भारतीय मूल के पगड़ीधारी ने रोशन किया नाम: बास्केटबॉल में पहली बार कोई ‘फैन हाॅल ऑफ फेम’ में शामिल हुआ, पगड़ी-दाढ़ी के कारण भेदभाव भी बर्दाश्त किया
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चंडीगढ़8 घंटे पहले
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टोरंटो रैप्टर्स टीम द्वारा 2019 में NBA फाइनल जीतने के बाद उन्हें चैंपियनशिप में सम्मानित किया गया था।
- भारतीय मूल के नव भाटिया को मिला सम्मान, 1995 से NBA टीम टोरंटो रैप्टर्स काे सपोर्ट कर रहे
(गौरव मारवाह). भारतीय मूल के पगड़ीधारी ने विदेशी सरजमीं पर देश का नाम रोशन किया है। कनाडा में रहने वाले भारतीय मूल के नव भाटिया पहले NBA फैन हैं, जिन्हें बास्केटबॉल हाॅल ऑफ फेम में शामिल किया गया है। वे पगड़ी के साथ भी यहां जगह बनाने वाले एकमात्र शख्स हैं। हॉल ऑफ फेम में कोबे ब्रायंट, माइकल जॉर्डन, विल्ट चेम्बरलेन जैसे स्टार्स के बीच अब नव भाटिया का नाम भी शामिल हो गया है।
भाटिया ने कहा कि नेस्मिथ बास्केटबॉल हॉल ऑफ फेम में पहले फैन के रूप में सम्मानित किया गया है। मैं भावनाओं से अभिभूत हूं। ये उस सिख के लिए सम्मान की बात है, जिसने 1995 में टोरंटो रैप्टर्स के पहले सीजन की दो टिकट खरीदी थीं। टोरंटो रैप्टर्स टीम द्वारा 2019 में NBA फाइनल जीतने के बाद उन्हें चैंपियनशिप में सम्मानित किया गया था।
हॉल ऑफ फेम में पहली बार पगड़ी रखी गई, टोरंटो रैप्टर्स सम्मानित कर चुका है…
भाटिया ने कहा, ‘सालों से बास्केटबॉल ने मुझे कई मतभेदों को दूर करने में मदद की है। सिख धर्म के एक अप्रवासी के रूप में, मेरी पगड़ी और दाढ़ी के कारण मुझे कई भेदभावपूर्ण टिप्पणियों का सामना करना पड़ा। बास्केटबॉल ने मुझे न केवल इस बात पर भरोसा करने में मदद की है कि मैं कौन हूं बल्कि इससे मुझे दक्षिण एशियाई लोगों के प्रति कई लोगों के विचारों को बदलने में भी सहायता मिली।
जब हम खेल को देखने के लिए एक साथ बैठते हैं, अपनी टीम को चीयर करते हैं तो हमें एहसास होता है कि हम एक जैसे हैं। मुझे उम्मीद है कि मैं इस सम्मान का इस्तेमाल और अधिक लोगों को एक साथ लाने में करूंगा।’ हॉल ऑफ फेम में नव के लिए पहली बार एक पगड़ी को रखा गया है, वो भी उनकी चैंपियनशिप रिंग की रेप्लिका के साथ।
इसके अलावा कस्टम सुपर फैन शूज, एक सुपर फैन बास्केटबॉल, उनकी मशहूर कोर्ट-साइड सीट ए-12 और असली रैप्टर की वो जर्सी, जो उन्हें ऐसेया थॉमस ने 1998 में दी थी, जिस पर सुपर फैन लिखा था, इसे भी रखा गया है। सुपर फैन भाटिया का लक्ष्य बास्केटबॉल के माध्यम से सभी उम्र और पृष्ठभूमि के लोगों को एकजुट करना है ताकि किसी को भेदभाव का सामना न करना पड़े।
वे 1984 में भारत से कनाडा आए थे। वे बास्केटबॉल के लिए लगातार काम करते रहे। 2018 में उन्हें रॉयल बैंक ऑफ कनाडा के टॉप-25 कनाडियन इमिग्रेंट में शामिल किया गया था।
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