साइंस ऑफ क्रिकेट-1: फास्ट बॉलर्स की गेंद हवा में लहराती हुई दिशा कैसे बदलती है; जानिए स्विंग बॉलिंग का इंट्रेस्टिंग साइंस
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5 मिनट पहलेलेखक: अभिषेक कुमार उपाध्याय
वकार युनुस, जहीर खान, डेल स्टेन। इनका नाम सुनते ही उस तेज रफ्तार गेंदबाजी की याद आ जाती है, जिसमें गेंद लहराते हुए विकेट्स को जमीन से उखाड़ फेंकती थी। हवा में गेंद के इस लहराने को ही स्विंग बॉल कहते हैं।
अब सवाल उठता है कि गेंद हवा में लहराती कैसे है? आपको बता दें कि इसके पीछे एक साइंस है। अब साइंस का नाम सुनकर बोर नहीं होना है। ये एक इंट्रेस्टिंग साइंस है। ‘साइंस ऑफ क्रिकेट’ सीरीज के इस एपिसोड में आज हम बॉल स्विंग होने की कहानी जानेंगे…
बॉल स्विंग कराने के लिए जरूरी चीजें
नई बॉल का स्विंग उसके सीम के एंगल पर डिपेंड करता है। सीम के अलावा बॉल की हालत भी बड़ा रोल प्ले करती है। नई बॉल अलग तरीके से स्विंग होती है और पुरानी बॉल अलग तरीके से। इसके अलावा बॉल की स्पीड जैसे कई और फैक्टर्स भी होते हैं।
हवा में गेंद स्विंग होने का साइंस
जब गेंदबाज बॉल को बैट्समैन की तरफ फेंकता है, तो ये हवा को चीरते हुए आगे बढ़ती है। ऐसे में हवा दो हिस्सों में बंट जाती है। एक तरफ गेंद का स्मूद हिस्सा होता है और दूसरा तरफ सीम वाला खुरदुरा हिस्सा। स्मूद वाले हिस्से से हवा आराम से निकल जाती है। इसे लैमिनार एयरफ्लो कहते हैं। खुरदुरे वाले हिस्से से हवा गुजरने में थोड़ा वक्त लगता है। इसे टरब्यूलेंट एयरफ्लो कहते हैं।
लैमीनार एयर फ्लो की तरफ हवा का दबाव ज्यादा होता है। ऐसे में ज्यादा एयर प्रेशर वाली साइड कम एयर प्रेशर वाली साइड को धक्का देती है। ऐसे में गेंद हवा में ही सीम के एंगल की तरफ लहराती हुई जाती है। ये तो हुई नई गेंद से स्विंग कराने की बात। स्टडी में पाया गया है कि 110-112 किलोमीटर की रफ्तार से गेंद फेकी जाए और सीम का एंगल 20 डिग्री पर रखा जाए, तो गेंद सबसे ज्यादा स्विंग होती है।
अब बात रिवर्स स्विंग यानी उल्टी स्विंग की
1980 के दशक में पाकिस्तानी क्रिकेटर सरफराज नवाज ने बॉल को उल्टा स्विंग कराना शुरू किया। उन्होंने ये टेक्निक इमरान खान को सिखाई और इमरान ने वकार और वसीम को। धीरे-धीरे और पाकिस्तानी बॉलर्स भी ऐसा करने लगे। गेंद के उल्टा स्विंग होने से सभी हैरान थे, लेकिन इसका जवाब भी साइंस से मिलता है।
रिवर्स स्विंग गेंद पुरानी होने पर ही की जा सकती है। पुरानी गेंद दोनों तरफ खुरदुरी होती है। जब पुरानी बॉल हवा में ट्रेवल करती है, तब हवा बॉल के दोनों हिस्सों पर टरब्यूलेंट होती है। जिस साइड सीम का एंगल होता है, उस साइड हवा बॉल की सीम से और रफ साइड से टकराकर और ज्यादा टरब्यूलेंट हो जाती है।
पुरानी बॉल में एयर प्रेशर सीम के एंगल की तरफ ज्यादा होता है। इसलिए एयर प्रेशर बॉल को दूसरी तरफ धक्का देता है और गेंद सीम एंगल की अपोजिट साइड लहराती है।
आपने नोटिस किया होगा कि फील्डर गेंद को कपड़े से रगड़ते रहते हैं। दरअसल, वो गेंद की शाइन को एक तरफ बरकरार रखने की कोशिश करते हैं। जिससे गेंद स्विंग कराने में आसानी हो। इस चक्कर में कई बार वो गेंद के साथ ज्यादा छेड़खानी कर देते हैं, जो बॉल टेंपरिंग के दायरे में आता है।
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