साइक्लिस्ट यौन उत्पीड़न: कोच के खिलाफ पुलिस केस तक नहीं; न फेडरेशन सामने आया, न साई और खेल मंत्रालय
- Hindi News
- Sports
- Not Even A Police Case Against The Coach; Neither The Federation Came To The Fore, Nor The SAI And The Sports Ministry
नई दिल्ली6 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
स्पोर्टस अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) ने स्लोवेनिया में चल रहे ट्रेनिंग कैंप में नेशनल साइक्लिस्ट का यौन उत्पीड़न करने के मामले में 56 साल के कोच आरके शर्मा का करार निरस्त कर दिया है।
साई ने टीम भी वापस बुला ली, लेकिन कोच पर पुलिस केस दर्ज नहीं कराया गया। न साइक्लिंग फेडरेशन ने केस दर्ज कराया है, न साई या खेल मंत्रालय ने इसकी जरूरत समझी। साई सेंटरों पर यौन प्रताड़ना का मुद्दा नया नहीं है। खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने दिसंबर 2021 में लोकसभा में बताया था कि 2018 के बाद 4 साल में साई में ऐसे उत्पीड़न के 17 मामले सामने आए।
एक आरटीआई में साई ने बताया था कि 2010 से 2019 के बीच यौन प्रताड़ना के 45 केस सामने आए। साई की पूर्व डायरेक्टर जनरल नीलम कपूर ने स्वीकार कर चुकी हैं कि उत्पीड़न के मामलों की संख्या कहीं अधिक है, क्योंकि कई केस सामने ही नहीं आ पाते। साई में यौन उत्पीड़न की शिकायतें लंबित पड़ी रहती हैं।
कोच ‘रुतबे और रौब’ का फायदा उठाते हैं और ‘दरिंदे’ बन जाते हैं…: रिपोर्ट
महिलाओं के सशक्तिकरण पर एक संसदीय समिति यह टिप्पणी कर चुकी है कि कोच अपनी ‘रुतबे और रोब’ का फायदा उठाते हैं और ‘दरिंदे’ बन जाते हैं। बड़ी संख्या में ट्रेनी डरते हैं कि उनका चयन नहीं होगा। कुछ होता है तो वे चुपचाप सहते रहते हैं।
- घटना स्लोवेनिया में हुई। भारत में एफआईआर कैसे दर्ज हो सकती है? पीड़िता बिना डरे भारत में केस दर्ज करवा सकती है। भारतीय नागरिक विदेशी धरती में अपराध से जुड़े हों तो केस दर्ज हो सकता है। पुलिस को केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होगी।
- ऐसे मामलों में पीड़िताएं एफआईआर दर्ज कराने से क्यों बचती हैं या दर्ज क्यों नहीं करवातीं? वर्ष 2019 में महिला सशक्तिकरण संबंधी संसदीय समिति ने बताया गया था कि खेल परिसरों में महिला खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न के जितने मामले दर्ज होते हैं, वास्तविक संख्या कहीं अधिक हो सकती है। कई मामलों में केस दर्ज नहीं कराए जाते। खिलाड़ियों को करियर प्रभावित होने का डर रहता है।
- पुलिस स्वत:संज्ञान लेकर कैसे केस दर्ज कर सकती है? थर्ड पार्टी कैसे इंटरविन कर सकती है? गैर जमानती और गंभीर अपराधों में एफआईआर दर्ज करना जरूरी है। पुलिस स्वत: संज्ञान लेकर भी केस दर्ज कर सकती है। खेल संघ, भारतीय खेल प्राधिकरण और खेल मंत्रालय थर्ड पार्टी के नाते शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
- पहले भी कोचों को सिर्फ वेतनवृद्धि रोककर या हटाकर मामला दबा दिया गया। केस नहीं चले? ऐसा नहीं है। पिछले साल 8 महिला एथलीट ने चेन्नई के कोच के खिलाफ आईपीसी व पाक्सो एक्ट में केस दर्ज कराए थे। 2020 में महिला क्रिकेटर से बदसलूकी के मामले में दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज किया था। वर्ष 2010 में महिला हॉकी खिलाड़ियों ने चीफ कोच के खिलाफ यौन उत्पीड़न का केस दर्ज कराया था।
- साई छुटपुट कार्रवाई कर मामले दबा देता है? आपराधिक मामलों की जांच पुलिस स्तर पर और कोच के खिलाफ प्रशासनिक स्तर पर जांच होती है। इसमें लंबा समय लग जाता है। कई बार पीड़िताएं शिकायत वापस ले लेती हैं या पूरे प्रमाण न मिलने पर जुर्माना और निलंबन से मामले को खत्म कर दिया जाता है। (जैसा पवन कुमार को बताया)
For all the latest Sports News Click Here
For the latest news and updates, follow us on Google News.