टोक्यो म्हं हरियाणा ‘प्रधान’: ओलिंपिक में देश का 121 साल का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन, इसमें सबसे बड़ा योगदान हरियाणा का रहा
पानीपत4 मिनट पहले
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टोक्यो ओलिंपिक का रविवार को समापन हो गया।
- उपलब्धि: 4 ओलिंपिक में देश के 20 मेडल; 11 हरियाणा के, वजह- स्कूल से ही तैयारी
- प्रदर्शन: इस बार देश के सर्वाधिक 7 मेडल, हरियाणा को पहले गोल्ड समेत तीन पदक
- गौरव: 2% आबादी के हरियाणा से देश के दल में 24% खिलाड़ी, 50% मेडल हमारे
टोक्यो ओलिंपिक का रविवार को समापन हो गया। भारत को एक गोल्ड समेत 7 पदक मिले हैं, जो 121 साल का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। पिछले 21 साल में देश ने ओलिंपिक में 20 पदक जीते हैं, जिनमें 11 अकेले हरियाणा लाया है। इस बार टोक्यो में भी हरियाणा ‘प्रधान’ बनकर उभरा। देश के 6 व्यक्तिगत मेडल में से 3 हरियाणा के खिलाड़ियों ने जीते। पुरुष हॉकी के कांस्य मेडल में भी हरियाणा के दो खिलाड़ियों की भागीदारी रही है।
देश की आबादी में हरियाणा की हिस्सेदारी 2% है, पर 127 खिलाड़ियों के दल में हिस्सेदारी 24% (30 खिलाड़ी) रही। देशों की मेडल टैली के हिसाब से अकेले हरियाणा 66वें स्थान पर रहा है। ओलिंपिक में देश के खिलाड़ियों का स्ट्राइक रेट 5.5% है, जबकि हरियाणा का स्ट्राइक रेट करीब 10% है। हरियाणा ने इतना बेहतर प्रदर्शन कैसे किया? इसका जवाब है कि खेल नीति। 2000 में कर्णम मल्लेश्वरी ने मेडल जीता तो ओलिंपिक के लिए खिलाड़ी तैयार करने की नींव रख दी थी। तभी से खिलाड़ियों को प्रोत्साहन व सबसे अधिक आर्थिक मदद दी जा रही है। यह स्कूल स्तर से ही शुरू हो जाता है। बग उसी का नतीजा मिल रहा है।
यूं तराशता है हरियाणा…स्कूल-कॉलेज स्तर से ही कैश अवाॅर्ड, कोच की भी ट्रेनिंग
नींव: खिलाडियों का स्कूल व कॉलेज स्तर पर बेस बनाना जरूरी होता है। हरियाणा में स्कूल व कॉलेज नेशनल मेडलिस्ट को भी 20 हजार से 50 हजार रुपए तक कैश अवाॅर्ड दिया जाता है। खेल नर्सरियां बनाई हुई हैं, जहां ट्रेनिंग के साथ प्रोत्साहन भी मिलता है। अंतरराष्ट्रीय मेडल पर आउट ऑफ टर्म नौकरी देते हैं। अन्य राज्यों में ऐसा नहीं।
सुविधाएं: ढाई करोड़ आबादी वाले हरियाणा में साई के कुल 22 सेंटर हैं। 23 करोड़ आबादी वाले यूपी में 20 सेंटर, 8 करोड़ की आबादी वाले राजस्थान में 10 सेंटर हैं।
कोचिंग: हरियाणा इंटरनेशनल मेडल वाले खिलाड़ी के कोच को भी 2 लाख से 20 लाख रु. तक इन्सेंटिव देता है। खिलाड़ी ही नहीं, कोच को भी ट्रेनिंग के लिए विदेश भेजा जाता है।
बजट: तीन साल से केंद्र का खेल बजट सालाना औसतन 890 करोड़ रहा। प्रदेश का खेल बजट 300 करोड़ से ज्यादा रहा। इस बार 394 करोड़ है। राजस्थान में सिर्फ 100 करोड़ है।
प्रोत्साहन: 2001 में हरियाणा में ओलिंपिक गोल्ड पर 3 करोड़ रु. दिए जाते थे। अब गोल्ड पर 6, सिल्वर पर 4, ब्रान्ज पर 2.5 करोड़ व चौथे नंबर वाले को 50 लाख रु. दिए जा रहे हैं। ओलिंपिक की तैयारी के लिए 15 लाख रु. दिए जाते हैं। मेडल अनुसार क्लास-ए, बी और सी की नौकरियां दी जाती हैं। राजस्थान में तैयारी के लिए सिर्फ 5 लाख रु. मिलते हैं।
नेशनल स्तर से ही सम्मान राशि-
प्रतियोगिता – सम्मान राशि
नेशनल स्कूल गेम्स- 20 से 50 हजार
खेलो इंडिया- 20 से 50 हजार
सैफ जूनियर गेम्स- 50 से 1.50 लाख
सैफ गेम्स- 2 से 5 लाख
एशियन चैंपियनशिप- 3 से 5 लाख
कॉमनवेलथ- 50 लाख से 1.50 करोड़
एशियाड- 75 लाख से 3 करोड़
ओलिंपिक- 2.5 करोड़ से 6 करोड़
इस ओलिंपिक में हरियाणा का प्रदर्शन
नीरज चोपड़ा: पानीपत के नीरज ने 121 साल में पहला गोल्ड दिलाया। 2019 में चोट व 2020 में कोरोना के बावजूद पूरी मेहनत की।
रवि दहिया: सोनीपत के नाहरी के पहलवान कुश्ती में रजत पदक जीतने वाले दूसरे खिलाड़ी हैं।
बजरंग पूनिया: सोनीपत के बजरंग पूनिया ने कांस्य पदक का मुकाबला 8-0 से जीता।
पुरुष हॉकी टीम: कांस्य पदक विजेता पुरुष हॉकी टीम में कुरुक्षेत्र के सुरेंद्र व सोनीपत के सुमित हैं।
चौथे स्थान पर रहे: महिला हॉकी टीम चौथे स्थान पर रही। इसमें कप्तान-उपकप्तान समेत प्रदेश की 9 बेटियां हैं। कुश्ती में दीपक पूनिया भी चौथे स्थान पर रहे।
एक्सपर्ट व्यू- जीएस संधू, भारतीय बॉक्सिंग टीम के पूर्व कोच-
इन्सेंटिव की घोषणा जीतने के बाद नहीं, पहले करें
खेल को गांवों तक लाना चाहिए। हर सेंटर में यूथ, जूनियर, सीनियर एकेडमी बने। टूर्नामेंट की संख्या बढ़ाई जाए। केंद्र, फेडरेशन, आईओए व राज्य अगले ओलिंपिक, एशियन चैंपियनशिप, कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए अभी से इन्सेंटिव की घोषणाएं करें। खिलाड़ियों को 2-3 माह का ही ब्रेक मिले, फिर तुरंत तैयारी शुरू करें।
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