IPL में धूम मचाएंगे मेरठ के बल्ले और गेंद: तीन कंपनियों ने UAE भेजे सामान, कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी समेत 50 से ज्यादा खिलाड़ियों के हाथों में दिखेगा मेरठ का बल्ला
मेरठएक घंटा पहले
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दुबई में IPL फिर शुरू हो गया है। इसमें यूपी के खिलाड़ियों के साथ मेरठ का बल्ला भी धूम मचाएगा। कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी सहित 50 से ज्यादा खिलाड़ियों के हाथों में मेरठ का बल्ला घूमेगा। मेरठ की बल्ला निर्माता तीन कंपनियों ने बड़ी संख्या में आईपीएल में बल्ले, गेंद भेजे हैं। सभी टीमों के अधिकांश खिलाड़ी मेरठ में बने ट्रैक सूट, टीशर्ट में नजर आएंगे।
आईपीएल फेज टू का पहला मैच चेन्नई ने जीता है।
IPL में 3 बड़ी कंपनियों का प्रोडक्ट
स्पोर्ट्स सिटी की तीन कंपनियों ने IPL में अपने खेल उपकरण भेजे हैं। क्रिकेट में वर्ल्ड फेमस SG, SS और SF तीनों कंपनियों का प्रोडक्ट आईपीएल में है। बल्ला, गेंदों से लेकर टीशर्ट, लोअर, हैंड ग्लव्ज, लेगगॉर्ड, हेलमेट, पैड्स, बैग्स, ट्रैकसूट भी मेड इन मेरठ हैं। बड़ी संख्या में IPL के खिलाड़ी मेरठ के रंग में रंगे नजर आएंगे।
महेंद्र सिंह धोनी हर प्रमुख मुकाबले में मेरठ से बल्ला मंगाते हैं, खुद आकर बल्ला तैयार भी कराते हैं।
इन खिलाड़ियों के हाथों में मेरठ का बल्ला
SG के बल्ले से दिल्ली कैपिटल्स के रिषभ पंत, पृथ्वी शॉ, अक्सर पटेल, अमित मिश्रा, ललित यादव, मुंबई इंडियंस के हार्दिक पंडया, कुनाल पंड्या, ईशान किशन, सौरभ तिवारी, जसप्रीत बुमराह। चेन्नई सुपरकिंग्स के सेमकुरान, सुरेश रैना, करन शर्मा, सनराइजर्स हैदराबाद के जैसन होल्डर, राश खान, राजस्थान रॉयल्स के संजू सैमसन, राहुल तेवतिया, यशस्वी जायसवाल, रॉयल चैलेंजर्स बैंग्लोर के वॉशिंगटन सुंदर, सिराज अहमद, शाहबाज खान खेलेंगे।
SS के बल्ले से महेंद्र सिंह धोनी खेलते नजर आएंगे। SF से सरफराज खान पंजाब इलेवन, मोहम्मद शमी पंजाब इलेवन, रॉयल चैलेंजर्स बैंग्लोर से वनिंदु हसरांगा खेलेंगे।
भारतीय खिलाड़ियों के साथ विदेशी क्रिकेटर्स भी मेरठ के बल्ले, गेंदों को पसंद करते हैं
हाथ की कारीगरी करती है कमाल
मेरठ के बल्ले को पसंद करने की खास वजह यहां हाथ की कारीगरी है। दुनिया में कई कंपनियां बल्ले को मशीन से तैयार करती हैं। मेरठ में आज भी हाथ से बल्ले की छिलाई होती है। बल्ले का स्ट्रोक भी कारीगर हाथ से खोलता है। जितना अच्छा स्ट्रोक उतना बेहतरीन रन। खिलाड़ी खुद यहां आकर अपना बल्ला तैयार कराते हैं। बल्ला बनाने के पुराने कारीगर आज भी 8 से 9 घंटे की मेहनत केवल बल्ले के स्ट्रोक पर करते हैं। इसलिए, खिलाड़ी मेरठ का बल्ला चाहते हैं।
1947 में बंटवारे के बाद पड़ी कारोबार की नींव
आजादी से पहले खेल उपकरण पाकिस्तान में बनते थे। 1947 के भारत पाकिस्तान विभाजन में तमाम पंजाबी परिवार पाकिस्तान से आकर मेरठ में बसे, यहां खेल उद्योग की नींव रखी। हॉकी, फुटबॉल बनाने से लेकर क्रिकेट किट और दूसरे खेल उपकरण बनाना शुरू किया। पीढ़ी दर पीढ़ी ये उद्योग विस्तार पा रहा है।
कारोबार कम, प्रभाव अधिक बढ़ता है
2010 से ही मेरठ का बल्ला और क्रिकेट किट IPL में रहता है। निर्माताओं की मानें तो क्रिकेट के बड़े मुकाबले में सामान देने से बड़ा कारोबार नहीं होता। अधिकांश खिलाड़ी स्पांसर्ड होते हैं। हालांकि, इन मुकाबलों का प्रभाव बिजनेस की मार्केटिंग पर होता है। लोकल क्रिकेट, घरेलू मुकाबलों के लिए खिलाड़ी बैट खरीदने आते हैं। यहीं से बिजनेस मिलता है।
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