क्रिकेटर उमेश यादव ने महाकाल के दर्शन किए: पत्नी समेत की भस्म आरती, नंदी हॉल में मंत्रों का जाप किया; ट्विटर पर शेयर कीं तस्वीर
उज्जैन7 मिनट पहले
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इंडियन क्रिकेट टीम के फास्ट बॉलर उमेश यादव सोमवार को गुरु पूर्णिमा के मौके पर उज्जैन पहुंचे। उनकी पत्नी तान्या भी साथ थीं। यहां दंपती ने तड़के 4 बजे महाकालेश्वर मंदिर में होने वाली भस्म आरती में हिस्सा लिया। उन्होंने भगवान महाकाल का जल से अभिषेक कर आशीर्वाद लिया।
भस्म आरती के दौरान उमेश धोती सोला पहने नजर आए। यादव दंपती ने नंदी हॉल में बैठकर मंत्रों का जाप भी किया।
उमेश ने अपने ट्विटर अकाउंट पर ज्योतिर्लिंग दर्शन की तस्वीरें साझा की हैं। उन्होंने शिव मंत्र भी पोस्ट किया है। वे पहले भी महाकाल के दर्शन करने आ चुके हैं।
उमेश यादव ने ट्विटर अकाउंट पर ये फोटो शेयर किए हैं..
उत्तर प्रदेश का रहने वाला परिवार पिता की नौकरी के कारण नागपुर आया
टीम इंडिया के स्टार बॉलर उमेश यादव बेहद गरीबी के बीच साधारण परिवेश में पले-बढ़े। उनका जन्म वेस्टर्न कोलफील्ड्स में काम करने वाले तिलक यादव के घर 25 अक्टूबर 1987 को हुआ था। उनके दो बेटियां और एक बेटा पहले से थे।
उमेश के पिता तिलक मूल रूप से उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के छोटे से गांव के रहने वाले हैं। वे कोयला खदान में नौकरी के कारण नागपुर के पास खापरखेड़ा गांव में रहने लगे।
दाएं हाथ के तेज गेंदबाज उमेश यादव ने नई दिल्ली की फैशन डिजाइनर तान्या वाधवा से शादी की है। दोनों की एक बेटी है।
पिता से कहा था- या तो आप मेरे खेल से आबाद हो जाओगे या फिर…
उमेश का क्रिकेट करियर चमकने से पहले तक उनके पिता की दिली तमन्ना थी कि वे पुलिस में भर्ती हो जाएं, उनकी सरकारी नौकरी लग जाए। पिता के कहने पर उमेश भी इसकी तैयारी कर रहे थे लेकिन किस्मत साथ
नहीं दे रही थी।
आखिरकार टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलने के शौकीन उमेश ने पिता से कह दिया था- ‘या तो आप मेरे खेल से आबाद हो जाओगे या फिर…।’
2008 में पहली बार उमेश को रणजी ट्रॉफी में खेलने का मौका मिला। मैच की पहली इनिंग में उन्होंने 75 रन देकर चार विकेट लिए। इसी परफॉर्मेंस के दम पर दलीप ट्रॉफी में मौका मिला और फिर 2010 में IPL में दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम ने उनके लिए बोली लगाई। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
उमेश और तान्या की शादी 29 मई 2013 को हुई थी।
महाकाल के सोमवार भस्म आरती दर्शन…
बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक दक्षिणमुखी श्री महाकालेश्वर मंदिर में सोमवार तड़के 4 बजे मंदिर के कपाट खोले गए। भगवान महाकाल को जल से स्नान कराने के बाद पंडे-पुजारियों ने दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, इत्र, फलों के रस से बने पंचामृत से अभिषेक पूजन किया। मस्तक पर रजत त्रिपुंड और चंद्र के साथ सुगंधित पुष्प अर्पित कर राज-राजेश्वर स्वरूप में श्रृंगार किया गया।
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