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रेसलर कविता दलाल ने पूर्व IPS पर लगाए आरोप: बोलीं- अध्यक्ष की उत्पीड़नाओं की वजह छोड़ी थी रेसलिंग; पहले नहीं थी बताने की हिम्मत

पानीपतएक मिनट पहले

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मैं इस देश का बहुत बड़ा दुर्भाग्य मानती हूं कि आज इस देश की जो लड़कियां हैं, वह कहीं भी सुरक्षित नहीं है। पहलवान महिला खिलाड़ी अपने आप में बहुत मजबूत होती हैं, ताकतवर होती हैं। वह किसी का भी मुंह तोड़ सकती हैं। वह खिलाड़ी भी इस गंदी मानसिकता वाले लोगों का शिकार हो जाती हैं।

जंतर मंतर पर भी विनेश फोगाट ने अपनी आपबीती बताई। वह भी कई बार सुसाइड करने की कोशिश कर चुकी थी। इसी तरह की स्थितियां खिलाड़ी के चारों तरफ पैदा कर दी जाती हैं। ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ था।

मैंने भी भरत्तोलक संघ फेडरेशन के अध्यक्ष पूर्व IPS हरभजन सिंह की प्रताड़नाओं के कारण रेसलिंग छोड़ी थी। यह कहना है कि हरियाणा के जींद के जुलाना की रहने वाली WWE रेसलर कविता दलाल का। उन्होंने कहा कि आपबीती बताने की पहले हिम्मत न जुटा पाई थी। मगर, अब जंतर मंतर के आंदोलन के बाद हिम्मत आई है।

कोच ने कर दिया था पहले ही आगाह
कविता दलाल ने कहा कि 2008 और 2010 के बीच की बात थी, तब भरत्तोलक संघ फेडरेशन के अध्यक्ष पूर्व IPS हरभजन सिंह थे। उस वक्त मुझे कैंप के लिए लखनऊ साईं सेंटर से परमिशन चाहिए थी। उस वक्त मैंने फेडरेशन अध्यक्ष को कहा था कि मुझे फेडरेशन की ओर से लेटर चाहिए, ताकि मुझे डिपार्टमेंट से परमिशन मिल सके। मेरे को कोच ने मुझे पहले ही अध्यक्ष के बारे में आगाह किया था। क्योंकि वे इन चीजों को जानते हैं, लेकिन बोलने से बचते हैं।

पति ने प्रोटेक्शन के साथ भेजा था अध्यक्ष के पास
जब मैं परमिशन लेटर की बात करने अध्यक्ष के पास जा रही थी, उस दौरान मेरे पति भी मेरे साथ थे। जिन्हें मैंने सारी बात बता दी थी। वह बिल्डिंग के नीचे खड़े हो गए थे और उन्होंने उसे प्रोडक्शन के साथ ऊपर भेजा था।

उन्होंने कहा था कि अगर कुछ ऐसा वैसा हो तो तुरंत उसे कॉल कर देना। मैं ऊपर गई, परिस्थितियों को भांपकर किसी तरह मैं वहां से ठीक-ठाक बचकर निकल गई। यह मेरा सौभाग्य था। अगर मेरे साथ ऐसी वैसी हरकत होती तो मुझमें जितनी हिम्मत थी, मैं उनका मुंह तोड़ कर भी आ जाती।

हमें मजबूर किया जाता है, मगर इतना लंबा कैरियर कैसे छोड़ें?
लेकिन हम जो खिलाड़ी हैं, हम कमजोर नहीं मजबूर हैं। हमें मजबूर कर दिया जाता है कि इतने सालों का लंबा कैरियर आप किस तरह से छोड़ सकते हो। लेकिन हमें मजबूर कर दिया जाता है। छोटे-छोटे साइन के लिए, एक छोटे-छोटे सिलेक्शन के लिए मजबूर कर दिया जाता है।

हम भी इसके लिए कहते थे तो हजार तरह की नीतियां बता कर हमें छोड़ दिया जाता है, हमारा सिलेक्शन काट दिया जाता है। इसी तरह का जो सारा चक्र हम महिला खिलाड़ियों के लिए बनाया जाता है। यह हमें टॉर्चर करने के लिए हमें मजबूर करने के लिए बनाया जाता है।

हम हिंदुस्तानी लड़कियां लठ भी मार सकती है, मुंह भी तोड़ सकती हैं
हम हिंदुस्तानी लड़कियां लठ भी मार सकती हैं, मुहं भी तोड़ सकती हैं। हम मजबूर हैं। हम आखिर तक भी अपना आत्मसम्मान बचाने की कोशिश करते हैं और जब पानी सिर के ऊपर से चला जाता है तब हम बोलने की हिम्मत जुटाते हैं।

अब जो मुहिम जंतर-मंतर पर चली है। यह वह लड़कियां आवाज उठा रही हैं, जो इस देश के लड़कियों का रोल मॉडल है। हम भी चाहते हैं कि यह आवाज बुलंद हो और कोई भी लड़की शोषण का शिकार न हो।

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