IPL ने बदला वनडे क्रिकेट: 2008 से अब तक 91 बार बने 350 से ज्यादा रन, उससे पहले 37 साल में महज 26 बार ऐसा हो सका है
अश्विन सोलंकी, मुंबई3 मिनट पहले
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- आंकड़ों की जुबानी : 2008 के बाद वनडे और टेस्ट क्रिकेट पर कितना असर पड़ा
- 76 बार 300+ का टारगेट चेज हुआ, 1971 से 2007 तक 23 बार हुआ था
IPL के 15वें सीजन की व्यूअरशिप में भले ही 30 प्रतिशत तक की गिरावट देखी गई, लेकिन 2008 में शुरू हुई यह टी20 लीग इंटरनेशनल क्रिकेट में आक्रामक बदलाव लेकर आई। IPL के 15 साल में टी20, वनडे से लेकर टेस्ट क्रिकेट भी तेजी से बदला।
ICC ने पिछले 4 सालों में 925 इंटरनेशनल टी20 मैच करा दिए, जबकि, 2005 से 2018 तक 636 टी20 इंटरनेशनल ही हुए थे। पहला टी20 मैच 2005 में खेला गया था। IPL के आने के बाद वनडे क्रिकेट में बड़े स्कोर चेज होने लगे। 400 से ज्यादा का स्कोर 15 बार हासिल हुआ। टेस्ट टीमों का फोकस भी अब ड्रॉ की जगह रिजल्ट पर होने लगा है। इससे दर्शक भी मैदान में पहुंचकर टेस्ट क्रिकेट देखने लगे।
वनडे क्रिकेट : 2007 से पहले सिर्फ 5 बार 400+ बने, उसके बाद 15 बार ऐसा हुआ
1971 से 2007 तक 5 बार 400+ का स्कोर बना। 26 बार 350+ रन बने। 42 बार लक्ष्य का पीछा करते हुए 300 से ज्यादा रन बने। 23 बार 300+ रनों का लक्ष्य हासिल हुआ। हाईएस्ट स्कोर रहा 443/9, (श्रीलंका vs नीदरलैंड)।
2008 के बाद 15 बार 400 से ज्यादा रन बने। 91 बार 350+ रन बने। 123 बार लक्ष्य का पीछा करते हुए 300 से ज्यादा रन बने। 76 बार 300 से ज्यादा का टारगेट हासिल हुआ।
हाईएस्ट स्कोर : 481/6, (इंग्लैंड vs ऑस्ट्रेलिया)।
टेस्ट क्रिकेट : IPL के कारण नहीं मिल पा रहे स्पेशलिस्ट बल्लेबाज
2008 के बाद टेस्ट टीम में 45 खिलाड़ियों ने डेब्यू किया। इनमें भी गिने-चुने खिलाड़ी ही अपनी जगह पक्की करने में सफल रहे। एक्सपर्ट्स का कहना है, ‘कोहली ने जब टेस्ट कप्तानी छोड़ी, तब टीम के पास कप्तान के रूप में परमानेंट विकल्प मौजूद नहीं था। रोहित को कप्तान बनाया गया, जो कुछ साल पहले तक टेस्ट टीम में जगह पक्की करने तक के लिए जूझ रहे थे। विशेषज्ञ बल्लेबाजों के लिए रणजी खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है।’
विस्फोटक हो रहा पेस अटैक: 140+ गेंद फेंकने वाले 5 से ज्यादा विकल्पकई तेज गेंदबाज IPL के जरिए ही जगह बनाने में कामयाब रहे। 140+ की रफ्तार से गेंद फेंकने वाले 5 से ज्यादा विकल्प टेस्ट टीम के पास मौजूद हैं। इनमें बुमराह, सिराज, नटराजन जैसे गेंदबाज IPL से ही टीम में जगह बना सके। टेस्ट टीम में शमी, इशांत, उमेश यादव जैसे पेसर भी हैं। वहीं, अब उमरान, अर्शदीप, आवेश खान, हर्षल पटेल और नवदीप सैनी जैसे तेज गेंदबाज लगातार अपनी छाप छोड़ रहे हैं।
टी20 इंटरनेशनल : 14 साल में 155 बार 200+ स्कोर बना, 23 बार चेज भी कर लिया गया
टी20 इंटरनेशनल में 2005 से 2007 तक 10 बार 200 से ज्यादा रन बने थे। इनमें, एक ही बार 200 से ज्यादा का टारगेट हासिल हुआ था। वहीं, 2008 से अब तक 155 बार 200 से ज्यादा का स्कोर बना। 23 बार टीमों ने 200 से ज्यादा के लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल भी किया।
टी20 क्रिकेट पर बढ़ा ICC का फोकस
दुनियाभर में पूरे साल टी20 क्रिकेट की लीग होती रहती हैं। ICC ने भी हर साल होने वाले टी20 इंटरनेशनल को बढ़ावा दिया। 2019 से अब तक 925 टी20 इंटरनेशनल खेले जा चुके हैं। जबकि, 2005 से 2018 तक 636 मैच ही हुए थे।
खिलाड़ियों के संन्यास लेने की उम्र बढ़ी
IPL आने के बाद भारतीय टीम में संन्यास लेने वाले खिलाड़ियों की औसत उम्र 36 साल हो गई। 35 साल के 21 खिलाड़ी और 35 से कम उम्र के 11 खिलाड़ियों ने 2008 के बाद संन्यास लिया। 2008 के पहले संन्यास लेने वाले खिलाड़ियों की औसत उम्र 33 साल सामने आई। एक्सपर्ट्स के अनुसार, ‘IPL में खिलाड़ियों को 14 मैच खेलने होते हैं। टीमें फिटनेस पर काम करती हैं। लीग में इंटरनेशनल से संन्यास ले चुके खिलाड़ियों पर कम ही ध्यान दिया जाता है। ऐसे में अब भारतीय खिलाड़ियों के संन्यास लेने की उम्र बढ़ गई है।’
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