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भास्कर खास: किप्रूटो का लक्ष्य अनोखे रिकॉर्ड पर; जीते तो वे लगातार दो बार यह मैराथन जीतने वाले 11वें खिलाड़ी बन जाएंगे

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सारा गियरहार्ट | मोसोरियट (केन्या)एक मिनट पहले

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भास्कर खास: किप्रूटो का लक्ष्य अनोखे रिकॉर्ड पर; जीते तो वे लगातार दो बार यह मैराथन जीतने वाले 11वें खिलाड़ी बन जाएंगे

126वीं बोस्टन मैराथन से 15 दिन पहले सूर्योदय के ठीक बाद बेनसन किप्रूटो केन्या के छोटे से गांव मोसोरियट, जो कि नंदी काउंटी में है, की धूल भरी सड़क पर दौड़ते दिखाई दे रहे हैं। नंदी काउंटी को लंबी दूरी के चैंपियंस धावकों का गढ़ कहा जाता है। किप्रूटो अपने लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए चुपचाप दौड़ रहे हैं। लक्ष्य है- बोस्टन मैराथन में अपना खिताब बचाना। 124 साल पुरानी इस मैराथन में अब तक सिर्फ 10 पुरुष धावक ही बैक-टू-बैक दौड़ जीत सके हैं। आखिरी बार 2008 में ऐसा हुआ था, जब केन्या के रॉबर्ट चेरुयोट ने खिताब बचाया था।

31 साल के किप्रूटो को अपने ही देश के जियोफ्री कामवोरोर (दो बार के न्यूयॉर्क सिटी मैराथन चैंपियन), इथोपिया के बिरहानु लेगेसे (तीसरे सबसे तेज मैराथन रनर) और दो बार के पूर्व चैंपियन इथोपिया के लेलिसा डेसिसा से चुनौती मिलेगी।

बचपन में किप्रूटो को काफी संघर्ष करना पड़ा
किप्रूटो उत्तरी क्षेत्र के एक सुदूर गांव टॉलिलेट में पले-बढ़े। जहां अक्सर जीवन छोटे से खेत में कॉर्न और बींस उगाने में बीत जाता। यही यहां के लोगों की आजीविका का साधन था। किप्रूटो जब एक साल के थे, तब पिता का निधन हो गया था। मां को किप्रूटो और उनके चार भाई-बहनों का पेट भरने के लिए संघर्ष करना पड़ता। कभी-कभी किप्रूटो हफ्ते में सिर्फ आधे दिन स्कूल जा पाते क्योंकि उनकी मां इतनी ही फीस दे सकती थीं।

शाम के वक्त वे भाई-बहनों के साथ खेतों में काम करते। जब किप्रूटो 16 साल के थे, तब उनके साइंस टीचर, जो जिम टीचर भी थे, ने उन्हें क्रॉस-कंट्री में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया। किप्रूटो ने हिस्सा लिया और साबित भी किया।

अब तक नौ मैराथन में दौड़ चुके हैं किप्रूटो, जिसमें से तीन में जीत मिली है

अब तक नौ मैराथन में दौड़ चुके हैं किप्रूटो, जिसमें से तीन में जीत मिली है

किप्रूटो को बचपन में सब्जियां भी बेचना पड़ा है
किप्रूटो प्रतिस्पर्धी रनिंग नहीं करना चाहते थे। वे तो खेल पत्रकारिता में करिअर बनाना चाहते थे, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण आगे की पढ़ाई अफोर्ड नहीं कर सकते थे इसलिए उन्होंने खेत पर काम किया। उन्होंने एक छोटी सी दुकान खोली, जिसमें शक्कर, दूध, अपने खेत में उगाई हुई सब्जियां बेचा करते। इससे महीने भर में वे 3 हजार रुपए कमा पाते। हालांकि, उन्होंने दौड़ना नहीं छोड़ा।

कुछ समय बाद किप्रूटो के एक दोस्त, जो कि प्रोफेशनल रनर भी थे, ने उन्हें 12 मील रनिंग की ट्रेनिंग के लिए बुलाया। इसके बाद ही किप्रूटो ने खेल में करिअर बनाने के बारे में विचार किया। वे 2015 में कप्साबेट चले गए, जहां उन्होंने रनिंग क्लब ज्वाइन किया।

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