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- Rani Rampal Said Earlier People Only Used To See The Score In Olympics People Saw Our Effort Good Performance Encouraged By The Support Of The Countrymen
गाजियाबाद4 मिनट पहलेलेखक: वैभव पलनीटकर
भारतीय महिला हॉकी टीम ने टोक्यो ओलिंपिक में चौथा स्थान हासिल किया। पहली बार भारतीय महिला टीम ने सेमीफाइनल तक का सफर तय किया। दैनिक भास्कर समूह ने रविवार को गाजियाबाद में मौजूद CISF कैंपस में ओलिंपिक में शानदार प्रदर्शन करने वाली भारतीय टीम को सम्मानित किया और 26 लाख रुपए देकर प्रोत्साहित किया। समारोह के दौरान भास्कर संवाददाता ने टीम की कप्तान रानी रामपाल से विशेष बातचीत की। रानी ने ओलिंपिक, अपने करियर, खेल में महिलाओं की स्थिति को लेकर खुल कर अपनी राय रखी। आप भी पढ़िए…
सवालः ओलिंपिक में भारतीय टीम ने बेहतरीन खेल दिखाया। भले ही मेडल नहीं आया लेकिन आप लोगों ने पूरे देश का दिल जीत लिया। ब्रॉन्ज मेडल मैच गंवाने के बाद खिलाड़ियों को रोते हुए देखा गया। उन तमाम लम्हों को अब कैसे याद करती हैं?
जवाबः टोक्यो ओलिंपिक का सफर हमारे लिए बहुत अच्छा रहा। हमने टूर्नामेंट के लिए काफी तैयारी की थी। हम ब्रॉन्ज मेडल मैच मामूली अंतर से हार गए। इस परिणाम के बाद सभी खिलाड़ी काफी इमोशनल हो गई थीं। जब हम भारत वापस आए तो फैंस का प्यार और सपोर्ट देखकर हमें बहुत अच्छा लगा। यह जानकर काफी खुशी हुई कि लोगों ने सुबह 6 बजे उठकर भी हमारा मैच देखा। लोग हॉकी को लेकर जागरूक हुए हैं और महिला हॉकी को भी तरजीह देने लगे हैं।
सवालः ओलिंपिक के लिए टोक्यो रवाना होने से पहले दिमाग में क्या चल रहा था? क्या कोई खास टारगेट सेट कर रखा था?
जवाबः उस समय हमारे दिमाग में यही चल रहा था कि हमें ओलिंपिक में सिर्फ पार्टिसिपेट नहीं करना है। कुछ अचीव करके आना है। मेडल जीतना है। यह ठीक है कि हम मेडल नहीं जीत पाए, लेकिन हमने इसके लिए पूरी कोशिश की। ओलिंपिक से पहले का समय बहुत अच्छा नहीं था। देश कोरोना से जूझ रहा था। लोग अपनों को खो रहे थे। हम भी बायो बबल में थे और एक ही जगह ट्रेनिंग की। हमारा मकसद था कि अपने प्रदर्शन से लोगों में पॉजिटिविटी लानी है।
सवालः मैच के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने आपसे और कई खिलाड़ियों से बात की। यह अनुभव कैसा रहा?
जवाबः प्रधानमंत्री ने हमसे सेमीफाइनल और ब्रॉन्ज मेडल मैच दोनों के बाद बात की थी। उन्होंने हमसे कहा कि आप लोग मत रोओ। आप हारे नहीं हो। इसे हार की तरह मत लो। आप लोग जब देश वापस आओगे तो आपके प्रदर्शन को भी वैसे ही सेलिब्रेट किया जाएगा जैसा मेडल विनर के प्रदर्शन को सेलिब्रेट किया जाएगा। उनकी बातों ने हमारा बहुत हौसला बढ़ाया।
सवालः ओलिंपिक में जाने से पहले और वहां से लौटने के बाद क्या आपको देश में हॉकी के लिए बदला हुआ माहौल नजर आ रहा है?
जवाबः बिल्कुल। माहौल में बदलाव तो आया है। पहले लोग हॉकी को बहुत जानते नहीं थे, लेकिन उन्होंने सुबह उठकर हमारे मुकाबले देखे। उन्होंने हमारे एफर्ट को देखा और इसे सराहा। मैं इसके लिए लोगों को शुक्रिया कहना चाहती हूं। पहले लोग सिर्फ स्कोर देखते थे कि भारतीय टीम हारी या जीती। ओलिंपिक में हमारे प्रदर्शन ने इसमें बदलाव किया। लोग अब मैच देखने लगे हैं। इसके लिए मैं उनका फिर से शुक्रिया अदा करना चाहती हूं।
भारतीय महिला हॉकी टीम की कैप्टन रानी रामपाल ने (बाये से तीसरे नंबर पर) टोक्यो के अनुभवों को भास्कर के साथ साझा किया।
सवालः महिला खिलाड़ियों का सफर पुरुषों की तुलना में काफी अलग होता है। ऐसे में आप लोगों को करियर में किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
जवाबः हां, महिला खिलाड़ियों की जर्नी पुरुषों से काफी अलग होती है। महिला खिलाड़ी अलग-अलग बैकग्राउंड और धर्मों से आती हैं। जरूरी नहीं होता है कि सबको पेरेंट्स या सोसाइटी से सपोर्ट मिले। सबसे बड़ा चेलैंज तो वही होता है। शुरुआत में खेलने की आजादी नहीं मिलती है। इसके बावजूद वे सामने आती हैं और अपने खेल के दम पर खुद को साबित करती हैं। काफी सारा संघर्ष महिलाओं के लिए होता है, लेकिन मुझे लगता है कि महिलाओं में इसका सामना करने के लिए काफी हौसला भी होता है। वे काफी स्ट्रॉन्ग भी होती हैं। इसलिए बतौर महिला मुझे बहुत गर्व है कि मैं देश के लिए परफॉर्म कर पा रही हूं।
सवालः फ्यूचर प्लानिंग क्या है? आगे वर्ल्ड कप भी है और फिर पेरिस ओलिंपिक भी?
जवाबः एशिया कप वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाइंग टूर्नामेंट है और एशियन गेम्स ओलिंपिक के लिए क्वालिफाइंग इवेंट है। हमारी कोशिश है कि इन टूर्नामेंट में जीत कर क्वालिफाई करें। हम सभी का ध्यान अभी इन्हीं दोनों टूर्नामेंट पर है।
सवालः गेम के साथ-साथ फेम भी आता है। दोनों को कैसे मैनेज करती हैं?
जवाबः हमें जो फेम मिलता है वह गेम की बदौलत ही है। इसलिए हमारा पूरा ध्यान गेम पर ही रहता है। आज भी है और आगे भी रहेगा।
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