रसरंग में किस्सागोई: आखिरी मैच में ब्रैडमेन के शून्य पर आउट होने से पहले की कहानी
सुशील दोशी18 मिनट पहले
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अपनी आखिरी पारी में शून्य पर बोल्ड होते डॉन ब्रैडमेन।
डॉन ब्रैडमेन का अर्थ था बल्लेबाजी की अडिग दीवार। साल 1948 में ऑस्ट्रेलिया की टीम एशेज़ खेलने इंग्लैंड गई तो ओवल पर डॉन अपने जीवन का आखिरी टेस्ट मैच खेल रहे थे। अगर इस टेस्ट मैच में वे 4 रन भी बना लेते तो टेस्ट क्रिकेट में उनका औसत 100 हो जाता। पर यह किस्सा टेस्ट के पहले एजबेस्टन पर ऑस्ट्रेलिया व वारविकशायर के बीच खेले गए प्रथम श्रेणी मैच का है।
वारविकशायर के एरिक हॉलीज लेग ब्रेक व गुगली गेंदबाज थे। इस युवा गेंदबाज ने इस मैच में अपनी एक गुगली से ब्रैडमेन को चकमा दे दिया और वे बोल्ड होते-होते बचे। ओवर के बाद हॉलीज अपने कप्तान टॉम डॉलेरी के पास गए और उनसे कहा, ‘डॉन को तो उस गुगली का अता-पता ही नहीं चला। वह चकमा खा गए।’ इस पर कप्तान ने हॉलीज से कहा, ‘मेरी सलाह है कि इसे ओवल टेस्ट के लिए बचाकर रखो।’ हॉलीज ने ऐसा ही किया।
इसके बाद तो क्रिकेट की दुनिया गवाह है कि हॉलीज की दूसरी ही गेंद पर ही ब्रैडमेन शून्य पर बोल्ड हो गए और इस तरह केवल 0.06 पाइंट से 100 के औसत से वंचित रह गए। दूसरी पारी में उन्हें खेलने का मौका ही नहीं मिला क्योंकि इंग्लैंड एक पारी से ही मैच हार गया।
जब बॉथम का सपना सच हो गया…
सन् 1979 में भारत के इंग्लैड दौरे के दौरान मुझे हिंदी कॉमेंट्री के लिए भेजा गया था। यह ओवल के आखिरी टेस्ट मैच का किस्सा है। भारत की रन मशीन कहे जाने वाले सुनील गावस्कर पूरी शृंखला में एक भी शतक नहीं लगा पाए थे। ओवल की आखिरी पारी में भारत को जीत के लिए 438 रन बनाने थे।
मैच के आखिरी दिन इंग्लैंड के इयान बॉथम ने सनी से कहा, ‘मैंने कल सपने में देखा कि तुमने डबल सेंचुरी मार दी है।’ सपने भी कई बार सच हो जाते हैं। ऐसा ही ओवल के मैदान पर हुआ। सुनील गावसकर ने न केवल 221 रनों की ऐतिहासिक पारी खेली, बल्कि उनकी इस पारी के बदौलत टीम का स्कोर 8 विकेट के नुकसान पर 429 तक पहुंच गया। भारत जीत से महज 9 रन दूर रह गया।
कहां रखें साइट स्क्रीन?
ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट इतिहास के सबसे तेज गेंदबाजों में से एक जैफ टॉमसन का हौव्वा उस समय सभी बल्लेबाजों पर हावी था। एक युवा बल्लेबाज पिच पर आया तो उनकी इसी शोहरत के मनोवैज्ञानिक असर से वह भी प्रभावित था। विकेट पर पहुंचते ही टॉमसन की पहली ही गेंद नाक के पास से व दूसरी गेंद जबड़े के पास से सरसराती हुई निकल गई। उसका भीतरी डर बाहर आ गया। उसने अम्पायर से कहा कि गेंद दिखाई नहीं दे रही। इसलिए साइट स्क्रीन एडजस्ट की जाए। उसने स्क्रीन पहले दाहिनी ओर और फिर बायीं ओर हटवाई। फिर भी वह संतुष्ट नहीं हुआ। स्क्रीन को दाएं-बाएं करने में ही वक्त जाया हो रहा था। अम्पायर को अब गुस्सा आ गया। उसने कहा, ‘आखरी बार मुझे बता दो कि साइट स्क्रीन कहां रखनी है?’
‘गेंदबाज और मेरे मध्य, पिच के बीचों-बीच।’ मासूम बल्लेबाज ने जवाब दिया। इस जवाब पर अम्पायर के साथ-साथ टॉमसन भी अपनी हंसी रोक नहीं पाए।
– सुशील दोशी, पद्मश्री से सम्मानित जाने-माने क्रिकेट कमेंटेटर
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