Updated News Around the World

भारतीय हॉकी टीम की दुनिया में चर्चा: खिलाड़ियों के साथ ओडिशा सरकार भी हीरो, खेल मंत्री ने कहा- भारतीय हॉकी को 1980 के लेवल पर ले जाएंगे

  • Hindi News
  • Local
  • Delhi ncr
  • Women’s Hockey Olympics 2021, Women’s Hockey Ranking, Tokyo Olympics 2021, Tokyo Olympics India Medals, Men’s Olympic Hockey Match

2 मिनट पहलेलेखक: संध्या द्विवेदी

  • कॉपी लिंक

भारतीय हॉकी टीम की स्पॉन्सर ओडिशा सरकार का कहना है कि खेल को आगे बढ़ाने में लॉजिस्टिक्स की कमी को आड़े नहीं आने दिया।- फाइल फोटो।

भारतीय हॉकी टीम ने 41 साल बाद ओलिंपिक में देश को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया है। टीम इंडिया ने ब्रॉन्ज मेडल मैच में जर्मनी को 5-4 से हरा दिया। पूरे देश ही नहीं दुनियाभर में भारतीय हॉकी टीम की चर्चा 1980 के बाद यानी 4 दशक बाद एक बार फिर हुई है। टीम की मेहनत तो मायने रखती ही है, लेकिन टीम को न केवल स्पॉन्सर करने बल्कि उसे खेल के मैदान, खेल के उपकरण से लेकर अभ्यास तक की सभी सुविधाएं मुहैया करवाने वाले राज्य ओडिशा का जिक्र भी आज सबकी जुबान पर है।

ओडिशा के स्पोर्ट्स मिनिस्टर तुषार क्रांति बहेरा कहते हैं, ‘2018 में हमने भारतीय हॉकी टीम को स्पॉन्सर करने का जिम्मा लिया। इससे पहले सहारा इसे स्पॉन्सर करता था। हमने हॉकी की शीर्ष संस्था से कहा, आप बस खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दीजिए। हम सिर्फ वित्तीय मदद तक सीमित नहीं रहेंगे बल्कि खेल के आड़े आने वाली प्रशासनिक और लॉजिस्टिक की अड़चनों को भी दूर करेंगे। हमने यही किया भी…पुलिस, प्रशासन और किसी भी तरह के लॉजिस्टिक्स को इस खेल के आड़े नहीं आने दिया।’

1980 तक हम हॉकी के बेताज बादशाह थे
ओडिशा के स्पोर्ट्स सेक्रेटरी विनिल कृष्णा कहते हैं, ‘हॉकी भारत का खेल है। 1980 तक हम इसके बेताज बादशाह थे, तो हॉकी भारत के खून में तो है, यह हमारे मुख्यमंत्री को पता था। खासतौर से उड़ीसा में हॉकी का चलन काफी ज्यादा है। लिहाजा हमने बजट के अलावा भारत की शीर्ष हॉकी संस्था हॉकी इंडिया के मुखिया नरेन्द्र ध्रुव बत्रा से बात कर हॉकी के लिए जरूरी सभी संसाधनों और उन सभी लॉजिस्टिक्स की कमी पर बात की जो खेल के आड़े आते हैं।

क्योंकि ज्यादातर संस्थाएं प्रशासनिक, चेक क्लीयरेंस और टीम को खेलने के लिए हरी झंडी देने वाली संस्थाओं से ही उलझती रहती हैं। यह सारा काम सरकार ने अपने हाथ में लिया। इसके अलावा खिलाड़ियों की क्या जरूरत हैं इस पर भी विस्तार से बात की। क्योंकि जब हम किसी खेल को आगे बढ़ाने की बात करते हैं तो बजट से भी ज्यादा जरूरी होता है खिलाड़ियों की जरूरतों को समझना। हमने वही किया।’

स्पोर्ट्स सेक्रेटरी कृष्णा ने बताया, ‘तकरीबन 3 साल तक भुवनेश्वर के सुविधा सम्पन्न होटल में खिलाड़ियों को रखा गया। इसके पीछे तर्क था कि खिलाड़ियों की पर्सनल लाइफ स्टाइल अगर हेल्दी होगी तो वे परफार्म भी अच्छा करेंगे। सोने-जागने और खाने-पीने का असर खेल पर साफ दिखता है। लिहाजा आवास के साथ खिलाड़ियों की डाइट और उनकी सुविधाओं को तरजीह दी गई।’

कृष्णा से पूछने पर कि क्या ये सब स्पॉन्सरशिप के करार के साथ जुड़ा था। यह सारा खर्चा स्पॉन्सरशिप की कुल खर्च की रकम का हिस्सा था? वे कहते हैं- बिल्कुल नहीं, ये सब स्पॉन्सरशिप की रकम से अलग था। यह करोड़ों का खर्चा था। हमने पहले ही कहा कि हम उस टीम को जिंदा करने की कोशिश कर रहे थे जिसने तकरीबन 5 दशक पहले दम तोड़ दिया था। इसलिए यह सब मायने नहीं रखता।’

कृष्णा कहते हैं, ‘हम केवल स्पॉन्सरशिप की रकम के लिए चेक फाड़कर अपना पल्ला झाड़ना नहीं चाहते थे। स्पॉन्सरशिप की रकम 150 करोड़ रुपए थी। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने साफ कहा था, स्पॉन्सरशिप लेने का मतलब चेक फाड़कर नहीं देना। खिलाड़ी बनाने के लिए उसके पीछे अपना वक्त देना पड़ता है।’ हमने वही किया। हॉकी इंडिया के मुखिया नरेंदर बत्रा जी के साथ लगातार संपर्क में रहने और अपडेट लेने के साथ उनकी अड़चनों और मुश्किलों को भी दूर करने का जिम्मा हमारा था। अभ्यास के लिए उन्हें हॉकी का स्टेडियम मुहैया करवाना। उस दौरान सभी खर्चों को वहन करना। यह हमारी जिम्मेदारी थी।

नवीन पटनायक खुद भी हॉकी के खिलाड़ी, कहा था-केवल पैसे देना किसी खेल को जिंदा करने के लिए काफी नहीं…
हॉकी टीम की स्पॉन्सरशिप लेने के पीछे की रोचक किस्सा है। जब हमें पता चला कि सहारा अब हॉकी को स्पॉन्सर नहीं कर पाएगा तो नवीन पटनायक जी ने खेल मंत्री और संबंधित स्टाफ को बुलाकर चर्चा की। पूछा, कहा हमें हॉकी की जिम्मेदारी लेनी चाहिए?

स्पोर्ट सेक्रेटरी ने बताया, ‘हम सब जानते थे कि हॉकी पटनायक जी का पसंदीदा खेल है। दून स्कूल में वे खुद भी हॉकी खेलते थे। वे बेहतरीन गोलकीपर थे। हालांकि उसके बाद वे शौकिया तौर पर ही खेले। लेकिन यह खेल उनके दिल के करीब है। उन्होंने कहा, हां करने से पहले यह जरूर सोचना की केवल चेक फाड़कर देना किसी खेल को जिंदा करने के लिए काफी नहीं है। केवल खिलाड़ी की नहीं बल्कि उस टीम की मेहनत भी खेल को जीतने के लिए जरूरी है जो पर्दे के पीछे रहती है। अभ्यास कराने वाली टीम और कोच के अलावा हमे भी हॉकी की वही टीम बनना होगा।’

पिछले 5 सालों में राज्य ने कई टूर्नामेंट को किया होस्ट, 2023 का वर्ल्ड कप की भी मेजबानी को तैयार
वर्ल्ड कप-2018, 2014 की चैंपियंस ट्रॉफी, हॉकी वर्ल्ड लीग फाइनल, 2017 और अब 2023 में मेंस हॉकी वर्ल्ड कप को भी ओडिशा होस्ट करेगा। यह मैच राउरकेला में खेला जाएगा।

पिछले 5 सालों में खेल के लिए क्या क्या हुए प्रयास, क्या है फ्यूचर प्लान?

  • 20 स्पोर्ट हॉस्टल बनकर तैयार हो चुके हैं। जहां, खिलाड़ियों के रहने और उनके हिसाब से खानपान की व्यवस्था है। यहां की लाइफ स्टाइल स्पोर्ट्स मैन और वीमेन के लिए हिसाब से रखी गई है। यहां स्टेडियम, कोच, एक्सरसाइज की व्यवस्था बिल्कुल अनुकूल है।
  • हॉकी के 10 सेंटर अलग से बनाए गए हैं। जहां छोटे-छोटे बच्चों को शुरुआत से ही हॉकी खेलना सिखाया जा रहा है।
  • 2018 में टाटा ग्रुप के साथ मिलकर राज्य सरकार ने कलिंग में हॉकी हाई परफॉर्मेंस सेंटर भी स्थापित किया। यहां से 25,00 हॉकी के युवा खिलाड़ियों को अब तक प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
  • राज्य ने मार्च में पास किया 350 करोड़ से ज्यादा का ‘स्टेट लेवल स्पोर्ट डेवलपमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट’ बनेंगे स्टेडियम और हॉकी स्कूल
  • राउरकेला में 20,000 क्षमता वाला इंटरनेशनल हॉकी स्टेडियम बनकर 2023 तक तैयार हो जाएगा। यह देश का सबसे बड़ा स्टेडियम होगा।
  • भुवनेश्वर में भी एक कलिंगा स्टेडियम बनकर तैयार हो रहा है।
  • 20 हॉकी स्कूल और बनकर तैयार हो रहे हैं। दरअसल, ज्यादातर जगहों पर 14-15 साल के बाद ही बच्चे इन खेलों की तरफ जाते हैं। लेकिन इन स्कूलों में 3-4 साल के बच्चों से लेकर किशोरों तक के लिए कोच मुहैया करवाए जाएंगे। इन स्कूलों में प्रोफेशनल खेल के स्टेडियम होंगे।

स्कूलों में खेलों को मैंडेटरी करने का प्रस्ताव भी हो चुका पास, जल्द ही होगा लागू
स्पोर्ट मिनिस्टर ने बताया, ‘बच्चों के भीतर खेलों के प्रति रुचि बढ़ाने और उनकी प्रतिभा को मांझने के लिए एक प्रस्ताव लाया गया है। प्रस्ताव के तहत हर स्कूल में खेलों को अन्य विषयों की तरह जरूरी किया जाएगा। यहां भी हम केवल बजट एलोकेशन तक सीमित नहीं रहेंगे बल्कि निगरानी काम और हर अड़चन को खत्म करने की जिम्मेदारी उठाएंगे।

ओडिशा ने ही दिए मौजूदा महिला और पुरुष टीमों के वाइस कैप्टन
मौजूदा पुरुष हॉकी टीम के वाइस कैप्टन बीरेंद्र लाकरा हैं। इनका मूल निवास ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के लचचदा गांव में है। बीरेंद्र ओरांव आदिवासी समुदाय के हैं। महिला हॉकी टीम की वाइस कैप्टन दीप ग्रेस इक्का भी ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले की निवासी हैं। दीप भी आदिवासी समुदाय से आती हैं।

खबरें और भी हैं…

For all the latest Sports News Click Here 

 For the latest news and updates, follow us on Google News

Read original article here

Denial of responsibility! NewsUpdate is an automatic aggregator around the global media. All the content are available free on Internet. We have just arranged it in one platform for educational purpose only. In each content, the hyperlink to the primary source is specified. All trademarks belong to their rightful owners, all materials to their authors. If you are the owner of the content and do not want us to publish your materials on our website, please contact us by email – [email protected]. The content will be deleted within 24 hours.