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8 साल की उम्र से क्रिकेट ही सबकुछ बन गया: बॉलर बनना चाहते थे रजत पाटीदार, आज बतौल बल्लेबाज भारत के लिए डेब्यू कर सकते हैं

इंदौर19 मिनट पहले

इंदौर के रहने वाले युवा क्रिकेटर रजत पाटीदार आज साउथ अफ्रीका के खिलाफ होने वाले वनडे मैच में टीम इंडिया के लिए डेब्यू कर सकते हैं। IPL के पिछले सीजन में अपने बल्ले से धूम मचाने वाले रजत ने उसके बाद घरेलू क्रिकेट में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया। फिर उनका सिलेक्शन भारतीय टीम में हुआ।

29 साल के रजत मानते हैं कि वे तीनों फॉर्मेट में भारत को रिप्रजेंट करने की क्षमता रखते हैं। हालांकि, शुरुआत में वे बल्लेबाज नहीं गेंदबाज बनना चाहते थे। इसका खुलासा उन्होंने दैनिक भास्कर के साथ विशेष बातचीत में किया। इस इंटरव्यू में रजत ने बतौर क्रिकेटर अपने अब तक के सफर पर विस्तार से बातचीत की। आप भी पढ़िए…

सवाल- लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और अब टीम इंडिया के लिए खेलेंगे। क्या टारगेट सेट किया है, सीरीज के लिए?
जवाब– मैने अपने लिए ऐसा कोई टारगेट सेट नहीं किया है। मैने यह नहीं तय किया है कि मुझे यह करना है और वो करना है। मैं हमेशा कोशिश करता हूं कि जब भी खेलूं अपना बेस्ट दूं। देश के लिए मौका मिलने पर भी ऐसा ही करने का प्रयास करूंगा।

सवाल- वनडे सीरीज में आपको मौका मिला है। आपका फेवरेट फॉर्मेट कौन सा है?
सवाल- मैं सारे फॉर्मेट पसंद करता हूं। मेरे पास तीनों फॉर्मेट देश का प्रतिनिधित्व करने की क्षमता है। हालांकि, तीनों फॉर्मेट की प्रोसेस अलग है और मैं कोशिश करता हूं कि जब जो चैलेंज सामने आए उससे जुड़ी प्रोसेस फॉलो करूं।

सवाल- टीम इंडिया के लिए चुना जाना हर युवा का सपना होता है। आपको यहां तक पहुंचने के लिए किस तरह के स्ट्रगल का सामना करना पड़ा?
जवाब- ऐसा नहीं है कि स्ट्रगल केवल क्रिकेट में ही है। आपको अपना टारगेट पाने के लिए स्ट्रगल करना पड़ता है। मैं इसको लेकर ज्यादा नहीं सोचता, क्योंकि जो मेरे हाथ में नहीं है उसके लिए परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है। मैं कोशिश करता हूं जहां भी खेल रहा हूं अपना बेस्ट दूं। मैंने हमेशा खेल पर फोकस रखा और अब देश की टीम में चुने जाने का सपना पूरा हुआ है।

सवाल- क्रिकेट की शुरुआत कैसे की और घरवालों का कितना सपोर्ट मिला?
जवाब- क्रिकेट की शुरुआत 8 या 9 साल की उम्र में की थी। घरवालों का मुझे पूरा सपोर्ट मिला। उन्होंने कभी पढ़ाई, नौकरी या बिजनेस के लिए नहीं कहा। घरवालों ने जब जान लिया कि क्रिकेट ही मेरा जुनून है तो सबने मेरा साथ दिया। तब से मेरे लिए क्रिकेट ही सबकुछ बन गया।

सवाल- आप बिजनेस फैमली से हैं। ऐसे में बिजसेनमैन बनने की जगह क्रिकेटर बनने का ख्याल कैसे आया?
जवाब- बचपन से ही क्रिकेट को लेकर पैशना था। इसलिए खेलने लगा। मुझे 19 साल के बाद समझ में आया कि इसमें करियर बना सकता हूं। फिर मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

सवाल- आपकी प्रतिभा को सबसे पहले किसने पहचाना?
जवाब-मेरे करियर में तीन कोच का बहुत बड़ा रोल रहा है। मैं शुरुआत में विजय क्लब में अभ्यास करता था। मैने सचिन धोलपुरे सर से बेसिक सीखी। स्टेट टीम में आने पर अमय खुरासिया सर और अब चंद्रकांत पंडित सर का मार्गदर्शन मिल रहा है। मैं अमय सर को अपनी प्रतिभा पहचानने का ज्यादा क्रेडिट दूंगा, क्योंकि अंडर-19 में मैं जब किसी टीम का हिस्सा नहीं था तब उन्होंने ही मुझे बल्लेबाजी की बारिकियों के बारे में बताया। उनके कहने पर ही मैने बल्लेबाजी पर ज्यादा फोकस किया।

सवाल- क्या शुरुआत से ही बल्लेबाज बनना चाहते थे?‌
जवाब- मैंने एक गेंदबाज के तौर पर शुरुआत की थी। सच यह है कि जब आप खेलना शुरू करते हैं तो सबकुछ करने का मन करता है। बॉलिंग भी, बैटिंग भी। क्लब में खेलने के दौरान कोच सर ने गेंदबाजी के साथ ही बल्लेबाजी पर फोकस करने के लिए कहा। धीरे-धीरे मैं बॉलर से बैटर बन गया। अब मैं अपने खेल को इंजॉय कर रहा हूं।

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