‘सचिन मेरे भगवान, मैं उनका भक्त’: तेंदुलकर के जबरा फैन सुधीर बोले- मैंने क्रिकेट से शादी कर ली है, अब उसके साथ जीता हूं
कानपुर4 घंटे पहलेलेखक: आदित्य द्विवेदी
सचिन तेंदुलकर के जबरा फैन सुधीर चौधरी कानपुर में हैं। वह वर्ल्ड सेफ्टी सीरीज में इंडियन लीजेंड्स टीम की कप्तानी कर रहे सचिन का मैच देखने के लिए मुजफ्फरपुर से पहुंचे हैं। 10 सितंबर को इंडिया लीजेंड्स का पहला मैच हुआ था। उस दिन ग्रीन पार्क के बाहर खुद को पेंट में रंगे और तिरंगा लहराते सुधीर नजर आए। क्रिकेट के फैन, सचिन के इस प्रशंसक को तुरंत पहचान गए। उनको घेर लिया और खूब सेल्फी ली।
दरअसल, सिर्फ इंडिया ही नहीं, बल्कि दुनिया में जहां भी सचिन का मैच होता था। सुधीर उसमें जरूर नजर आते थे। लाइव टेलीकास्ट के दौरान भी कैमरा दो-चार बार सुधीर पर जाकर टिकता था। मैच में जाने के लिए और अपना खर्च निकालने के लिए सुधीर प्राइवेट नौकरी करते हैं। कुछ पार्ट टाइम भी करते हैं।
- पढ़िए दैनिक भास्कर की सुधीर चौधरी से हुई खास बातचीत के अंश…
ये फोटो 19 साल पहले की है। सचिन ने सुधीर को ड्रेसिंग में बुलाकर वर्ल्ड कप हाथ में उठाने का मौका दिया था।
सवाल: क्रिकेट और सचिन के साथ दीवानगी का क्या माजरा है?
जवाब : बचपन से मैं क्रिकेटर बनना चाहता था। स्कूल लेवल पर खूब मैच भी खेले। मगर, लोकल राजनीति के चलते टीम में मेरा सिलेक्शन नहीं हो पाया। क्रिकेट में मेरे हीरो सचिन सर थे। उनसे मिलने की चाहत ने मुझे मेरे भगवान से मिला दिया। मैं अपनी जिंदगी को सफल मानता हूं कि करोड़ों कि आबादी में मैं क्रिकेट को अपने ढंग से जी रहा हूं।
सवाल: सचिन से मिलने की बात दिमाग में कैसे आई?
जवाब: सचिन सर से मिलने की ख्वाहिश तो सभी रखते हैं। मगर, मैं इसके लिए किसी भी हद तक जाने का जुनून पाले बैठा था। इसी के चलते मैं सबसे पहले 2002 में साइकिल से जमशेदपुर में होने वाले वेस्टइंडीज-इंडिया के मैच को देखने पहुंचा था। मगर, इस मैच में चोट लगने से सचिन सर ने भाग नहीं लिया। निराशा हाथ लगी, मगर मैं हिम्मत नहीं हारा। तभी मैंने ठान लिया था कि अगले मैच में साइकिल से सचिन सर का मैच देखने जरूर जाऊंगा।
सुधीर पेंट से खुद ही चेहरे पर इंडिया लिखते हैं और कलर भी करते हैं।
सवाल: सचिन से आपकी पहली मुलाकात कब हुई?
जवाब: साल 2003 में मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में भारत और ऑस्ट्रेलिया का मैच होना था। तब सचिन सर से मिलने के लिए मैं 8 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर (बिहार) से साइकिल से निकला। 18 दिन बाद मुंबई पहुंचा। 29 अक्टूबर को शाम 5 बजे ट्राइडन होटल के बाहर सचिन सर के निकलने पर मैं उनके पैर छूने के लिए बढ़ा। इस पर सुरक्षाकर्मियों ने धक्का देकर बाहर कर दिया।
फिर भी हिम्मत नहीं हारी और कोशिश की। किसी तरह लोगों के पैरों के नीचे से निकलकर सचिन सर के पैर छुए और आशीर्वाद लिया। जब उनको पूरा वाकया मालूम पड़ा कि मैं 18 दिन साइकिल चला कर आया हूं, तो उन्होंने अपने घर बुलाया। मैं 30 अक्टूबर को उनके घर पर मिला और सचिन सर ने मुझे अपनी जर्सी दी।
इंडिया का मैच शुरू होने से पहले सुधीर शंख बजाते हैं।
सवाल: पूरे शरीर और सिर में पेंटिंग कराने का ख्याल कैसे आया?
जवाब: मेरा जीवन क्रिकेट और सचिन सर के लिए है। देश प्रेम और अपने भगवान के लिए तो लोग कुछ भी करते हैं। बस यह बॉडी पेंटिंग उसी का एक उदाहरण भर है। इससे भारतीय टीम का उत्साह बढ़ाने में मदद मिलती है। ग्राउंड में माहौल बनता है। आप कह सकते हैं कि मैं अपने भगवान का भक्त हनुमान हूं। क्रिकेटर और देश प्रेम में सराबोर हूं और अंतिम सांस तक ऐसे ही रहना चाहता हूं।
सवाल: आप साइकिल से ही मैच देखने क्यों जाते थे?
जवाब: देखिए, मेरे पास बहुत पैसे तो होते नहीं थे। महीने में बमुश्किल 17-18 सौ रुपए कमा पाता था। ऐसे में देश भर में होने वाले मैच को देखना और सचिन सर से मिलने की हसरत ने सब कुछ कराया है। यह मेरे लिए एक तरह की साधना रही है। इसकी वजह से ही मुझे मेरे भगवान मिले हैं। यह जीवन ही नहीं, अगले कई जीवन में मैं अपने भगवान को समर्पित करना चाहता हूं।
ये फोटो सुधीर की है। वह इन दिनों पर सिर पर भारत का नक्शा बनवाए हुए हैं।
सवाल: साइकिल से मैच देखने कितनी जगह जाना हुआ?
जवाब: 2002 में वेस्टइंडीज और इंडिया का मैच देखने जमशेदपुर जाना हुआ था। उसके बाद 2003 में मुंबई गया। 2004 में कोलकाता में भारत-पाकिस्तान मैच को देखने साइकिल से 6 दिन में पहुंचा। 2005 में भारत-पाकिस्तान मैच के लिए 11 दिन साइकिल चला कर दिल्ली पहुंचा। पाकिस्तान के लाहौर में भारत-पाक के मैच को देखने के लिए 16 दिन साइकिल चलाकर लाहौर पहुंचा था।
इसी तरह 2007 में भारत-बांग्लादेश के बीच होने वाले मैच में 10 दिन साइकिल चलाकर ढाका और चटगांव पहुंचा। 2011 में एक बार फिर भारत और बांग्लादेश के बीच हुए वर्ल्ड कप मैच को देखने के लिए साइकिल से ही गया था। 2012 में सचिन के 100वें शतक के लिए मन्नत मांगी थी।
भारत-बांग्लादेश के बीच हुए एशिया कप को देखने के लिए साइकिल चलाकर बांग्लादेश ढाका जाना हुआ था। जहां सचिन ने 100वां शतक लगाया था। 2013 में सचिन सर ने क्रिकेट से संन्यास लिया और हमने साइकिल चलाकर मैच देखना छोड़ दिया।
ये फोटो सचिन के फैन सुधीर की है। इस समय वह रोड सेफ्टी सीरीज देखने आए हैं।
सवाल: सचिन के साथ वो लम्हे जो यादगार हों?
जवाब : देखिए, सचिन सर के साथ बिताया हर लम्हा यादगार है। उनकी सभी यादें ही मेरी जिंदगी हैं। फिर भी उनसे पहली मुलाकात होना और उनके पैर छूना सबसे यादगार है। उनके घर में पहली बार जाना हुआ, तो लगा भगवान के घर आ गया।
उनके 100वें शतक पर ग्राउंड पर पैर छूना मेरे लिए ना भूलने वाला क्षण है। जब सचिन सर ने ड्रेसिंग रूम में बुलाकर मुझे वर्ल्ड कप को उठाने का मौका दिया। 16 नवंबर, 2013 का दिन मेरे लिए काला दिवस के तौर पर रहा है। इसी दिन क्रिकेट के भगवान ने क्रिकेट से अलविदा कहा।
सवाल: कानपुर से जुड़ी यादें कैसी रही हैं?
जवाब: अच्छी रही हैं। हां, एक बार जरूर मार्च, 2010 में भारत-श्रीलंका के बीच मैच था। जिसमें मैं तिरंगा झंडा लहरा रहा था। तभी एसपी सिटी लक्ष्मी निवास मिश्रा ने मुझे धक्का दे दिया था। इसमें मेरे हाथ में शंख लगने से नस फट गई थी। इस बात की जानकारी जब सचिन सर को हुई, तो उन्होंने मुझे और पुलिस अधिकारियों को होटल बुलाया था। इस घटना पर उन्होंने कड़ी नाराजगी जाहिर की थी। इस पर पुलिस ने माफी भी मांगी थी और मुझे पूरे पार्क में तिरंगा लहराने की इजाजत मिली थी।
सवाल: जो आप को पागलखाने भेजने की बात करते थे, उनका अब क्या कहना है?
जवाब: अब सभी हमको हाथों-हाथ लेते हैं। भारत के वर्ल्ड कप जीतने के बाद जब मैं 3 महीने बाद गांव पहुंचा था, तो सभी ने जश्न मना कर मेरा स्वागत किया था। मजाक बनाने वालों के मुंह अब बंद हैं। मैं सही बताऊं, तो मैंने कभी भी उनकी बातों को गंभीरता से लिया ही नहीं था। आज भी उन सब के प्रति मेरे मन में किसी भी तरह का मलाल नहीं है।
सवाल: एक बात चर्चा में है कि सचिन आपको अपने खर्च पर क्रिकेट देखने के लिए भेजते हैं?
जवाब: यह बात सही है कि मैं जब भी देश के बाहर जाता हूं, तो सचिन सर मेरा देश से बाहर जाने का सारा इंतजाम करते हैं। मैं दुनिया के कई देश कई बार घूम चुका हूं। सिवाय दक्षिण अफ्रीका, केन्या, वेस्टइंडीज और जिंबाब्वे को छोड़ कर। इन देशों में सुरक्षा कारणों से जाना नहीं हुआ है। सचिन सर के रिटायरमेंट के बाद भी 9 साल से लगातार टीम इंडिया का उत्साह बढ़ाने के लिए होने वाले मैचों में जाता रहता हूं।
सवाल: क्रिकेट की दीवानगी तो ठीक है। आप अपने और घर के खर्चे कैसे चलाते हैं?
जवाब: इसके लिए प्राइवेट नौकरी करता हूं। अपनी जरूरतों को पूरा करता हूं। कुछ काम पार्ट टाइम भी करता हूं। इसी कमाई से देश में होने वाले मैचों को भी देखने जाता हूं। क्योंकि मेरे लिए अभी भी सब कुछ क्रिकेट ही है। मेरा सपना है कि क्रिकेट की दुनिया में भारत अविजय बने। मैं भारतीय क्रिकेट टीम का उत्साह अपनी अंतिम सांस तक बढ़ाता रहूंगा।
सवाल: सुना है आपने शादी नहीं की, इसकी कोई खास वजह?
जवाब: मेरी जिंदगी क्रिकेट की है। मैंने इसे अपना लाइफ पार्टनर बना लिया है। लोग अपनी लाइफ पार्टनर के साथ उतना कहां जी पाते हैं जितना मैं जीता हूं। मेरी जिंदगी का हर पल अब सिर्फ क्रिकेट है। जब मैं साइकिल से पाकिस्तान जा रहा था तभी मैंने क्रिकेट को अपनी जिंदगी मान लिया। बाकी, मेरे परिवार में माता पिता, हम तीन भाई, एक छोटी बहन है। दोनों भाइयों और बहन की शादी हो चुकी है।
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