मलेशिया मास्टर्स जीतने के बाद प्रणय बोले: ट्रॉफी जीतने की उम्मीद छोड़ दी थी, ट्रेनिंग से खुद को मजबूत कर चैंपियन बना
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मुंबई2 मिनट पहले
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भारतीय स्टार शटलर एचएस प्रणय ने रविवार को चीन के वेंग होंगयांग को 21-19, 13-21, 21-18 से हराकर मलेशिया मास्टर्स का खिताब अपने नाम किया। हालांकि, एक समय ऐसा भी था, जब भारत की युवा प्रतिभा के रूप में पहचाने जाने वाले प्रणय खिताबी मुकाबले तक का सफर तय नहीं कर पाते थे। वे टूर्नामेंट के बड़े खिलाड़ियों को हरा दिया करते थे, इसलिए उन्हें “जाएंट किलर’कहा जाने लगा था। इसके बावजूद वे खिताबी मुकाबले तक नहीं पहुंच पाते थे।
प्रणय ने आखिरी बड़ा टूर्नामेंट यूएस ओपन 2017 में जीता था।2017 में ही इंडोनेशिया ओपन में उन्होंने तीन बार के ओलिंपिक सिल्वर मेडलिस्ट ली चोंग वी और ओलिंपिक चैम्पियन चेन लॉन्ग को लगातार दो दिन में हराया था। हालांकि, वो इस टूर्नामेंट में अपने ही देश के खिलाड़ी किदांबी श्रीकांत से हार गए थे। इसके बाद यही कहानी कई बार टूर्नामेंट में दोहराई गई। प्रणय बताते हैं कि ऐसे दिनों पर उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था। वो खुद पर ही सवाल उठा लिया करते थे।
वह बताते हैं, “वर्ल्ड चैम्पियनशिप में हारने के बाद में बहुत भावुक हो गया था। मुझे पता था कि इस टूर्नामेंट को जीतने का मेरे पास अच्छा मौका है। हालांकि, हार से मेरा दिल टूट गया था और मुझे लगने लगा था कि मैं खिताबी मुकाबलों के लिए नहीं बना हूं। मेरी किस्मत में बड़े मुकाबले खेलना नहीं है।’ हालांकि, उन्होंने जल्द ही इस निराशा को पीछे छोड़ा और अपनी ट्रेनिंग प्रोसेस पर काम किया।
वह बताते हैं, “सालों के टाइटल के सूखे के बावजूद मुझे लगता था कि जीत बस मिलने ही वाली है। मैंने कभी जीत की आशा नहीं छोड़ी थी।’ वह बात करते हुए बताते हैं कि एक टूर्नामेंट को जीतने के लिए केवल पांच अच्छे दिनों की जरूरत होती है। साथ ही, वह मानते हैं कि किस्मत ने भी उनके इस खेल में एक भाग निभाया है। मलेशिया ओपन की इस खिताबी जीत में वे साइकोलॉजिकल ट्रेनिंग को भी श्रेय देते हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें रोज मानसिक ट्रेनिंग करने में दिलचस्पी नहीं थी और उन्हें केवल शांत बैठकर सांस पर ध्यान देना पसंद नहीं था। इसके बावजूद वो रोज साइकोलॉजिकल ट्रेनिंग करते थे, जिससे उनकी मैच के अहम क्षणों में एकाग्रता को बढ़ाने में मदद की।
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