैं बार-बार यही सोच रहा था कि खेलूं या न खेलूं। एकाएक मेरे लिए सोशल मीडिया में प्रार्थनाओं का दौर शुरू हुआ। कोच, परिवार, दोस्तों समेत सभी ने मुझे अगला राउंड खेलने के लिए प्रेरित किया।
सतीश बोले – हार-जीत होती रहती है, मगर लास्ट चांस नहीं छोड़ना चाहिए।
डॉक्टरों ने नॉट गुड बोला- मैंने की थी रिक्वेस्ट
सतीश ने कहा कि आखिर में मैंने भी यही सोचा कि हार-जीत होती रहती है, मगर लास्ट चांस नहीं छोड़ना चाहिए। ऐसा न हो कि मैं फाइट न खेलूं और जिंदगीभर एक अफसोस रह जाए। क्वार्टर फाइनल से पहले रविवार सुबह मेरा मेडिकल चेकअप हुआ। डॉक्टरों ने चेकअप करके ‘नॉट गुड’ बोला। मैंने उनसे रिक्वेस्ट की। कहा कि आखिरी मौका मुझसे न छीना जाए। मेरे जोश-जुनून को देखकर डॉक्टरों ने मुझे क्वार्टर फाइनल में खेलने की परमिशन दी।
2024 में पदक लाने का पूरा प्रयास करूंगा
सेना के 32 साल के जवान बॉक्सर सतीश कहते हैं कि भले ही वह हार गए, मगर लोगों के प्यार को देखकर ऐसा लगता कि जैसे वह जीते हैं। हारने के बाद भी लोगों का बेहद प्यार मिला। सभी ने मुझे सपोर्ट किया। सतीश ने कहा कि 2024 में वह पेरिस ओलंपिक में खेलेंगे और भारत के लिए मेडल लाने का भरपूर प्रयास करेंगे।
बॉक्सर सतीश बोले- 2024 में वह पेरिस ओलंपिक में खेलेंगे और भारत के लिए मेडल लाने का प्रयास करेंगे।
2010 में जीता पहला पदक, फिर मुड़कर नहीं देखा
- सतीश कुमार ने पहला गोल्ड मेडल 2010 में उत्तर भारत एरिया चैंपियनशिप में जीता था। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। सतीश ने नेशनल चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता। इसके बाद उन्होंने एशियन गेम्स 2014 में ब्रांज मेडल जीता और 2018 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीता।
- एशियन चैंपियनशिप में 2015 में भी ब्रांज जीता। पूरा परिवार सतीश की उपलब्धि पर गर्व करता है। सतीश की मां गुड्डी बताती हैं सतीश 11 साल का था तब कोई संसाधन नहीं था। मेरा भोलू (सतीश का घर का नाम ) ट्यूब् में रेत भरके अभ्यास करता था। सेना में सतीश के साथी उन्हें खली बुलाते हैं।
सतीश कुमार की प्रोफाइल
- 2010 में मुक्केबाजी का करियर शुरू किया
- 5 नेशनल रिकार्ड हासिल कर चुके हैं
- 2014 एशियाई खेलों में कांस्य पदक
- 2015 एशियाई चैम्पियनशिप में कांस्य पदक
- 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक
- 2019 एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य पदक
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