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यश दयाल के ड्रेसिंग रूम की कहानी: जीतकर लौटे तो आशीष नेहरा ने गले लगा लिया, कैप दी तो नर्वस हो गए, पीठ ठोंकी और कहा-वेलडन

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  • IPL 2022 Updates : Cricketer Yash Dayal Interview: When He Returned After Winning, Ashish Nehra Hugged, Got Nervous When Given The Cap, Turned His Back And Said Weldon Yash

प्रयागराजएक घंटा पहले

आईपीएस सीजन 15 के फाइनल में विजय हासिल करने के बाद ट्रॉफी के साथ यश दयाल।

IPL के 15वें सीजन में गुजरात टाइटंस की टीम की जीत के भागीदार रहे प्रयागराज के क्रिकेटर यश दयाल जब ड्रेसिंग रूप में पहुंचे तो आशीष नेहरा ने पीठ थपथपाई और गले लगा लिया। उन्होंने अपनी कैप मुझे दे दी। ये पल मेरे लिए भावुक कर देने वाला था। जिन्हें कभी मैं टीवी पर देखा करता था उनको सामने देखकर मैं रोमांचित था। आईपीएल के 15वें सीजन का फाइन जीतकर प्रयागराज पहुंचे यश दयाल से दैनिक भास्कर से ड्रेसिंग रूम की बहुत सी मजेदार बातें साझा कीं।

बेटे यश दयाल को मीठा खिलाकर अपनी खुशी का इजहार करते चंद्र पाल दयाल।

कभी एहसास नहीं होने दिया कि मैं छोटे परिवेश से हूं

पहली बार मैं आईपीएल में खेल रहा था। आशीष नेहरा, कप्तान हार्दिक पांड्या , मोहम्मद शमी ने कभी ड्रेसिंग रूम में मुझे इस बात का एहसास नहीं होने दिया कि मैं छोटे परिवेश से आया हूं। हमेशा प्रोत्साहन दिया। बड़े भाई की तरह मेरा साथ दिया। मेरी मेंटरिंग की। चोट के बाद भी कभी यह एहसास नहीं होने दिया कि मैं अनफिट हूं। यह ने बताया कि नेहरा सर ने मेरे पिता चंद्रपाल से कहा कि यश को खूब दौड़ाइयेगा। यह घर में आराम से न बैठने पाए।

अपने माता-पिता व दोस्त के साथ यश।

भाग मिल्खा भाग से मिली जूझने की प्रेरणा

युवा क्रिकेटर यश दयाल ने बताया कि वाॅलीवुड फिल्मों में मुझे भाग मिल्खा भाग काफी पसंद है। इस फिल्म से मुझे विपरीत परिस्थितियों में अपने को प्रेरित रखने में मदद मिली। सीखा कि कैसे अपने गोल के लिए जूझकर मेहनत की जाए। इस फिल्म ने मेरा जीवन बदल दिया। मुझे मेहनत करने की प्रेरणा मिली और अब परिणाम सबके सामने है।

मां ने बताया कि यश दयाल बचपन से केवल खेले, खाए और सोए।

कभी मोहल्ले वाले अपने बच्चों को मेरे साथ खेलने नहीं देते थे

आईपीएस में यश दयाल की प्रतिभा को देखते हुए गुजरात टाइटंस के ऑनर्स ने 3.2 करोड़ देकर अपनी टीम में शामिल किया था। यश दयाल ने अपनी बचपन की यादें ताजा करते हुए बताया कि एक वह समय था जब मोहल्ले के लोग अपने बच्चों को मेरे साथ खेलने नहीं देते थे। मेरे मां-बाप से आकर शिकायत करते थे कि तुम्हारा बच्चा खुद तो बर्बाद हो ही रहा है मेरे बच्चों को भी अपने साथ खराब कर रहा है। एक आज का दिन है वही लोग अपने बच्चों को मेरे पास कुछ सीखने के लिए भेज रहे हैं।

विजय के बाद गुजरात टाइटंस की टीम के साथ यश दयाल।

यश दयाल के आइडल हैं जाहीर खान

यश दयाल ने बताया कि उनके आइडल क्रिकेटर जाहिर खान है। वह उनके मित्र भी हैं।जहीर खान से उन्होंने बॉलिंग के बहुत सारे टिप्स सीखे हैं। बाएं हाथ के तेज गेंदबाज यस दयाल ने बताया कि मेरे पिता चंद्रपाल दयाल मीडियम बॉलर थे। उन्होंने बॉलिंग के शुरुआती गुर अपने पिता से सीखे हैं। इसके बाद आशीष नेहरा के कोचशिप में बॉलिंग की बारिकियां सीखी हैं। जाहीर खान से कैंप के दौरान कई बारीक बातें सीखने को मिली हैं।

दिशा पाटनी हैं यश की फेवरिट एक्ट्रेस

यस दयाल ने बताया कि उसे दिशा पाटनी बहुत पसंद है। उनके फिल्में देखना खाली समय में मन को सुकून देता है। अगर हॉलीवुड फिल्मों की बात की जाए तो बैटलशिप उनकी फेवरेट फिल्म है। हिंदी फिल्मों में भाग मिल्खा भाग ने उन्हें काफी प्रभावित किया है।

गुजरात टाईटंस की जर्सी पहने यश दयाल।

नोवेल नहीं पढ़ते यश दयाल

यश दयाल से जब पूछा गया कि उनका फेवरिट नोवेल कौन सा है तो बोले अभी तक तो नोवेल नहीं पढ़ा। मौका मिलेगा तो पढ़ूंगा। वैसे चेतन भगत के राइटप मैंने पढ़े हैं। उनकी सोच और लेखन से यश प्रभावित हैं।

इंडिया के लिए खेलना है फ्यूचर प्लान

यश ने बताया कि अभी हमने रणजी ट्राफी क्वालीफाई कर लिया है। रणजी ट्रॉफी के दौरान अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करूंगा। मेरा सपना देश के लिए नेशनल टीम में खेलना है। इसके लिए मैं अपनी जान लड़ा दूंगा।

करबला स्थित यश दयाल के घर को सजाया गया है।

टैलेंट के बाद भी बहुत से खिलाड़ी आगे नहीं बढ़ पाते

यश दयाल से जब यह पूछा गया कि आप एक मिडिल क्लास फैमिली से बिलॉन्ग करते हैं। कम संसाधनों के बीच आपने प्रयागराज के एंग्लो बंगाली इंटर कॉलेज में क्रिकेट की तैयारी की है। सरकार से क्या अपेक्षा करते हैं। यस दयाल का कहना है कि सरकार अपनी तरफ से बेहतर करने की कोशिश कर रही है लेकिन हमें इंडिविजुअल लेवल पर अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करना होगा। मैं मानता हूं कि संसाधनों की कमी है लेकिन उस कमी को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना है। सबसे मूल बात है फिटनेस मजबूत विल पावर और कड़ी मेहनत। अगर यह तीनों चीजें आपके पास है तो संसाधनों की कमी आप का रास्ता कभी नहीं रोक पाएगी। इन्हीं संसाधनों से आप एक दिन देश के लिए भी खेल सकते हैं।

करबला, प्रयागराज घर पहुंचने के बाद यश दयाल का स्वागत करते परिजन।

मेरी निगाहें दूर पैवेलियन में अपने मां-बाप को ढूंढ रही थीं

दूधिया रोशनी में नहाए देश के सबसे बड़े नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम खचाखच भरा था। रविवार को खेले गए आईपीएल के खिताबी मुकाबले में गुजरात टाइटंस ने राजस्थान रॉयल्स को सात विकेट से हरा दिया। जीत के जश्न में पूरा क्रिकेट स्टेडियम झूम गया। चारो तरफ उत्साह और उल्लास का माहौल था पर मेरी निगाहें दूर बैठे अपने मां-बाप को ढूंढ रही थीं। काफी देर बाद जब मेरे पैरेंट्स दिखे तो उन्हें बुलावा भेजा। मां-बाप की आंखों में खुशी के आंसू थे। मां-बाप की आंखों के सामने खेलना मेरे लिए सुखद पल था। मेरी मुलाकात उनसे मैच के बाद ही हो पाई।

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