RCB के शाहबाज अहमद की कहानी: डॉक्टर-इंजीनियर वाले गांव का लड़का 11 साल में पूरी कर पाया अपनी डिग्री; क्रिकेट के लिए हरियाणा छोड़कर जाना पड़ा
मेवात29 मिनट पहलेलेखक: राजकिशोर
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RCB के जीत के हीरो रहे शाहबाज अहमद मेवात जिले के सिकरावा गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता अहमद जान पलवल में SDM के रीडर हैं। वह भी एक मध्यमवर्गीय परिवार की तरह चाहते थे कि उनका बेटा सिविल इंजीनियर बनकर जॉब करे और घर गृहस्थी चलाए। इसलिए उन्होंने गांव को छोड़कर हथीन में रहने लगे, ताकि बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके। 12 वीं करने के बाद साल 2011 में उन्होंने शाहबाज अहमद का एडमिशन फरीदाबाद स्थित मानव रचना इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में कराया ताकि वह इंजीनियर बन सके। पर तीन साल की डिग्री को करने में शाहबाज को 11 साल लग गए।
शाहबाज ने राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ मैच में RCB के लिए 26 गेंदों पर 45 रन की पारी खेली।
शाहबाज मां को कहते यूनिवर्सिटी वाले बुलाकर डिग्री देंगे
अहमद जान कहते हैं कि सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री को 3 साल यानी 2015 में पूरा हो जाना चाहिए था। पर क्रिकेट की वजह से 2022 में जाकर पूरा हुआ। उन्होंने एक पेपर 2022 में देकर क्लियर किया। वह भी अपनी मां के कहने पर ही उन्होंने डिग्री हासिल की। वह हमेशा अपनी मां से कहते थे कि डिग्री की चिंता मत करो यूनविर्सिटी वाले बुलाकर देंगे। हुआ भी ऐसा ही। इस साल जनवरी में यूनविर्सिटी ने कॉन्वोकेशन में हमें विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। शाहबाज क्रिकेट की वजह से नहीं पहुंचे, पर हम उनकी डिग्री लेने गए थे। हमें वो सम्मान मिला, शायद वह क्रिकेटर नहीं बनते तो नहीं मिल पाता। अब हमें उनके फैसले पर कोई अफसोस नहीं है।
शाहबाज की मां (बायें से पहले) और पिता (आखिरी) शाहबाज की सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री लेते हुए।
क्लास बंक कर जाते थे क्रिकेट खेलने
अहमद जान कहते हैं कि उन्हें नहीं पता था कि फरीदाबाद में उनके बेटे का मन इंजीनियरिंग की पढ़ाई में नहीं लग रहा था। शाहबाज क्रिकेट खेलने के लिए क्लास बंक कर रहे थे। इसकी जानकारी उन्हें तब मिली जब यूनिवर्सिटी की ओर से उनके पास मैसेज भेजा गया कि उनका बेटा क्लास नहीं कर रहा है।
क्रिकेट और पढ़ाई में से क्रिकेट को चुना
अहमद जान बताते हैं कि तब उन्होंने शाहबाज से कहा कि वे पढ़ाई या क्रिकेट में से किसी एक को चुनें, लेकिन जो भी चुनें उसपर फोकस करें। तब शाहबाज ने क्रिकेट को चुना और उसी पर फोकस करने की ठान ली। इसके बाद वे गुड़गांव में तिहरी स्थित क्रिकेट एकेडमी जाने लगे। वहां कोच मंसूर अली ने उन्हें ट्रेनिंग दी।
दोस्त की सलाह पर बंगाल गए फिर बनाया करियर
शाहबाज के पिता ने बताया कि ग्रेजुएशन के बाद उनके दोस्त प्रमोद चंदीला उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए बंगाल लेकर गए। चंदीला भी बंगाल में क्लब क्रिकेट खेलते हैं। शाहबाज को वहां के घरेलू टूर्नामेंट में बेहतर प्रदर्शन करने पर बंगाल 2018-19 में रणजी टीम में जगह मिली। उसके बाद 2019-20 में उनका चयन इंडिया ए टीम में हुआ।
इसके बाद 2020 IPLऑक्शन में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने शाहबाज को 20 लाख में खरीदा। हालांकि, उन्हें UAE में दो मैच ही खेलने का मौका मिला था। 2021 में भी वह RCB टीम के हिस्सा रहे।
दादा को भी था क्रिकेट
अहमद जान बताते हैं कि उनके पिता भी क्रिकेट खेलते थे। शाहबाज को भी अपने दादा की तरह क्रिकेट खेलना पसंद था। उनका गांव मेवात जिले में एजुकेशन की वजह से जाना जाता है। गांव में कई इंजीनियर और डॉक्टर हैं। इसलिए वह चाहते थे कि शाहबाज भी इंजनियर बने। शाहबाज की छोटी बहन फरहीन भी डॉक्टर है।
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