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युवी की अकादमी से निकली लेडी शेन वॉर्न: नोएडा की सपाट पिचों पर प्रैक्टिस की…भिगोंकर बॉल भी डाली, ताकि ओस में भी ग्रिप बन सके

लखनऊ6 मिनट पहलेलेखक: राजकिशोर

भारतीय अंडर-19 विमेंस टीम ने रविवार को पोचेस्ट्रूम में इतिहास रच दिया है। इस टीम ने ICC द्वारा पहली बार आयोजित अंडर-19 टी-20 वर्ल्ड कप की पहली चैंपियन बनने का रुतबा हासिल किया है। भारतीय टीम ने फाइनल में इंग्लैंड को 7 विकेट से हराया है।

भारत की इस जीत में कई खिलाड़ियों का योगदान अहम रहा है। उनमें से एक हैं दिल्ली की पार्शवी चोपड़ा। वे भारत की टॉप विकेट टेकर हैं। टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा विकेट लेने के मामले में वे दूसरे नंबर पर हैं।

16 साल की लेग स्पिनर पार्श्वी ने युवराज सिंह की अकादमी से गेंदबाजी की बारीकियां सीखी हैं। वे ऑस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज स्पिनर शेन वॉर्न को आदर्श मानती हैं और उनकी नकल करके लेग स्पिनर बनीं। भारत के वर्ल्ड चैंपियन बनने के बाद पार्शवी के कोच जेपी नौटियाल और पिता गौरव चोपड़ा ने दैनिक भास्कर से बातचीत की और पार्शवी के लेग स्पिनर बनने की कहानी बताई। दोनों ने वर्ल्ड कप की तैयारियों पर भी बात की। आइए जानते हैं क्या कहा नौटियाल ने…
सबसे पहले वह तस्वीर…जिसकी चाहत थी…

वर्ल्ड कप का मेडल चूमती पार्शवी चोपड़ा।

वर्ल्ड कप का मेडल चूमती पार्शवी चोपड़ा।

सबसे पहले देखिए पार्शवी का फाइनल में प्रदर्शन

कैसे की वर्ल्ड कप की तैयारी
कोच जेपी नौटियाल कहते हैं कि पार्शवी ने वर्ल्ड कप में जाने से पहले गेंदबाजी पर काफी मेहनत की। उसने साउथ अफ्रीका की सपाट पिचों को देखते हुए ग्रेटर नोएडा के विभिन्न एकेडमी में मौजूद सपाट पिचों पर गेंदबाजी का अभ्यास किया, ताकि साउथ अफ्रीका में गेंद को घुमाने में दिक्कत न हो। इसका फायदा उन्हें साउथ अफ्रीका में मिला। उनकी गेंद अन्य स्पिनर्स की तुलना में ज्यादा टर्न हो रही है। यही नहीं रात के मैचों को देखते हुए पार्शवी ने देर रात में फ्लड लाइट में और सुबह में ओस से भिगी गेंद से प्रैक्टिस की। ताकि ग्रिप बनाने में दिक्कतों का सामना न करना पड़े। उनके पिता ने उनके लिए सिंकदराबाद स्थित स्कूल ग्राउंड में फ्लड लाइट और पिच बनवाई हैं। वर्ल्डकप में जाने से पहले मेरी निगरानी में वहीं पर अभ्यास किया।

अब जान लीजिए पार्शवी लेग स्पिनर कैसे बनीं?
पार्शवी की लेग स्पिनर बनने की कहानी भी काफी दिलचस्प है। क्रिकेट करियर के शुरुआत में पार्शवी तेज गति से गेंद फेंकती थी। बाद में कोच ने उसे स्पिन गेंदबाजी की सलाह दी।

कोच नौटियाल बताते हैं कि पार्शवी ने युवराज सिंह क्रिकेट एकेडमी में ट्रेनिंग लेती थी। मैं वहां कोच था। पार्शवी अब भी जब नोएडा में आती है तो वह अपने सिंकदराबाद स्थित स्कूल ग्राउंड में जाकर ट्रेनिंग करती है। वह पहले मीडियम पेसर्स थी और तेज गेंद फेंकती थी। हमने उसे स्पिन गेंदबाजी की सलाह दी।

न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मैच में गेंदबाजी करती पार्शवी।

न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मैच में गेंदबाजी करती पार्शवी।

वार्न उसके आदर्श हैं, उनकी नकल करती थी
नौटियाल बताते हैं कि उनके आदर्श ऑस्ट्रेलिया के स्पिनर शेन वॉर्न हैं। वह उनके एक्शन का नकल करती थी। पर उसकी गेंद में स्पीड ज्यादा थी। बाद में हमने उसे स्लो गेंद करने की सलाह दी और एक्शन में थोड़ा बदलाव किया। धीरे-धीरे उसकी गेंद टर्न करने लगी और वह लेग स्पिनर बन गई।

गौरव चोपड़ा बताते हैं कि पार्शवी के आदर्श शेनवॉर्न रहे हैं। उनकी गेंदबाजी का वीडियो देखकर उनके जैसा गेंद फेंकने की कोशिश करती थी। पार्शवी शेन वॉर्न से मिलना चाहती थी, पर उसका यह सपना पूरा नहीं हो पाया। शेन वॉर्न की देहांत की खबर सुनकर कई दिनों तक उदास रही और अपने स्टेट्स पर कई दिनों तक शेन वॉर्न की ही फोटो लगाए रखा।

पार्शवी ने टूर्नामेंट के 6 मैचों में 11 विकेट चटकाए हैं।

पार्शवी ने टूर्नामेंट के 6 मैचों में 11 विकेट चटकाए हैं।

ऐसे बनी क्रिकेटर…
पार्शवी को क्रिकेट विरासत में मिली है। उनके दादा, पिता और चाचा तीनों क्रिकेट खेलते थे, लेकिन वह मुकाम हासिल नहीं कर सके। ऐसे में परिवार के लोग चाहते थे कि वे क्रिकेट खेलकर परिवार के सपने को पूरा करें।
पिता गौरव चोपड़ा कहते हैं कि हमारे खानदान में क्रिकेट खून में है। मेरे पापा जोनल स्तर पर खेल चुके हैं। मैं खुद क्लब स्तर पर खेल चुका हूं। पार्शवी शुरुआत में स्केटिंग करती थी, हम पर क्रिकेट मैच साथ बैठकर देखते थे।

एक बार लड़कियों का मैच TV पर देखने के बाद पार्शवी ने क्रिकेट खेलने की बात कही और हमने उसका दाखिला युवराज सिंह क्रिकेट एकेडमी में करवा दिया। हमारा स्कूल भी गांव में है। हमने पिच और फ्लड लाईट लगवाए, ताकि पार्शवी को प्रैक्टिस में दिक्कत न हो।

पार्शवी बचपन में कई लोकल क्रिकेट प्रतियोगिताओं में मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड जीत चुकी हैं।

पार्शवी बचपन में कई लोकल क्रिकेट प्रतियोगिताओं में मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड जीत चुकी हैं।

पार्शवी वर्ल्ड कप में जाने से पहले अपने कोच जेपी नौटियाल के साथ।

पार्शवी वर्ल्ड कप में जाने से पहले अपने कोच जेपी नौटियाल के साथ।

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भारत ने जीता विमेंस अंडर-19 वर्ल्ड कप

भारत ने पहले अंडर-19 विमेंस क्रिकेट वर्ल्ड कप का खिताब जीत लिया है। भारतीय टीम ने फाइनल में इंग्लैंड को 7 विकेट से हरा दिया। साउथ अफ्रीका के पोचेस्ट्रूम स्थित स्टेडियम में भारत ने टॉस जीतकर पहले बॉलिंग चुनी और इंग्लैंड को 17.1 ओवर में 68 रन पर ऑल आउट कर दिया। 69 रन का टारगेट भारत ने 14 ओवर में 3 विकेट पर हासिल कर लिया। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

श्वेता ने अंडर-19 वर्ल्ड कप से पहले किया था वादा, पूरा किया…लोग बुलाते हैं लेडी सहवाग

भारतीय लड़कियों की टीम ने साउथ अफ्रीका में चल रहे विमेंस अंडर-19 वर्ल्ड कप के फाइनल में जगह बना ली है। भारत के शानदार खेल में टीम की ओपनर श्वेता सहरावत की बड़ी भूमिका रही है। श्वेता ने 6 मैचौं में 3 हाफ सेंचुरी की मदद से 292 रन बनाए हैं। औसत 146 की है और स्ट्राइक रेट 141 का। 6 पारियों में से 4 बार श्वेता नॉटआउट लौटी हैं। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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