3 ओलिंपिक गोल्ड विजेता बलदेव ने बनाया रानी को ‘कप्तान’: कहते थे- अपने जोश और जुनून को हथियार बनाओ, विरोधी टीम देखकर ही हार जाएगी; खुद भी सबसे अधिक गोल दागे थे
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करनाल/शाहबाद3 मिनट पहलेलेखक: केदारनाथ शर्मा
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कोच बलदेव सिंह सीनियर के साथ रानी रामपाल।
टोक्यो ओलंपिक में महिला हॉकी टीम की कप्तानी कर रही रानी रामपाल यूं ही इस मुकाम तक नहीं पहुंच गई। इसके पीछे ओलिंपिक में तीन गोल्ड जीतने वाले बलदेव सिंह सीनियर का अनुभव और शिक्षण है। रानी रामपाल को हॉकी की बारीकियां बलदेव सिंह सीनियर ने ही सिखाई हैं। रानी के जोश और जज्बे को देखते हुए बलदेव सिंह ने उन्हें वो हर दांव सिखाया, जिसने उन्हें हॉकी इंडिया का कप्तान बनाया। वे रानी को कहते थे कि अपने जोश और जुनून को हथियार बनाओ, विरोधी टीम देखकर ही हार जाएगी। इस बारे में रानी के पिता रामपाल ने दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत की…
3 ओलिंपिक में सबसे ज्यादा गोल दागे
बलदेव सिंह सीनियर भारत की उस हॉकी टीम के सदस्य थे, जिसने तीन ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीते। लंदन (1948), हेल्सिंकी (1952) और मेलबोर्न (1956) में हॉकी इंडिया ने गोल्ड मेडल जीता था। इस टीम में बलदेव ने सबसे अधिक गोल दागे। बलदेव ने सेंटर फॉरवर्ड पॉजिशन पर खेलते हुए सबसे अधिक गोल करने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है।
1952 के ओलिंपिक के दौरान फाइनल में नीदरलैंड के खिलाफ खेलते हुए बलदेव सिंह ने 5 गोल करने का रिकॉर्ड बनाया था। वे 1975 में भारतीय हॉकी टीम के मैनेजर और चीफ कोच थे। उनके कोच रहते भारतीय टीम ने पुरुषों का हॉकी वर्ल्ड कप जीता था। 1971 में भारत ने पुरुषों के हॉकी वर्ल्ड कप में कांस्य पदक जीता। 2012 के लंदन ओलंपिक के दौरान, रॉयल ओपेरा हाउस के द्वारा उनको बेहतरीन खेल के लिए सम्मानित किया गया है।
कप्तान रानी रामपाल की अब तक की उपलब्धियां
- जून 2009 में रूस में आयोजित हुए चैंपियन चैलेंज टूर्नामेंट में रानी ने फाइनल मैच में चार गोल किए। ‘द टॉप गोल स्कोरर’ और ‘यंग प्लेयर ऑफ़ टूर्नामेंट’ का ख़िताब जीता।
- साल 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लिया, जहां वे एफ़आईएच के ‘यंग वुमन प्लेयर ऑफ़ द इयर’ अवॉर्ड के लिए भी नामांकित हुई।
- ग्वांगझोउ में हुए 2010 के एशियाई खेलो में अपने बेहतरीन प्रदर्शन के चलते, उन्हें ‘एशियाई हॉकी महासंघ’ की ‘ऑल स्टार टीम’ का हिस्सा बनाया गया।
- अर्जेंटीना में आयोजित महिला हॉकी विश्व कप में, उन्होंने 8 गोल किए और भारत को विश्व महिला हॉकी रैंकिंग में 7वें पायदान पर ला खड़ा किया।
- साल 1978 के बाद ये भारत की हॉकी टीम का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन माना जाता है और इस शानदार प्रदर्शन के लिए रानी ने ‘बेस्ट यंग प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट’ जीता।
- साल 2013 के जूनियर विश्व कप में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया और पहली बार भारत ने कांस्य पदक जीता। यहां भी उन्हें ‘प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट’ का खिताब मिला।
- साल 2016 में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। उनकी कप्तानी में भारतीय हॉकी टीम ने 2018 में एशियाई खेलों में रजक पदक जीता और राष्ट्रमंडल खेलों में भारत चौथे पायदान पर और लंदन विश्व कप में 8वें स्थान पर रहा है।
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