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सूर्या के पैरेंट्स को रिस्तेदारों से मिलता था ताना: लोग कहते थे- क्रिकेट में डालकर बेटे की जिंदगी क्यों बर्बाद कर रहे हो

मुंबई19 मिनट पहलेलेखक: राजकिशोर

सूर्य कुमार यादव को एबी डिविलियर्स के बाद अब वर्ल्ड क्रिकेट का नया मिस्टर 360 डिग्री कहा जाने लगा है। वसीम अकरम जैसे लीजेंडरी बॉलर ने सूर्या के बारे में कहा- ये तो किसी और ही प्लेनेट से आया है। SKY नाम मशहूर सूर्या के शॉट सलेक्शन और क्रिएटिव क्रिकेट को दूसरे बैटर भी फॉलो कर रहे हैं।

इस वर्ल्ड कप में तो सूर्यकुमार यादव ने 5 मैच में 75 के एवरेज से 225 रन बनाए हैं। इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट 193 का रहा। इस राइट हैंडर ने 3 फिफ्टी भी लगाई हैं। अभी टी-20 फॉर्मेट में वे दुनिया के नंबर-1 बल्लेबाज हैं।

बहरहाल, 2020 में एक वक्त ऐसा भी आया जब डोमेस्टिक और IPL में शानदार परफॉर्मेंस के बाद भी सूर्या को टीम इंडिया में जगह नहीं मिली थी। उन्होंने अपना गुस्सा मैदान पर बल्ले से निकाला और तब के भारतीय कप्तान विराट कोहली की टीम RCB के सामने मुंबई इंडियंस के लिए लाजवाब पारी खेली और इशारा अपनी डगआउट की तरफ किया। इशारों में कहा- फिक्र मत करो। मैं हूं न…। दैनिक भास्कर से यह बातें सूर्या के पिता अशोक कुमार यादव ने एक स्पेशल इंटरव्यू में शेयर कीं। आप भी पढ़िए…

2020 में RCB के खिलाफ मैच में सूर्या ने 43 बॉल पर 79 रन की पारी खेली।

2020 में RCB के खिलाफ मैच में सूर्या ने 43 बॉल पर 79 रन की पारी खेली।

तब UAE में खेला गया था IPL
अशोक बताते हैं- आज भले ही सूर्या टी-20 में वर्ल्ड नंबर-1 बैटर हैं लेकिन, दो साल पहले मेरा बेटा टीम इंडिया में जगह न मिलने से निराश था, गुस्से में था। तब IPL के मैच UAE में खेले गए थे। एक मैच में विराट कोहली की टीम रॉयल चैलेंजर्स का मुकाबला मुंबई इंडियंस से था। इस मैच के पहले ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए टीम इंडिया अनाउंस हुई थी। सूर्या का नाम टीम में नहीं था। वो गुस्से और निराशा से भरा था।
अगले दिन जब वो विराट कोहली की टीम के खिलाफ बैटिंग करने विकेट पर पहुंचा तो अंदाज ही अलग था। उन्होंने करीब 184 के स्ट्राइक रेट से 43 बॉल पर 79 रन की पारी खेली। 10 चौके और 3 छक्के लगाए।

दरअसल लक्ष्य का पीछा करने उतरी मुंबई इंडियंस की शुरुआत अच्छी रही और टीम के सलामी बल्लेबाजों ने पहले विकेट के लिए 37 रन जोड़े। मुंबई को क्विंटन डिकॉक (18) के रूप में पहला झटका लगा। इसके बाद मुंबई की टीम ने एक छोर से लगातार विकेट गंवाए, लेकिन सूर्यकुमार यादव ने एक एंड को संभाल कर रखा और टीम को 5 विकेट से जीत दिलाने में कामयाब रहे।

इस मैच के दौरान जब मुंबई इंडियंस जीत के करीब थी तब सूर्या ने अपनी टीम के डगआउट की तरफ देखा और इशारों में कहा- मैं हूं न…। शायद वो कप्तान कोहली को बताना चाहते थे कि उनके साथ नाइंसाफी हुई।

हर मैच से पहले मां का आशीर्वाद
सूर्या का नाम आज भले ही आसमान में चमक रहा हो, लेकिन उनके कदम बिल्कुल जमीन पर हैं। वो फैमिली वेल्यूज को बहुत मानते हैं। अशोक आगे कहते हैं- सूर्या का बचपन से ही सबसे ज्यादा लगाव मां से रहा। आज भी वो मैच के लिए मैदान पर जाने से पहले टीम बस में मौजूद रहते हैं और वहीं से मां को फोन करते हैं, उनसे आशीर्वाद लेते हैं। मैच के बाद भी घर लौटते वक्त फिर मां को फोन करते हैं और अपनी इनिंग के बारे में बताते हैं।

सूर्या(बीच में) की मां सपना यादव हाउस वाइफ हैं और पिता अशोक कुमार यादव भाभा रिसर्च सेंटर में इंजीनियर हैं।

सूर्या(बीच में) की मां सपना यादव हाउस वाइफ हैं और पिता अशोक कुमार यादव भाभा रिसर्च सेंटर में इंजीनियर हैं।

सूर्या अपने माता-पिता को भगवान समझते हैं। दाहिने हाथ पर मां और पिता का टैटू बनवा रखा है।

सूर्या अपने माता-पिता को भगवान समझते हैं। दाहिने हाथ पर मां और पिता का टैटू बनवा रखा है।

पड़ोसी कहते थे- खेल में क्या रखा है…

  • आज सूर्या और उनके परिवार को देश-दुनिया जानती है, लेकिन हालात हमेशा से ऐसे नहीं थे। अशोक कहते हैं- मैं मुंबई के भाभा रिसर्च सेंटर में इंजीनियर हूं। हमारी सोसायटी में ज्यादातर साइंटिस्ट और इंजीनियर रहते हैं। यहां के बच्चों का पहला फोकस स्टडी है। सूर्या एवरेज स्टूडेंट रहा। वजह यह कि उसका फोकस खेल पर ज्यादा रहा। पहले बैडमिंटन खेलता था, फिर क्रिकेटर बन गया।
  • अशोक आगे कहते हैं- मेरी सोसायटी के लोग कई बार मुझे और सूर्या की मां को ताना देते थे। कहते थे- खेल में क्या रखा है। आपका बेटा तो सिर्फ खेल पर ही ध्यान देता है। इसमें कोई करियर नहीं है। हम बनारस के रहने वाले हैं। आज भी वहां रिश्ते हैं। वहां के रिश्तेदारों की राय भी जुदा नहीं थी। वो भी कहते थे- खेल में डालकर क्यों इसकी जिंदगी बर्बाद कर रहे हो?
  • अशोक के मुताबिक- एक दिन उसके कोच ने मुझसे कहा कि आपका बेटा बहुत टैलेंटेड है। यह जरूर कुछ कर दिखाएगा। इसके बाद मैंने बेटे को कभी नहीं रोका। जानता था कि कम से कम रणजी ट्रॉफी तो खेल ही लेगा, और अगर ऐसा हुआ तो नौकरी तो मिल ही जाएगी। आज उसने जो कर दिखाया है तो हमसे ज्यादा खुश और कौन हो सकता है। उसने खुद को साबित कर दिखाया है।

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