रिश्ता क्रिकेट और पॉलिटिक्स का: इमरान से पहले भी पाकिस्तान में रहा है क्रिकेटर PM, भारत के एक खिलाड़ी ने अंबेडकर के खिलाफ लड़ा था चुनाव
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एक मिनट पहलेलेखक: कुमार ऋत्विज
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क्रिकेट में पॉलिटिक्स मत घुसाओ…ऐसा कहने वाले बहुत से फैंस आपको मिल जाएंगे। हालांकि, थोड़ी गहराई में तहकीकात करेंगे तो पता चलेगा कि क्रिकेट और राजनीति का चोली दामन का साथ रहा है। ऐसा शायद इसलिए भी हुआ क्योंकि दोनों में भीड़ और स्ट्रांग पॉइंट ऑफ व्यू की बड़ी अहम भूमिका होती है। कुछ खिलाड़ी राजनीति में सफल हुए और कुछ के हिस्से असफलता आई।
इमरान खान 75 वर्षों में ऐसे पहले पाकिस्तानी पीएम बन गए, जिन्हें नो कॉन्फिडेंस मोशन के जरिए पद से हटाया गया। हालांकि, इससे पहले वह दुनिया के ऐसे पहले इंटरनेशनल क्रिकेटर बने थे, जिन्हें किसी देश का प्रधानमंत्री बनने का सौभाग्य मिला। चलिए इमरान के बहाने कुछ ऐसे खिलाड़ियों के बारे में जान लेते हैं जिन्होंने राजनीति जॉइन की। साथ ही उन नेताओं के बारे में भी जानेंगे जिन्होंने क्रिकेट में अपने हाथ आजमाए।
नवाज शरीफ भी रहे हैं क्रिकेट खिलाड़ी
जिंबाब्वे की राजधानी हरारे में पैड अप होने के दौरान नवाज शरीफ।
हमारा पड़ोसी पाकिस्तान एकमात्र एशियाई देश है जिसके दो-दो प्रधानमंत्री क्रिकेटर रहे हैं। वैसे इंटरनेशनल स्टार रहे इमरान खान को तो सब जानते हैं, लेकिन उनके धुर विरोधी नवाज शरीफ की क्रिकेट के बारे में कम लोगों को ही पता है। नवाज राइट हैंड बैट्समैन थे, जिन्होंने पाकिस्तान रेलवेज की ओर से पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरवेज के खिलाफ 1973-74 में एक फर्स्ट क्लास मैच भी खेला था। यह बात दीगर है कि उस मुकाबले में शरीफ 0 पर आउट हो गए थे।
इमरान जब क्रिकेट की पिच से आगे बढ़कर राजनीति में चौके-छक्के जमाने उतरे तो शरीफ और उनकी पार्टी से कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ा। 2013 तक उनकी एक नहीं चली थी। इमरान चुनाव हारते चले गए थे। तब कहा गया कि इमरान कितने भी अच्छे बॉलर हों, नवाज ने छक्का मारकर उन्हें पॉलिटिक्स की बाउंड्री से बाहर फेंक दिया। इस हार और जिल्लत के बाद भी इमरान ने मैदान नहीं छोड़ा और 2018 में नवाज की पार्टी को हराकर पहली बार सत्ता हासिल की। वो अलग बात है कि इस जीत में पाकिस्तानी सेना की महत्वपूर्ण भूमिका रही। आज उसी सेना ने हाथ खींच लिया है तो इमरान दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।
नवाज ने बाद में भी खेली क्रिकेट
पाक लेखक मसूद महदी लिखते हैं कि नवाज शरीफ 1991 में एक ऐतिहासिक क्रिकेट मैच का हिस्सा रहे। दरअसल तब नवाज के पिता जिम्बाब्वे में पाकिस्तान के हाई कमिश्नर थे। इस दौरान उन्होंने 3 ओवर का एक क्रिकेट मैच आयोजित करवाया। इस मुकाबले में जॉन मेजर और बॉब हॉक समेत कॉमनवेल्थ स्टेट के प्रमुखों ने हिस्सा लिया। मुकाबले की अध्यक्षता जिम्बाब्वे के तत्कालीन राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे ने की। उस मैच में नवाज शरीफ की किस्मत अच्छी थी। नवाज ने तब कुछ चौकों के अलावा एक शानदार छक्का भी लगाया था।
जानिए इंडिया के पहले क्रिकेटर को जिसने रिटायरमेंट के बाद पॉलिटिक्स में हाथ आजमाया
यह तस्वीर 1911 में इंग्लैंड दौरे पर गई इंडियन टीम की है। ग्राउंड पर बैठा हुआ खिलाड़ी पलवंकर बालू है, जिसने भारत में पहली बार रिटायरमेंट के बाद पॉलिटिक्स जॉइन की।
इंडिया में ऐसे क्रिकेटर्स का लंबा इतिहास रहा है जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद पॉलिटिक्स का रुख किया। कुछ खिलाड़ी चयनित होकर राज्यसभा चले गए। इनमें सबसे ताजा उदाहरण हरभजन सिंह का है। इसके अलावा गौतम गंभीर जैसे खिलाड़ी भी हैं जिन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव जीता और फिर संसद गए। जरूरी नहीं है कि हर सफल क्रिकेटर सफल राजनेता भी बन जाए। पंजाब में मुख्यमंत्री बनने की नवजोत सिंह सिद्धू की महत्वाकांक्षा का हश्र सामने है। हालांकि, वे मुख्यमंत्री भले न बने सके, लेकिन सांसदी उन्होंने लंबे समय तक की।
क्रिकेट से राजनीति में जाने वाले पहले भारतीय क्रिकेटर पलवंकर बालू थे। बालू 1911 में इंग्लैंड का दौरा करने वाली पहली भारतीय टीम का हिस्सा थे। वह लेफ्ट आर्म गेंदबाज थे, जिन्होंने उस दौरे पर शानदार प्रदर्शन किया। रिटायरमेंट के बाद वे दलित एक्टिविस्ट बन गए। 1937 में उन्होंने डॉ बी आर अंबेडकर के खिलाफ मुंबई सीट पर चुनाव लड़ा और हार गए। तब उनको अंदाजा नहीं रहा होगा कि आज वह जिनसे हारे हैं, वही डॉक्टर अंबेडकर आगे चलकर भारतीय राजनीति के सबसे बड़े चेहरे में एक के तौर पर उभर कर आएंगे।
ऑस्ट्रेलिया की राजनीति में रहते हुए भी क्रिकेट खेलना नहीं छोड़ा
ऑस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री बॉब हॉक 1988 में मनुका ओवल में प्राइम मिनिस्टर इलेवन बनाम एबोरिजिनल इलेवन मैच में बल्लेबाजी करने के लिए पैड अप होते हुए।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधान मंत्री बॉब हॉक को क्रिकेट मैच में कई बार बीयर पीते हुए देखा गया था, बिल्कुल वैसे जैसे वह किसी स्टेट फंक्शन में हों। अपने क्रिकेट प्रेम के चलते उन्होंने काफी दर्द सहा। क्रिकइन्फो के मुताबिक रॉबर्ट मेन्जीस नाम के शख्स ने प्रधानमंत्री इलेवन मैचों की स्थापना की और एक बार सदी के महानतम खिलाड़ी डॉन ब्रैडमैन को उसमें खेलने के लिए मना लिया। हॉक सिडनी के लिए ग्रेड क्रिकेट खेलते थे लेकिन उनके खेल जीवन का सबसे फेमस लम्हा 1984 में आया। इस दौरान सांसद बनाम मीडिया के एक मुकाबले में उनकी दाहिनी आंख पर गेंद से चोट आ गई। हर तरफ अफरा-तफरी मच गई, लेकिन हॉक कुछ टांके लगाने के बाद दोबारा मैदान पर लौट आए।
क्रिकेट से लेकर हाई जंप और लॉन्ग जंप तक में जलवा रहा, लेकिन चुनावी राजनीति रास नहीं आई
ब्राइडल से पार्लियामेंट्री चुनाव का नॉमिनेशन कर लौटते सी. बी . फ्राय (सबसे बाएं)।
सी. बी . फ्राय कई प्रतिभाओं के धनी थे। राजनीति में आने से पहले उन्होंने इंग्लैंड के लिए क्रिकेट और फुटबॉल खेला, हाई जंप और लांग जंप के कई रिकॉर्ड तोड़े, रग्बी खेली, नेवी स्कूल में पढ़ाया और लीग ऑफ नेशंस में रंजीत सिंह के असिस्टेंट बन कर गए। इसके अलावा उन्हें अल्बानिया का राजा बनने का अवसर मिला, लेकिन उन्होंने सिंहासन ठुकरा दिया। हालांकि, उनका पॉलिटिकल करियर बहुत सफल नहीं रहा। वह लिबरल पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर ब्राइडल से 1922 में खड़े हुए और हार गए। इसके अलावा वह बानबारी और ऑक्सफोर्ड से दो बार और हारे। इतना होने के बाद उनको समझ आ गया था कि राजनीति उनके बस की नहीं है। तब उन्होंने पॉलिटिक्स से तौबा कर ली।
माधवराव सिंधिया थे लेदर बॉल क्रिकेट के शौकीन
एक प्रदर्शनी मैच के दौरान बल्लेबाजी करते माधवराव सिंधिया।
मध्य प्रदेश के ग्वालियर राजघराने से आने वाले माधवराव सिंधिया ने अपनी पढ़ाई ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, लंदन से पूरी की और वह क्रिकेट के बहुत बड़े फैन थे। 1990 से लेकर 1993 तक वह BCCI के अध्यक्ष भी रहे। इतने बड़े राजनेता होने के बावजूद उन्हें प्रदर्शनी मैचों में पैड-अप होकर लेदर बॉल से खेलते हुए देखा जाता था। एक दौर था जब उन्हें भारत का भावी प्रधानमंत्री माना जाने लगा। जिस वक्त वह अपनी लोकप्रियता के चरम पर थे, उसी वक्त 56 वर्ष की आयु में प्लेन क्रैश में उनकी मृत्यु हो गई।
इस ब्रिटिश PM ने कभी क्रिकेट नहीं खेला, लेकिन मालूम था हर रिकॉर्ड
1946 में इंडिया और इंग्लैंड के बीच खेले जा रहे ओवल टेस्ट देखते PM क्लेमेंट ऐटली।
1945 से लेकर 1951 तक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे क्लेमेंट ऐटली ने कभी क्रिकेट नहीं खेला, लेकिन उन्हें इस खेल से बेपनाह मोहब्बत थी। एटली ने प्रधानमंत्री आवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट में एक न्यूजवायर मशीन लगवाई, जिसमें वह काउंटी टीमों के स्कोर का हिसाब रखते थे। इसमें समर सीजन के दौरान उनकी पसंदीदा टीम सरे के रिकॉर्ड खास तौर पर संभाल कर रखे जाते थे। क्रिकेट के प्रति उनकी दीवानगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह अक्सर इंग्लैंड के मुकाबले देखने स्टेडियम पहुंच जाते थे।
इकलौते ब्रिटिश PM जिन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेला
लॉर्ड्स के मैदान पर बल्लेबाजी करते एलेक डगलस-होम।
एलेक डगलस-होम एकमात्र ब्रिटिश प्रधान मंत्री हैं, जिन्होंने वास्तव में प्रथम श्रेणी स्तर पर क्रिकेट खेला है। वह 1920 के दशक में छह टीमों के लिए खेलते हुए दस मैचों का हिस्सा थे। मिडलसेक्स और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के अलावा पेलहम वार्नर की कप्तानी में साउथ अमेरिका गई MCC स्क्वॉड का भी वह हिस्सा थे। डगलस 1963 से 1964 तक एक वर्ष के लिए केवल प्रधान मंत्री रहे, लेकिन आगे चलकर MCC के प्रमुख बने।
दुर्घटना ने बर्बाद कर दिया था इस PM का क्रिकेट करियर
समरसेट के इंडोर क्लब में 1995 में गेंदबाजी करते ब्रिटिश PM जॉन मेजर।
1990 से 1997 तक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे जॉन मेजर न केवल क्रिकेट के प्रति उत्साही थे, बल्कि यंग एज में एक विमान दुर्घटना की चोट से पहले एक होनहार क्रिकेटर भी थे। इस हादसे ने उनका खेलना हमेशा के लिए बंद कर दिया। पर वह लाइफटाइम सरे क्लब के प्रति समर्पित रहे। जब उनकी पार्टी को 1997 में सत्ता से हटा दिया गया और उन्हें प्रधानमंत्री का पद छोड़ना पड़ा, तो उन्होंने अपना भाषण समाप्त करते हुए कहा कि मुझे आशा है नोर्मा और मैं बच्चों के साथ लंच और कुछ क्रिकेट देखने के लिए टाइमली ओवल पहुंच जाएंगे। राजनीतिक संकट के चरम पर भी उनका क्रिकेट प्रेम नहीं छूटा।
देश के लिए क्रिकेट खेलते हुए चुनाव लड़ने वाले पहले खिलाड़ी
इलेक्शन कैंपेनिंग के दौरान बांग्लादेश के पूर्व कप्तान मशरफे मुर्तजा।
बांग्लादेश के पूर्व कप्तान मशरफे मुर्तजा ने 2018 में बांग्लादेश-वेस्टइंडीज वनडे सीरीज के बाद हैमस्ट्रिंग की चोट और अपने होम टाउन नरैल से संसद की सीट पर प्रचार करने के लिए एक ब्रेक लिया। तब उनके इस निर्णय पर काफी सवाल खड़े किए जा रहे थे। लोगों को यह बात हजम नहीं हो रही थी कि एक खिलाड़ी भला बिना संन्यास लिए चुनाव कैसे लड़ सकता है? आलोचनाओं को धता बताते हुए वह 96% की भारी मार्जिन से जीतकर संसद सदस्य बनने वाले पहले एक्टिव क्रिकेटर बन गए।
क्रिकेट की खातिर देश छोड़ा ओर नस्लीय भेदभाव के खिलाफ बन गए सबसे बड़ी आवाज
1966 में हाउस ऑफ लॉर्ड्स जाने के दौरान लेरी कॉन्सटेंटाइन।
लेरी कॉन्सटेंटाइन एक तेज गेंदबाज थे। वह 1923 और 1928 में इंग्लैंड का दौरा करने वाली वेस्टइंडीज टीम का हिस्सा थे। इंग्लैंड क्रिकेट में बेहतर अवसर खोजने के लिए वह इंग्लैंड शिफ्ट हो गए और लंकाशायर लीग में नेल्सन क्रिकेट क्लब में शामिल हो गए। इस दौरान उन्होंने इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के टूर पर वेस्टइंडीज की तरफ से खेलना जारी रखा । सेकंड वर्ल्ड वार के दौरान उन्होंने ‘लेबर और नेशनल सर्विस’ का मंत्रालय ज्वाइन किया। इस बीच लेरी ने बैरिस्टर की डिग्री हासिल कर ली। वे जर्नलिज्म और ब्रॉडकास्टिंग में भी सक्रिय रहे।
1943 में उन्होंने नस्लीय भेदभाव के खिलाफ एक होटल कंपनी पर मुकदमा दायर किया और ऐतिहासिक निर्णय में जीत हासिल की। इसके बाद उनकी लोकप्रियता में भारी इजाफा हुआ और उन्होंने राजनीति में उतरने का निश्चय किया। इसके बाद वह वापस त्रिनिदाद एंड टोबैगो लौट गए और फिर अपने देश के हाई कमिश्नर के तौर पर 1961 में ब्रिटेन में काम किया। 1969 में उन्हें एक पीयरेज से सम्मानित किया गया, जो हाउस ऑफ लॉर्ड्स में बैठने वाले पहले अश्वेत व्यक्ति बन गए।
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