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राशिद की सलाह पर स्पॉट बॉलिंग कर रहे रवि बिश्नोई: भारतीय स्पिनर बोले- सिलेक्शन का नहीं सोचता; युवाओं को सलाह- कॉम्पिटिशन खुद से रखें

जोधपुर3 दिन पहलेलेखक: राजकिशोर

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राशिद की सलाह पर स्पॉट बॉलिंग कर रहे रवि बिश्नोई: भारतीय स्पिनर बोले- सिलेक्शन का नहीं सोचता; युवाओं को सलाह- कॉम्पिटिशन खुद से रखें

लेग स्पिनर रवि बिश्नोई इन दिनों टीम इंडिया में वापसी की राह तलाश रहे हैं। वे 256 दिनों से टीम से बाहर हैं, लेकिन IPL-16 में 16 विकेट लेने के बाद बेहतर भविष्य की उम्मीद कर रहे हैं। इसके लिए रवि अपनी बॉलिंग को और सटीक बनाने में जुटे हैं।

पिछले सीजन में लखनऊ सुपरजायंट्स के टॉप विकेटटेकर रवि बिश्नोई इन दिनों जोधपुर में अपने दोनों कोच के साथ स्पॉट बॉलिंग का जमकर अभ्यास कर रहे हैं। स्पॉट बॉलिंग यानी पिच पर किसी एक ही जगह पर लगातार गेंद को टप्पा खिलाने की कोशिश। उन्हें यह सलाह गुजरात टाइटंस के अफगानी लेग स्पिनर राशिद खान ने दी है।

एशिया कप और वर्ल्ड कप टीम में अपने सिलेक्शन के सवाल पर रवि कहते हैं, ‘वैसे तो मैं इस बारे में ज्यादा नहीं सोचता हूं, क्योंकि यह मेरे हाथ में नहीं है, लेकिन हां उम्मीद तो होती है। मैं खुद को हर जिम्मेदारी के लिए तैयार कर रहा हूं।’

रवि ने दैनिक भास्कर से अपने करियर, स्ट्रगल और वापसी पर बात की। पहले रवि के इंटरनेशनल स्टैट्स देखिए उसके बाद पूरी बातचीत पढ़िए…

सवाल: IPL में प्रदर्शन अच्छा रहा है। इससे एशिया कप और वर्ल्ड कप टीम में सिलेक्शन के क्या चांस देखते हैं?
बिश्नोई: बिल्कुल, उम्मीद तो रहती ही है। हालांकि, मैं सिलेक्शन के बारे में ज्यादा नहीं सोचता, क्योंकि वह मेरे हाथ में नहीं है। मेरा काम बेहतर प्रदर्शन करना है और अपने आपको और बेहतर करने पर फोकस करना है। बस यही कह सकता हूं कि मुझे जो भी जिम्मेदारी मिलेगी, मैं उसके लिए तैयार रहूंगा।

सवाल: पिछले साल वनडे-टी-20 में डेब्यू किया। वेस्टइंडीज के खिलाफ डेब्यू मैच में प्लेयर ऑफ द मैच रहे। एशिया कप टी-20 में भी अच्छा किया, लेकिन ड्रॉप हो गए, वापसी कितनी मुश्किल थी?
बिश्नोई: थोड़ा उदास था, लेकिन मैंने इसे एक चैंलेज के तौर पर लिया। सिलेक्शन मेरे हाथ में नहीं था। वहां से लौटने के बाद मेरे दोनों कोच शाहरुख खान और प्रद्योत सिंह ने मुझे और मेहनत करने और कमियों को दूर की सलाह दी। मैंने उनके साथ मिलकर गेंदबाजी को बेहतर करने में ध्यान लगाया। ट्रेनिंग टाइम को बढ़ाया। उसका असर भी हुआ। मैंने पिछले सीजन में अपनी टीम LSG को जरूरत पड़ने पर विकेट दिलाए।

सवाल: टीम में चहल, कुलदीप, जडेजा, अश्विन और अक्षर जैसे स्पिनर हैं। जडेजा, अश्विन और अक्षर बैटिंग भी कर लेते हैं। इनके बीच खुद को कहां देखते हैं?
बिश्नोई: मुझे अपनी गेंदबाजी पर भरोसा है। यही मेरा मजबूत पक्ष है। मैं इसी पर ज्यादा फोकस करता हूं। अब बैटिंग पर भी ध्यान देने लगा हूं, ताकि जरूरत पड़ने पर टीम के लिए बल्ले से भी योगदान दे सकूं, लेकिन मेरा मेन फोकस एरिया बॉलिंग इंप्रूव करना ही है।

सवाल: इस सीजन में प्लेऑफ तक पहुंचे, हालांकि मुंबई के खिलाफ एलिमिनेटर हार गए। पिछला सीजन क्या सीखाकर गया?
बिश्नोई: पिछले सीजन में सीनियर्स से बातचीत का मौका मिला। चहल, जेडजा, राशिद से बात की। सभी ने बॉलिंग को लेकर अलग-अलग सुझाव दिए। उनके सुझाव पर प्रैक्टिस के दौरान अमल कर रहा हूं। मुझे लखनऊ में शामिल अमित मिश्रा सर से भी बहुत सीखने को मिला।

सवाल: पिछले सीजन में कई बैटर्स के सामने बॉल डाली। सबसे ज्यादा परेशानी किसके सामने हुई?
बिश्नोई: इंडियन बैटर्स में मुझे तिलक वर्मा को बॉलिंग करना चैलेंजिंग लगा। वे स्पिन बहुत अच्छा खेलते हैं। ओवरसीज प्लेयर्स में फाफ के सामने बॉलिंग करना मुश्किल था।

सवाल: अपनी गेंदबाजी में क्या नया ला रहे हैं, ताकि बैटर्स को परेशान कर सके?
बिश्नोई:
राशिद ने मुझे स्पॉट बॉलिंग पर ज्यादा फोकस करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि एक ओवर की सभी 6 गेंद एक ही जगह पर टप्पा खाना चाहिए। इससे बल्लेबाज को परेशानी होगी। उसे समझ में नहीं आएगा कि किस तरह शॉट खेले। कुछ नया करने की बजाय कोच शाहरुख खान और प्रद्योत सिंह के साथ स्पॉट बॉलिंग पर काम कर रहा हूं।

सवाल: भारतीय क्रिकेट में कॉम्पिटिशन का लेवल बहुत हाई है। युवा क्रिकेटर्स से क्या कहेंगे? साथ ही उनके पेरंट्स को क्या कहना चाहेंगे?

बिश्नोई: क्रिकेट में IPLजैसे बड़े प्लेटफॉर्म है। कई स्टेट में लीग चल रहे हैं। मैं युवा क्रिकेटर्स को कहना चाहता हूं कि सभी को अपने करियर में चुनौतियां मिलती हैं। उसका सामना करें। अपने पर भरोसा करें और अपनी खूबियों पर ज्यादा फोकस करें और कमियों पर काम करें।

मुझे भी कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। मैंने इसे चैलेंज के रूप में लिया। मैं पेरेंट्स को यही कहना चाहूंगा कि वह बच्चों की प्रतिभा को पहचानें और सपोर्ट करें।

मेरे पेरंट्स ने भी मुझे सपोर्ट किया। हालांकि शुरुआत में उनके मन में भी डर था कि क्रिकेट खेलकर मैं क्या कर पाऊंगा। इसलिए वह पढ़ने के लिए कहते थे। उन्होंने मना भी किया। पर मेरे दोनों कोच के समझाने पर मान गए। उसके बाद मेरे हमेशा साथ दिया। मैंने क्रिकेट की शुरुआत गली-मोहल्ले में बच्चों के साथ खेल कर ही की। बाद में एकेडमी में गया। वहां पर मेरे कोच शाहरुख खान और प्रद्योत सिंह ने मेरी प्रैक्टिस में मेरी मदद की।

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