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श्रीलंका के खिलाड़ियों का गुस्सा: आर्थिक संकट के खिलाफ प्रदर्शन में लोगों की गई थी जान, संगकारा बोले- ये सरकार समर्थित गुंडों का हमला

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स्पोर्ट्स6 मिनट पहले

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श्रीलंका में आर्थिक संकट गहरा चुका है। इसको लेकर वहां के दिग्गज क्रिकेटर लगातार आवाज उठा रहे हैं। श्रीलंका के पूर्व कप्तान और मुंबई इंडियंस के कोच महेला जयवर्धने ने देश की सरकार से सवाल किए हैं कि देश में कानून व्यवस्था कहां है? श्रीलंका पुलिस क्या कर रही है? आपका काम तो निर्दोष लोगों की सेवा और रक्षा करना है? 9 मई को हुए एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन को श्रीलंका की सरकार ने कुचलने की कोशिश की थी। इसमें 9 लोगों की जान चली गई थी। इसी को लेकर महेला जयवर्धने ने अपना गुस्सा निकाला था।

जयवर्धने ने आगे कहा कि पिछले 4-5 महीनों में हुए इन प्रदर्शनों में एक बात बहुत अच्छी हुई है। हम लोग एक देश की तरह सामने आए हैं। यहां कोई धर्म, जाति या सामाजिक विभाजन नहीं है। लोगों में भेदभाव रखकर कुछ लोगों ने बहुत फायदा उठाया है। अब युवा पीढ़ी यह समझ चुकी है।

न केवल जयवर्धने बल्कि श्रीलंका के कई महान क्रिकेटर्स वहां की राजपक्षे सरकार के खिलाफ लगातार बोल रहे हैं। IPL 2022 में शानदार प्रदर्शन करने वाले वानिंदु हसरंगा भी क्रांतिकारियों को अपना समर्थन दिया है।

उन्होंने ट्वीट कर निर्दोष और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर हमले को कायर और बर्बर बताया। 9 अप्रैल को किए अपने एक ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘अरागलया (संघर्ष) में शामिल होने वाले मेरे भाइयों और बहनों मैं तहे दिल से आपका सम्मान करता हूं। आप आज के समय के रियल हीरो हैं।’

संगाकारा, धम्मिका प्रसाद, जयसूर्या ने भी किए ट्वीट
श्रीलंका के टेस्ट कप्तान डिमुथ करुणारत्ने भी विरोध प्रदर्शन में दिखाई दिए हैं। पूर्व टेस्ट कप्तान अटापट्टू, उपुल थरंगा और जयसूर्या ने भी लोगों के समर्थन में ट्वीट किए हैं। कुमार संगाकारा ने भी बहुसंख्यक राजनीति का विरोध किया है।

वहीं, धम्मिका प्रसाद ने भी सरकारी व्यवस्था परिवर्तन की बात कही है। संगाकारा ने प्रदर्शनकारियों पर किए हमले को योजनाबद्ध और जानबूझकर किया गया हमला बताया। उन्होंने लिखा, ‘अपनी बुनियादी जरूरतों और अधिकारों की मांग के लिए किए जा रहे शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर सरकार समर्थित ठगों और गुंडों का हमला। यह घिनौना है। यह राज्य समर्थित हिंसा है।’

वहीं, रोशन महानमा ने लिखा कि, ‘हमारे देश के इतिहास में होने वाले सबसे शांतिपूर्ण और मजबूत विरोध प्रदर्शन पर हमले को देखकर मुझे नफरत हो रही है। यह सरकारी अधिकारियों की कायरता और तानाशाही को दर्शाता है क्योंकि भीड़ प्रधानमंत्री आवास पर जमा हो गई थी।’

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