लुईस हैमिल्टन ने झेला 6 साल की उम्र में रंगभेद: F1 ड्राइवर ने कहा – बच्चे मेरे साथ भेदभाव और गाली-गलौच करते थे, मैं अकेला पड़ गया था
5 मिनट पहले
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F1 यानी फॉर्मूला वन के महान ड्राइवर लुईस हैमिल्टन ने डराने-धमकाने का अनुभव तब किया था जब वह केवल 6 साल के थे। एक पॉडकास्ट में उन्होंने बताया कि, बचपन में स्कूल के दिनों में उनके साथ नस्लीय दुरव्यवहार होता था। उन्हें उनकी नस्ल से जुडी गंदी गालियां भी दी जाती थी।
इंग्लैंड में पले-बढ़े है हैमिल्टन
लुईस हैमिल्टन का जन्म इंग्लैंड के स्टीवनेज शहर में हुआ है। उन्होंने वहीं पढ़ाई की है। हैमिलटन कजे पिता उन्होंने यह भी बताया कि स्कूल में भेदभाव के कारण वे पूरी तरह अकेले पड़ गए थे। लुईस के पिता एंथोनी हैमिल्टन, वेस्टइंडीज के ग्रेनेडियन वंश के हैं, जबकि उनकी मां, कारमेन लार्बलेस्टियर, श्वेत ब्रिटिश, बर्मिंघम से हैं।
38 वर्षीय हैमिल्टन ने पॉडकास्ट शो में कहा, “लोग आपको आधी जाति कहते हैं और वास्तव में यह नहीं जानते कि आप कहां फिट होते हैं।” जब में इतिहास की क्लास में जाया करता था, तब उसमें मुझे मेरे जैसे दिखने वाले लोग दिखते ही नहीं थे। इंग्लैंड की हिस्ट्री बुक्स में अश्वेत लोगो का जिक्र ही नहीं है।
हैमिल्टन मर्सिडीज टीम से ड्राइव करते है।
स्कूल ने मुझे कभी आगे बढ़ने नहीं दिया
हैमिलटन आगे बताते है कि, हमारे स्कूल में 1200 बच्चों में से सिर्फ 6-7 अश्वेत स्टूडेंट्स थे। हमे हमेश प्रिंसिपल ऑफिस के बाहर रखा जाता था। मुझे स्कूल में हमेशा सबसे नीचे रखा गया। मुझसे कहते थे कि, अच्छा करोगे तो हम आगे बढ़ाएंगे। लेकिन, मुझे कभी आगे बढ़ने नहीं दिया, भले ही में कितनी में मेहनत कर लूं। सिस्टम मेरे खिलाफ ही रहा।
स्कूल में मुझे आखिरी में चुनते थे
लुईस ने स्कूल में गेम्स से जुड़े अनुभव को शेयर करते हुए बताया कि, स्कूल में जब भी गेम्स होते थे, उस समय मुझे टीम में आखिरी में चुना जाता था। हम एक लाइन में खड़े होते थे। जब फुटबॉल टीम बनाने का समय आता था मुझे आखिरी में चुना जाता था, जबकि में कई बच्चों से अच्छा खेलता था। मुझे 16 साल की उम्र तक यह समझ नहीं आया की मैं डिस्लेक्सिक हूं।
2021 में लुईस हैमिल्टन को ब्रिटेन की फैमिली की तरफ से ‘नाइटवुड’ की उपाधि दी गई थी। इसके साथ ही हैमिल्टन यह सम्मान पाने वाले ब्रिटेन के इकलौते अश्वेत ड्राइवर बन गए थे।
घर पर बातें बताने में शर्माते थे हैमिल्टन
लुईस हैमिलटन ने बताया कि, ऐसी बहुत सी बातें जो स्कूल में होती थी, मैं इन्हे घर में डिस्कस नहीं करता था। मुझे नहीं लगा की घर जाकर अपने माता-पिता को बताऊं कि आज मुझे नस्लीय गाली दी गई है या पीटा गया है। मैं नहीं चाहता था कि मेरे पिता यह सोचें कि मैं कमजोर हूं। मैं अपने एग्रेशन को पहले रनिंग और फिर ड्राइविंग में लेकर आया।
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